इंसानित की मिसाल भावन शर्मा को दिल से सलाम..अब तक कीव से बचा चुके 1500 छात्र, बोले…जबतक शरीर में खून का कतरा तथा पैसा बचा है…तब तक भारतीयों के लिए करता रहूंगा सेवा

अमन ढो़ट/नितिन धवन/एसएनई न्यूज/ अंतरराष्ट्रीय डेस्क।

यूक्रेन में इंसानियत की मिसाल पैदा करने वाले भारतवंशी यूक्रेन नागरिक भावन शर्मा को दिल से सलाम किया जाता है। अब तक कीव में फंसे 1500 के लगभग भारतीय छात्रों को सुरक्षित जगह पहुंचाने तथा खाने-पीने का बंदोबस्त अपनी जेब से कर रहे है। सिर्फ तो सिर्फ एक ही जज्बा है कि जब तक शरीर में एक-एक कतरा खून तथा जेब में पैसा बचा है तब तक वह एक-एक भारतीय की सेवा करते रहूंगा। उसे अपनी जान की बिल्कुल परवाह नहीं है। पीछे से वह हरियाणा के जिला करनाल के रहने वाले है। खास बात , इस कार्य में उनकी सहायता यूक्रेन मूल की दोस्त लयूबाव गुलिया तथा ममेरा भाई यश गोस्वामी कर रहे है। इनसे भावन शर्मा को काफी एनर्जी मिल रही है।

शर्मा के मुताबिक, वह पिछले पांच वर्ष यूक्रेन के ल्वीव शहर में रह रहें हैं। यहां पर कार ट्रेडिंग तथा टेक्सी कंपनी के संचालक है। भगवान की फूल कृपा है। जितनी पूंजी कमाई, सब इस नेक काम में खर्च कर रहे है। इतना ही नहीं, उन्हें इस कार्य में काफी मजा तथा अनुभव मिलने का अहसास हो रहा है। खान-पीने की वस्तुएं जिन-जिन स्टोर से उपलबंध कर रहे है, उन्हें आगे फंसे विद्यार्थियों को पहुंचाई जा रही है, ताकि वह किसी प्रकार से भूखे-प्यासे नहीं रह सके। उनके मुताबिक, एक प्रकार से वह भी मेरे भाई-बहन जैसे ही है। अच्छा लगता है इंसानियत के लिए काम करने का। 

शुक्रवार रूस-यूक्रेन के बीच जंग हुई। शहरों में कूर्फय लग गया। स्टोर बंद , सरकारी परिवहन ठप्प। हजारों भारतीय नागरिक तथा छात्र यहां-यहां थे वहां पर बुरी तरह से फंस गए। उन्हें यूक्रेन में रहते हुए पिछले पांच वर्ष का हर मार्केट का अनुभव था। हम (भावन शर्मा, महिला मित्र  लयूबाव गुलिया तथा ममेरा भाई यश गोस्वामी) तीनों ने प्रण किया कि इस मुश्किल समय में भारतीय नागरिक तथा छात्रों की हरसंभव मदद करेगे। टैक्सी तथा खाने-पीने का बंदोबस्त किया गया।

युद्व प्रभावित क्षेत्र के कीव शहर में यहा भारतीय नागरिक तथा छात्रों का चिन्हित कर, वहां पर खाने-पीने तथा वहां से निकालने के लिए अपनी टैक्सियां इस काम के लिए लगा दी गई। अब तक 1500 भारतीय विद्यार्थियों को पोलैंड देश में पहुंचा दिया। खबर है कि कीव शहर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव में 100 भारतीय विद्यार्थी बुरी तरह से फंस चुके है। पल-पल के उपरांत वहा पर रुस की तरफ से गोले दागे जा रहे है।

छात्रों ने उनके (भावन शर्मा) साथ संपर्क किया तो सहीं सलाह दी गई की कि अभी आप बंकर में सुरक्षित तरीके से छुप कर रह लीजिए। किसी प्रकार से उन्हें खाने-पीने के सामान पहुंचाया जा रहा है।

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रुस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्व का सबसे अधिक नुकसान वहां पर पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को उठाना पड़ रहा है। खासकर , जिनका पढ़ाई अंतिम दौर में चल रहा है। अब इस बीच पढ़ाई छोड़कर , उन्हें वापिस स्वदेश लौटना पड़ रहा है। बड़ी मुश्किल से इनके स्वजनों ने पैसा इकट्ठा कर अपने बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई कराने के लिए यूक्रेन इस आस में भेजा था कि एक दिन उनके बच्चें विदेश मेडिकल की पढ़ाई कर घर-परिवार के साथ-साथ देश का नाम रोशन करेंगे। अब हालात काफी खराब होने की वजह से उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री से मांग करते कहा कि अब तो सिर्फ आप से हमें आस है कि उनके सामने आई चुनौतियों का सामधान निकाल सकते है।    

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