एसएनई.वाशिंगटन।
चीन के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के नए सैन्य गठजोड़ ने प्रशांत महासागर क्षेत्र को लेकर नए सवालों को जन्म दे दिया है। इस फैसले ने यूरोप को पूरी तरह चौंका दिया है और अधर में लटका दिया है। वहीं, फ्रांस खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। इस फैसले के बाद यूरोपियन यूनियन उलझन भरी स्थिति में दिखाई दे रहा है।
बुधवार को जिस ऑकस संधि का एलान हुआ। उसके तहत अमेरिका और ब्रिटेन के एक्सपर्ट ऑस्ट्रेलिया के परमाणु पनडुब्बी से जुड़ी मदद करने यहां पहुंचेंगे। इसके साथ ही तय हो गया है कि ऑस्ट्रेलिया अब फ्रांस के साथ किए गए गैर-परमाणु पनडुब्बी से जुड़ा सौदा भी रद्द कर देगा।
इन तीन देशों की संधि से फ्रांस बुरी तरह भड़का हुआ है। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-व्येस ड्रायन ने इसे ऑस्ट्रेलिया द्वारा पीठ में छुरा घोंपना करार दिया है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि सहयोगियों के सलाह-मश्विरा किए बिना, इस संधि की अचानक घोषणा करना धोखा और एकतरफा फैसला है।