127 वां अहमदिया जमात सम्मेलन आरंभ….. इंसानियत तथा अल्लाह ताला के दिखाए मार्ग पर चलने का संदेश……कोविड़-19 नियमों की रखी खास पालना

नितिन धवन.कादियां (गुरदासपुर)। 

अहमदिया मुस्लिम जमात का 127 वां वार्षिक सम्मेलन कादियां में शुक्रवार को आरंभ हो गया। 3 दिन तक चलने वाले, इस सम्मेलन में देश-विदेश से प्रख्यात विद्वानों ने हिस्सा लिया। इंतजाम बड़े अच्छे रहें। खास बात यह रही कि ठंड अधिक होने के बावजूद काफी संख्या में जमात के हर वर्ग के लोगों ने शमूलियत की। जमात की तरफ से बढ़िया तरीके से इंतजाम किए। ध्यान देने वाली सबसे बड़ी बात रही कि हर किसी ने कोविड-19 के नियमों की पूरी तरह पालन किया। एक-दूसरे से सामाजिक दूरी रखी गई। सुबह से शुरू हुआ सम्मेलन देर सायं तक चलता रहा। इंसानियत तथा अल्लाह ताला के दिखाए मार्ग पर चलने का संदेश दिया गया।

कब शुरू हुआ था सम्मेलन, जानिए, इस खास रिपोर्ट में 


131 साल पहले आज ही के दिन 1891 में अहमदिया मुस्लिम जमात के संस्थापक हजरत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानी ने इसकी नींव रखी। तब से अल्लाह के आदेश से अंतर-विश्वास शांति और सुलह को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। इस आध्यात्मिक सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है कि दुनिया को उसके वास्तविक निर्माता के पास बुलाना। ईश्वर के प्राणियों के बीच आपसी सहानुभूती पैदा करना। अनुयायियों के बीच अंतर-विश्वास-भाईचारे और सद्भाव को बढ़ावा देना है। जमात का कहना है कि यह सभा कोई साधारण सम्मेलन नहीं है, अपितु प्रकृति और इतिहास की दृष्टि से यह अद्वितीय एवं विशिष्ट सम्मेलन है। यह जलसा एक आध्यात्मिक सभा है जिसमें दूर-दूर से सत्य के साधक अपने सांसारिक लक्ष्यों और उद्देश्यों को छोड़कर यात्रा की कठिनाइयों को सहन करते हुए आते हैं। 

विदेश से भी अतिथियों ने लिया हिस्सा

इस बार सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रान्तों तथा विदेशों से भी अतिथि ने भाग लिया। सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 के सभी एहतियाती उपायों का पालन किया गया। देश-विदेश से आए खास प्रतिनिधियों ने अपने भाषण के माध्यम से अल्लाह ताला के दिखाए मार्ग तथा सच्चाई के साथ जीवन व्यतीत करने की सीख दी गई। 

इस बात पर दिया जोर


इस सभा के माध्यम से, अहमदिया मुस्लिम जमात द्वारा इस संदेश को बढ़ावा दिया कि मनुष्य को अपने निर्माता की ओर मुड़ना चाहिए। सभी के लिए प्यार और किसी के लिए कोई नफरत” के सिद्धांत को अपनाना चाहिए। अन्य लोगों की धार्मिक भावनाओं और भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।

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