एसएनई न्यूज नेटवर्क/अंतरराष्ट्रीय डेस्क।

रुस-यूक्रेन की बीच चल रहे युद्द में सबसे बड़ी बेचैनी भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सामने आ रही है। पता इस बात का चला है कि फिलहाल यूक्रेन देश में इस युद्व के माहौल में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा में किसी प्रकार से यूक्रेन चिंता नहीं कर रहा है। इतना जरुर कहा कि युद्व से प्रभावित क्षेत्र को भारतीय नागरिक जितनी जल्द हो सकें खाली कर दें तथा किसी सुरक्षित स्थल पर पनाह ले लें।
चिंता का बड़ा विषय है कि अधिकतर संख्या में रहने वाले भारीय नागरिक (विद्यार्थी) बंकर में छिप कर अपनी जान को बचा रहें हैं। खाने-पीने का सामान समाप्त हो चुका है। चिप्स तथा काफी पीकर ही अपना पेट भर रहें है। थोड़ा-बहुत नेटवर्क मिलने के उपरांत अपने मोबाईल से परिजनों के साथ बातचीत कर, उन्हें सरक्षित होने का हवाला देकर अभिभावकों की चिंता को कम रहें हैं, जबकि असली परिस्थितियां काफी भयवह है।
हर मिनट पर गोले, मिसाइल की गूंज, उनके कान में सुनाई दे रही है। यूक्रेन के साथ लगने वाली सीमा का सफर 500 किलोमीटर से लेकर 1000 किलोमीटर तक का है।जबकि, वहां तक जाने के लिए किसी प्रकार परिवहन सुविधा काफी कम संख्या में है। बाहर की हालात बहुत खराब है। जिस वजह से उनका यहां से निकलना अलि असंभव हो चुका है।
इधर, यूक्रेन द्वारा फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने में किसी प्रकार से कोई पहल कदमी नहीं उठाई। खबर, सामने आ रही है कि इस बीच रुस ने भारत को भरोसा दिलाया है कि यूक्रेन के साथ लगने वाली सीमावर्ती देश में अपने हवाई विमान से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित भारत पहुंचा देंगा। इस बात की सच्चाई कितनी हद तक सहीं है, यह समय ही बताएंगा।
सवाल सबसे बड़ा यह है कि यूक्रेन के साथ लगनी वाली सीमावर्ती देश में भारतीय नागरिकों को वहां तक सुरक्षित पहुंचाने की कौन जिम्मेंदारी लेता है। फिलहाल, यूक्रेन अभी तक भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए उचित कदम नहीं उठाया। हर कोई परेशान है। खासकर भारतीय नागरिक इन परेशानियों से ज्यादा झूज रहें हैं। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन में भारी संख्या में भारतीय विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए हर वर्ष आते है।
यूक्रेन कई लाखों डालर की कमाई पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की फीस से होती है। ऐसे में यूक्रेन की नैतिक ड्युटी बनती है कि भारतीय नागरिकों को पहल के आधार पर सुरक्षा दी जाए।