मूकदर्शक बनी पुलिस………लाल बत्ती वाली गाड़ी में अधिकारियों को मिली रही राह
वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर चंडीगढ़। किसी ने सही कहावत बनाई है कि हिंदुस्तान चल रहा है राम-भरोसे…..। यह कहावत अब पंजाब के अमृतसर में बिल्कुल सही सटीक बैठ रही हैं। क्योंकि, यहां के वल्ला बाईपास सड़क पर निर्माणाधीन पुल के कारण पिछले 2 साल से आम जनता जाम में बुरी तरह से फंसने का कष्ट सहन कर रही हैं। सूत्रों से प्रमाण हासिल हुए इस निर्माणाधीन पुल के पीछे बड़ा घोटाला छिपा हुआ हैं। आहट, इस बात की भी आ रही है कि सरकार ने इस घोटाले के लिए जांच के आदेश जारी कर दिए। सवाल, इस बात का खड़ा होता है कि आम-जनता क्यों परेशानी का सबब बनें। क्योंकि, जनता के खून-पसीने की कमाई से विकास कार्य होता हैं। मालूम हुआ है कि अब जनता ने भी सरकार से हिसाब मांगना शुरू कर दिया।
2 साल पहले, वल्ला बाई पास में सड़क के जाम को समाप्त करने के लिए पुल बनाने का काम आरंभ हुआ। लगभग 200 मीटर पुल के पिलर खड़े करने में कंपनी कामयाब नहीं हो पाई। सत्ता में ईमानदार सरकार का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को इस बात की भनक लगी कि पिछली सरकार द्वारा कंपनी को फंड जारी कर दिया गया। लेकिन, काम को कंपनी ने सही ढंग से चालू नहीं किया। जांच-पड़ताल में इस कंपनी का घोटाला करने की बात सामने आई तो बड़ी कार्रवाई हुई। पता चला है कि काम को बीच में छोड़ दिया गया। प्रतिदिन जाम लगभग 2-3 किलोमीटर लग जाता हैं। आम-जनता खासा परेशान हो जाती है। हैरान करने वाली बात यह है कि जाम को निकालने के लिए पास में खड़ी पुलिस सिर्फ तो सिर्फ मूकदर्शक रह जाती हैं। लगभग समय अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। शिकायत, इस बात की भी आ रही है कि बेवजह वाहन चालकों को रोक कर , उन्हें परेशान किया जाता हैं। सिर्फ तो सिर्फ लाल बत्ती वाले पुलिस अधिकारियों को जाम में रास्ता दिया जाता हैं। अन्य लोग खड़े-खड़े परेशान होते रहते हैं।
नाकाबंदी से नहीं चलेगा काम
परेशान लोगों ने बताया कि प्रतिदिन जाम की वजह से वे लोग अपने गंतव्य में पहुंच नहीं पाते। पुलिस मूकदर्शक बनी रहती हैं। सिर्फ तो सिर्फ नाकाबंदी पुलिस कर देते हैं। लोगों का तर्क था कि नाकाबंदी से काम नहीं चलने वाला हैं। इसके बजाय अगर पुलिस जाम को खुलवाने में सही ढंग से ड्युटी दें तो शायद इस मसले का हल निकल सकता हैं।
व्यापारिक प्रतिष्ठान पर प्रतिकूल असर
दुकानदारों का कहना था कि लंबे जाम की वजह से व्यापारिक प्रतिष्ठान पर प्रतिकूल असर पड़ रहा हैं। ग्राहक खरीदारी के लिए जहां ठहराव भी नहीं करता हैं। खर्च निकालना काफी कठिन हो रहा हैं। कई बार प्रशासन से मांग कर चुके है कि इस समस्या से निजात दिलाए, लेकिन कोई उनकी बात को गंभीरता से नहीं ले रहा हैं। अगर समस्या इस प्रकार रहीं तो उन्हें अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।