नितिन धवन.वरिष्ठ पत्रकार विजय शर्मा का उल्लेख।
भारत देश एक, अखंडता की वजह से एक वैश्विक रुप में शुरू से ही अलग पहचान के रुप से जाना जाता रहा है। लेकिन, कुछ धर्म के ठेकेदार लोग सस्ती राजनीति की शोहरत हासिल करने के लिए हमेशा से ही दो समुदाय के प्यार को टकराव में बदलने के लिए ओछी हरकतों को अंजाम देते आए हैं। इन्ही लोगों की वजह से ही देश की छवि को आहत पहुंचती हैं। एक दिन पहले बटाला की घटना ने सभी को झकझोर कर दिया। एक समुदाय के शख्स ने गलती की तो कुछ धर्म के ठेकेदार लोगों ने अपने रसूख का फायदा लेकर विशेष समुदाय की सभी दुकानें बंद करा दी। उन पर तरह-तरह से संगीन आरोप लगा दिए। कहा कि यह लोग हमारी धर्म की बेटियों को छेड़ते है तथा उन्हें गंदी नजर से देखते है। ठीक है, जिसने कानून तोड़ा है, उसे सजा देने का साथ-साथ सारे समुदाय को सजा देने का कोई मतलब भी नहीं बनता है। उसके लिए थाना एवं अदालत है। कानून तोड़ने वालों के खिलाफ यह कानूनी प्रक्रिया सजा तय कर सकती है।
दुख होता है, जब यह धर्म के ठेकेदार एक विशेष समुदाय के व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करा रहे थे तो पुलिस कहां थी? क्या वह दांत के तले उंगलियां चबा रही थी या फिर मूकदर्शक होकर बैठी थी? यह सब सवाल है, जिसका हर कोई जवाब ढूंढ रहा हैं। लेकिन उतर किसी के पास नहीं है। पिछले दिनों हुई अप्रिय घटनाओं को लेकर पंजाब हाई अलर्ट पर हैं। पंजाब पुलिस निदेशक तथा गृह-मंत्रालय ने सभी जिला पुलिस आयुक्त को पत्र जारी कर स्पेशल हिदायत दे रखी है कि अपने शहर की कानून व्यवस्था को कायम रखी जाए। अगर कोई घटना संज्ञान में आती है तो तुरंत कार्रवाई की जाए। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि अब तक बटाला की घटना को लेकर पुलिस ने तो कोई कार्रवाई नहीं की। कुछ तस्वीरें तो यह भी बयां करती है कि एक समुदाय की दुकानें बंद की जा रही थी तो पुलिस का एक कर्मी भी नजर नहीं आया। ऐसे में पुलिस कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा होता हैं कि क्या उन्हें किसी प्रकार से कोई दबाव था या फिर जानबूझकर इस मसले में अपनी हस्तक्षेप नहीं की?
सर संघ संचालक मोहन भागवत का पिछले दिनों आए एक बयान में उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि हमें विश्व विजेता नहीं बनना है, बल्कि हमने सभी को एक साथ जोड़ना है। भारत किसी को जीतने के लिए नहीं आया। उनकी लाइनों का भाव अर्थ यह निकलता है कि देश में आरंभ से ही हर समुदाय के लोग आपस में मिलजुल कर रहते आए है तथा हमें अन्य समुदाय को भी एक साथ जोड़ने का काम करना होगा। किसी के साथ लड़ना नहीं है, प्यार तथा एकता का परिचय देना है। जबकि, बटाला की घटना में एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता तथा उनके सहयोगियों द्वारा जिस प्रकार से कृत्य किया गया है, उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहीं लोग एक बड़े शहर का माहौल खराब करने में तुले है। ऐसे में एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि इन लोगों के खिलाफ विश्व की नंबर वन पार्टी होने का दावा करने वाली को उक्त नेताओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर एक अच्छा देना होगा, ताकि एक उदाहरण सटीक बैठ जाए कि पार्टी का काम है लोगों को साथ जोड़ना नाकि एक-दूसरे से तोड़ने का ।
पंजाब में हमेशा से ही हर एक समुदाय के लोग रहते है, इतना ही नहीं एक दूसरे के रीति-रिवाज से लेकर त्यौहार तक आपस में मना कर एक सच्चे पंजाबी होने के साथ-साथ एक उच्च भारतीय होने का परिचय देते हैं। किसी प्रकार से कोई भेदभाव होने की बात भी सामने नहीं आई। अब कुछ समय में देखने को आ रहा है कि कुछ लोग धर्म तथा राजनीति की आड़ में सभी समुदाय के प्यार को बिखेरने का काम कर रहे हैं। अपने साथ शरारती तत्वों का समर्थन लेकर माहौल को खराब कर रहे हैं तथा बिना किसी आरोप को साबित होने से पहले ही कानून को हाथ में लेकर इसकी धज्जियां भी उड़ा रहे हैं। वक्त की मांग है कि देश के सौहार्दपूर्ण माहौल को कायम रखने के लिए इन लोगों के पर काटने की जरूरत है, नहीं तो यहीं लोग देश को आग में धकेलने में जरा सा भी समय नहीं लगाएंगे।
सवाल यह भी खड़ा होता है कि पुलिस को इस प्रकार की स्थितियों से निपटने के लिए फ्री हैंड करने की जरूरत है। क्योंकि, सांप्रदायिक घटनाओं को अंजाम देने के पीछे हमेशा से ही गंदी राजनीति का अहम रोल रहा है। पुलिस को अपने हाथ की कठपुतली बना कर , उन्हें जानबूझकर कोई भी एक्शन लेने से पहले ही रोक दिया जाता है। मामला जब गर्म हो जाता है, समाज का नुकसान हो जाता है तो यहीं नेता पुलिस पर दोष थौंप देते है। फिर पुलिस को एक्शन लेने के लिए मैदान में उतार दिया जाता है। मगर, तब तक परिस्थितियां काफी विकराल रुप धारण कर लेती हैं। मनुष्यता तथा व्यापारिक तौर पर तब तक काफी नुकसान हो जाता है। इसकी भरपाई तो शायद कोई नहीं पूर्ण कर पाता है।
वक्त की मांग है कि पंजाब का माहौल को खराब करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने का। अगर कोई भी समुदाय का विशेष व्यक्ति गलत काम करता है तो उससे निपटने के लिए देश की एजेंसियां तथा पुलिस विभाग मौजूद है, उन्हें पता होता है कि किस प्रकार से इन परिस्थितियों से निपटना हैं। इसमें धर्म के ठेकेदारों को अपनी सलाह देने तथा कानून को अपने हाथ में लेने का कोई औचित्य नहीं बनता है। अगर यह लोग इस प्रकार की कोई हरकत करते है तो कानून को भी अपना काम करते हुए, इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में जरा सा भी संकोच नहीं करना चाहिए।