अंतरराष्ट्रीय डेस्क.इस्लामाबाद।
पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री की हाईकोर्ट ने खूब फटकार लगाई। मामला, बलोच छात्रों से जुड़ा हुआ है। पिछले साल नंबर को अदालत ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री तथा 2 कैबिनेट मंत्रियों को इस मामले के संबंध में जवाब देने के लिए पेश होने को बोला गया। लेकिन, वे लोग अदालत में नहीं पेश हुए थे। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।कार्यवाहक प्रधानमंत्री को अदालत के समक्ष पेश होने को अपमान नहीं समझना चाहिए।
जज ने कहा कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री को अगली सुनवाई के लिए कराची नहीं जाना चाहिए, बल्कि अदालत के सामने पेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। प्रधानमंत्री को इसलिए बुलाया गया क्योंकि वह जवाबदेह हैं। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 28 फरवरी तक स्थगित करते हुए पीएम काकर को फिर से तलब किया है। बताया जा रहा है कि इससे पूर्व 29 नवंबर को भी कार्यवाहक प्रधानमंत्री अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए थे। तब वह विदेश यात्रा पर थे।
यह कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, पाक सरकार अदालत को बार-बार यह आश्वासन देती है कि लापता छात्र जल्द घर लौट आएंगे। अदालत ने 13 फरवरी को पिछली सुनवाई के दौरान आश्वासन के बावजूद बलोच छात्रों को बरामद करने में सरकारी अधिकारियों की विफलता के कारण पीएम काकर और उनके दो कैबिनेट मंत्रियों को तलब किया था। सोमवार को जस्टिस कयानी ने फिर से लापता छात्रों पर जांच आयोग की सिफारिशों को अमल के संबंध में याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को तलब करने का उद्देश्य यह जानना था कि वह अपने कर्तव्यों में विफल क्यों हो रहे हैं।
पाक सेना करती है दमन
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन आबादी सबसे कम है। अलगाववादी विद्रोह के कारण यहां लंबे समय से अशांति है। यहां पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूचों के क्रूर दमन और लोगों को जबरन गायब करने की घटनाएं आम हैं। पिछले साल नवंबर में पाक सरकार ने स्वीकार किया था कि बलूचिस्तान में करीब 50 लोग गायब हुए हैं। पिछले साल 29 नवंबर को सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान ने अदालत को सूचित किया कि 50 लापता व्यक्तियों में से 22 को बरामद कर लिया गया है, जबकि 28 अन्य का कोई सुराग नहीं मिला है।