….बिक चुके है मीडिया के बड़े घराने सरकार समक्ष…..कलम हो चुकी गुलाम

अंग्रेजी शासनकाल में भारतीय मीडिया का अहम रोल रह चुका हैं। उनकी नाक में दम करने से लेकर उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया। कलम से लिखे शब्दों ने फिरंगियों को हिला कर रख दिया था। वर्तमान में बड़े-बड़े मीडिया घराने तो सरकार के समक्ष झुक चुके हैं। कलम गुलाम हो चुकी हैं। सरकार के इशारे पर ही प्रकाशित किया जा रहा हैं। सही-गलत का फर्क मीडिया भूल चुकी हैं। महंगाई, गलत नीतियों का बखान बिल्कुल ही नहीं किया जा रहा हैं। सिर्फ तो सिर्फ सरकार के कार्य को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रहा हैं। आम-जनता ने तो अब मीडिया पर विश्वास करना ही छोड़ दिया हैं। वह अब जान चुके है कि मीडिया जो दिखा रहा है , वह सही नहीं है। कोई सच्चाई भी नहीं हैं। 

एक समय गरीब की आवाज बनकर मीडिया समाज के सामने आता था। अब मीडिया तो गरीब के मुद्दों को ही भूल चुका हैं। सिर्फ तो सिर्फ सरकार एवं अमीर घरानों की सुर्खियों को ही अपनी कलम से पिरो रहा हैं। पता है कि उन्हें प्रमुखता से दिखाने में ही उनकी भलाई हैं। यहां से खूब सारा पैसा तथा विज्ञापन हासिल होता हैं। अगर, सही मुद्दों पर काम किया तो उन्हें पैसों से हाथ भी धोना पड़ सकता हैं। ध्यान से देखें तो वर्तमान में इतने मुद्दे है, जिन्हें मीडिया दबा कर बैठा है। उन्हें समाज की नजरो से दूर कर रहा हैं। 

शुक्र, इस बात का है कि वर्तमान में सोशल मीडिया है। अगर , ऐसा नहीं हुआ होता तो शायद लोगों की जुबान ही खामोश हो जाती। अब किसी प्रकार से कोई समस्या हो तो सोशल मीडिया में जल्दी से घटनाक्रम वायरल हो जाता है। ऐसे में सरकार से लेकर प्रशासन जाग जाता हैं। लोगों का रुझान भी सोशल मीडिया में काफी दिखाई दे रहा हैं। दिल की बात से लेकर समस्या को जल्दी से जल्दी सोशल मीडिया में फटाफट प्रसारित किया जा सकता हैं। 

सोशल मीडिया प्लेटफार्म में तो सच्चाई का साथ देने वाले कई बड़े पत्रकारों ने अपना-अपना दायरा स्थापित कर लिया। अब वे लोग खुश भी है, क्योंकि, उन्हें दुनिया के समक्ष सच्चाई दिखाने में कोई रोक नहीं सकता हैं। कई लोग उनके साथ जुड़ चुके हैं। इंतजार, इस बात का रहता है कि कब उनकी नई स्टोरी प्रसारित होगी। अपने सुझाव से लेकर सही-गलत लिख कर , उन्हें सही-गलती के फर्क बारे लोग बताते रहते है। भविष्य में हर पहलू पर ध्यान देकर बढ़िया करने का प्रयास करते है। 

प्रधान संपादक—विनय कोछड़ ।

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