इन दिनों बटाला की राजनीति में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी की काफी चर्चा है। नेता जी हमेशा ही इतने व्यस्त रहते है कि उनके पीए साहब , उनका फोन रिसीव करते है। शायद, नेता जी भूल गए है कि अभी तो उन्हें पार्टी ने टिकट बांटा है, जबकि जनता का मत हासिल करना शेष है। पीए साहब को अलग गाड़ी में बैठने का अवसर मिला है। नेता जी का फोन, पीए साहब के पास होता है। फोन करने वाले को जवाब मिलता है कि नेता जी, दूसरी गाड़ी में है, जब फ्री होंगे, तब आपकी बातचीत करा दी जाएगी।
इतना ही नहीं, नेता जी को मैसेज मिलता है, फिर बाद में नेता जी फोन घुमाने के लिए भूल जाते है। चर्चा, इस बात की भी है नेता जी शैरी कलसी की हवा का रुख इतना तेज है कि उन्हें लग रहा है कि वह 100 फीसद विधानसभा हलका बटाला से सीट जीत सकते है। खैर, इस बात से नेता जी परिचित नहीं है कि यह जनता का दरबार है, उसका फैसला मत से जारी होता है। जनता भली-भांति से परिचित है कि कौन नेता उनके भविष्य का सही फैसला कर सकता है।
कई बार देखा गया कि राजनीति के बड़े-बड़े नेता इस गलतफहमी में रह जाते है कि लोगों का काफिला, उनकी जीत का राह तय करता है। यहीं भूल उनकी पराजय की ओर रास्ता तय करती है। नेता जी को , इस बात पर गहनता से विचार करने की जरूरत है कि किसी प्रकार से जनता का दिल जीता जा सकता है। जनता की हर बात को कैसी सुना जाए, उसके लिए कठोर नीति बनाना बहुत जरूरी है।
युवा शक्ति के साथ-साथ समझदारों की सेना का काफिला होना भी नेता जी की प्रबल जीत के लिए अनिवार्य है। क्योंकि, ठीक सूझबूझ वाला ही व्यक्ति मत की सही पहचान करने की क्षमता रखता है। युवाओं का झोंका हवा की तरह होता है, एक ही पल में बिखर जाता है, जबकि समझदारों का दम चट्टान की तरह प्रबल होता है। जीत की गणित में उनका एक फैसला प्रत्याशी की जीत को सुनिश्चित बनाता है।
नेता जी को वैसे सत्ता पर बैठने का शौक तो काफी लंबे समय है। इस बात को सिरे से बिल्कुल नहीं नकारा जा सकता कि उन्होंने बटाला की जनता की खूब सेवा की। जबकि, उनकी राजनीति में तड़क-भड़क का तरीका , सुलझे मतदाताओं को लुभाने में खास कारगर नहीं हो रहा है।
चर्चा, इस बात की भी चल रही है कि नेता जी को समझदारी का तरीका अपनाने की जरूरत है। फिर जाकर वह बटाला की जनता पर राज कर सकते है। वर्तमान में सोशल मीडिया के काल में एक्टिव रहना अच्छी बात है, लेकिन इस बात को बिल्कुल नहीं नजरअंदाज किया जा सकता कि जिन लोगों को इस बारे कोई ज्ञान नहीं है। उन तक पहुंच के लिए नया रास्ता अपनाने की सख्त आवश्यकता है। इसके लिए सबसे पहले खाका तैयार करना जरूरी है।
अटकलें, इस बात की भी है कि एक समझदारों का बड़ा वर्ग नेता जी के साथ बिल्कुल नहीं चल रहा है। घर में बैठकर इंतजार कर रहा है कि नेता जी उन्हें मनाने के लिए कब आ रहे है। इन बातों को हल्का लेना, शैरी कलसी की बड़ी भूल भी हो सकती है। अगर जीत को सुनिश्चित करना है तो इनको साथ लेकर जाना नेता जी प्राथमिकता होनी चाहिए।
चर्चा, इस बात की भी चल रही है कि नेता जी तो सिर्फ युवा शक्ति से प्रभावित होकर अपनी जीत को सुनिश्चित मान कर चल रहे है, जबकि यह एक प्रकार से उनकी लिए हार का बड़ा कारण बन सकती है। चुनाव में नेता जी , इन बातों को हल्के में लेकर चलते है तो सबसे बड़ी भूल होगी।
पत्रकार-नितिन धवन की कलम से।