शिक्षा का मंदिर यहां बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए तालीम दी जाती है। शिक्षा देने वाले को भगवान से कम भी दर्जा नहीं दिया जाता है। शिक्षा के केंद्र को एक प्रकार से गुरुकुल कहा जाता है। मगर बड़ी शर्म की बात है निजी क्षेत्र के शिक्षा के मंदिर में कई मामले कंजक पूजन मासूमों के साथ दुष्कर्म होने के सामने आ रहे है। ताजा उदाहरण , पंजाब के जिला गुरदासपुर के एक निजी स्कूल का सामने आया। 4 वर्षीय मासूम परी (काल्पनिक नाम) के साथ स्कूल के किसी स्टाफ मेंबर द्वारा दुष्कर्म किया गया। पुलिस ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ इस षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से मामला दर्ज कर लिया। शर्म से तब सिर झुक जाता है, जब इन अपराधियों के समर्थन में निजी स्कूल एसोसिएशन उतर आए।
अब, उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिए पंजाब के सभी निजी शिक्षण संस्थान को एक दिन के लिए स्कूल बंद करने का फरमान जारी किया। हैरान करने वाली बात तब सामने आती है, जब निजी स्कूल ने भी एसोसिएशन के समर्थन में एक दिन के लिए स्कूल बंद का संदेश बच्चों के अभिभावकों के फोन पर डाल दिया। शर्म आती है निजी स्कूल एसोसिएशन से लेकर समर्थन करने वाले निजी स्कूल पर , जिन्होंने बिना सोचे समझे एसोसिएशन के दबाव आगे झुकते हुए स्कूल बंद करने पर अपनी-अपनी सहमति जताई।
शर्म आती है इस एसोसिएशन पर जिसने एक बार भी पीड़ित परिवार के साथ मुलाकात कर उनके दर्द को नहीं समझा। दर्द का अहसास तो सिर्फ पीड़ित परिवार को ही पता है, क्योंकि, उसे गहरा घाव पहुंचा है। शेष के लिए सब कुछ तमाशा ही बन कर रह गया। समाज के दरिंदों की वजह से कुछ अभिभावक बच्चियों के जन्म होने पर थोड़ा संकोच करते है। क्योंकि, लड़कियां एक परिवार की इज्जत होती है। बचपन से लेकर बड़े होने तक उसका ध्यान रखते है। किसी प्रकार से लड़की को कोई आंच भी आ जाए तो मां-बाप के लिए एक चिंता बन जाती है। जिस दरिंदे ने भी पीड़ित मां-बाप को इतना बड़ा दर्द दिया है, शायद वह भी बचने वाला बिल्कुल नहीं है। उसे इस बुरे काम की सजा भी मिलेगी।
निजी स्कूल एसोसिएशन को इस बात का सबक लेना चाहिए कि उन्हें अपराधी की मदद करने की बजाय, बच्ची को दर्द देने वाले को ढूंढ कर निकालना चाहिए। अगर ऐसा संभव हुआ तो शायद इन निजी स्कूल की साख भी बच सकती है। मगर, ऐसा नहीं करके समाज तथा पीड़ित परिवार के प्रति बड़ी आशंका खड़ी कर रहें हैं। उनके (पीड़ित परिवार) दिल में निजी स्कूल से लेकर शिक्षकों तक सम्मान कम हो चुका है। क्योंकि, उनकी फूल जैसी बेटी के साथ इतना बड़ा पाप हो चुका है। समाज में परिवार अपनी बेटी के साथ हुई घिनौनी हरकत के लिए कानून से लेकर हर प्रक्रिया के समक्ष अपना दरवाजा खटखटा रहा है। उन्हें एक आस है कि असली कथित अपराधी सामने आ जाए। जिसे उसके बुरे पाप की सजा दिला सके।
कानून पर हर किसी का विश्वास होता है, लेकिन, इस मामले में पीड़ित परिवार का अब भरोसा खत्म सा हो गया। पूर्व में पुलिस के एक बड़े अधिकारी पर अपराधियों को बचाने के आरोप लगे। उसके बाद पुलिस द्वारा अब तक असली गुनाहगार को नहीं पकड़ पाने में असफल रही है। एसआईटी सिर्फ बयान दर्ज करने तक ही सीमित रह चुकी है। अगर कोई अपने बयान पर मुकर जाता है तो पुलिस उसे हलके में ले लेती है। एक प्रकार से इस केस में कानूनी मजाक चल रहा है। हर कोई इस केस को दबाने का प्रयास भी कर रहा है।
पहले दिन से ही स्कूल प्रबंधन ने इस पूरे मामले में कई तथ्यों को छुपाया तथा इतना ही नहीं स्कूल के कई सीसीटीवी फुटेज भी गायब दिखे। इससे साफ साबित हो जाता है कि स्कूल प्रबंधन को इस घटनाक्रम का पूर्व में ही पता था। सिर्फ स्कूल की शान को बचाने के लिए , उसने सच्चाई को सिरे से ही दबा लिया। इस पूरे घटनाक्रम से इस बात का भी संकेत मिलता है कि प्रबंधन को असली गुनाहगार का भी पता है। जानबूझकर उसे छिपाया जा रहा है। ऐसा करने से सच्चाई पर पर्दा नहीं डाला जा सकता है। कभी न कभी सच्चाई तो बाहर आएगी।
प्रधान-संपादक विनय कोछड़ ( एसएनई न्यूज़) रेप मासूम बच्ची पीड़िता