वरिष्ठ पत्रकार.दिल्ली।
बांग्लादेश में इन दिनों ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चर्चा में है। कहने के लिए तो इस कैंपेन के पीछे बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का हाथ बताया जा रहा है। लेकिन असल में इस कैंपेन के पीछे चीन का शातिर दिमाग है, जो मालदीव में भी भारत के खिलाफ इस तरह की साजिश को अंजाम दे चुका है। चीन की नजर न केवल बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर है, बल्कि वह बांग्लादेश के बंदरगाहों का इस्तेमाल भी भारत के खिलाफ करना चाहता है।
बांग्लादेश में चल रहा भारत विरोधी ‘इंडिया आउट’ कैंपेन सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। इसमें भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है। वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पूर्ण तरीके से भारत के साथ खड़ी नजर आ रही हैं। लंबे समय तक इंडिया आउट कैंपेन पर चुप्पी साधने के बाद उन्होंने सोमवार को भारत के उत्पादों का बहिष्कार करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विपक्षी दल के नेता पहले अपनी पत्नियों की भारतीय साड़ियों को जलाएं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा, “भारत से आने वाले गरम मसाले, प्याज, लहसुन, अदरक, जैसे उत्पाद भी बीएनपी नेताओं की रसोई में नहीं दिखने चाहिए।” शेख हसीना की ये टिप्पणी बीएनपी के वरिष्ठ नेता रुहुल कबीर रिजवी के सड़क पर अपना कश्मीरी शॉल जलाने और बांग्लादेश के लोगों से भारतीय उत्पादों के खिलाफ विरोध करने का आग्रह करने के बाद आई है।
भारत-बंगलादेश की है लंबी मित्रता
यहां पर गौर करने की बात है कि भारत-बांग्लादेश के बीच लंबी मित्रता चल रही है। क्योंकि, भारत ही एक ऐसा देश था जिसने बांग्लादेश को अलग देश की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान के खिलाफ उसे मजबूत खड़ा करने के लिए हर प्रकार का सहयोग दिया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक, बांग्लादेश अगर एशिया में अलग पहचान बनाने में कामयाब रहा है तो उसके पीछे भी भारत का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा। चीन जैसे देश कभी भी दोनों के रिश्तों में खटास पैदा करने में सफल नहीं हो सकते। विपक्ष को चाहे लालच देकर अपनी तरफ खींच सकता है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी की सरकार को सब कुछ मालूम है कि क्या सही तथा गलत है।