लेखक विनय कोछड़।
तालिबानी तथा खालिस्तानी आतंकियों में कोई खास अंतर नहीं हैं। विचारधारा, वेशभूषा से लेकर अपराध को अंजाम देने में भी दोनों एक सिक्के के पहलू हैं। अमेरिका को दर्द देने वाले तालिबान के अलकायदा प्रमुख ओसामा-बिन-लादेन को पाकिस्तान की धरती में घुस कर मार गिराया था, जबकि, भारत के खिलाफ जहर उगलने से लेकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह को अमेरिका अपने देश में पनाह देने के साथ-साथ उसे सुरक्षा मुहैया करा रहा हैं। यह पहलू काफी हैरान करने वाला है। शायद, अमेरिका को इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं कि यह आतंकी एक दिन उसके देश की आन-बान-शान को चोट पहुंचाने वाले हैं। एक आतंकी सोच किसी मानवता तथा देश के लिए कभी सही साबित नहीं हो सकती हैं। इसके कई उदाहरण सामने आए, जिसके उपरांत समर्थन करने वाले देशों को मुंह की खानी पड़ी। अंत में इन लोगों ने उसी देश के लिए खतरा पैदा कर, राष्ट्र को हानि ही पहुंचाई। अमेरिका को इस बात का भी सबक लेना चाहिए कि आतंकवादी सोच किसी राष्ट्र के लिए सकारात्मक साबित नहीं हुई।
पन्नू जैसे आतंकियों ने भारत में जहर उगलने से लेकर आतंकी वारदात को अंजाम दिया। देश का माहौल खराब करने में पन्नू का अहम रोल रहा। कई बार उसके साथियों को गिरफ्तार कर पूछताछ में बड़ा खुलासा हो चुका हैं। पन्नू के खिलाफ भारत ने कई बार साक्ष्य अमेरिका को दिए। एक बार उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर अमेरिका ने इस बात का प्रमाण दे दिया कि वह पन्नू के समर्थन में हैं। पिछले दिनों अमेरिका में एक की गिरफ्तारी हुई। अमेरिका ने आरोप लगाए कि उनके नागरिक पन्नू की हत्या की साजिश भारत से रची गई। आरोप लगाए कि अपराधी का साथ भारतीय सरकारी अधिकारी ने दिया। अब अमेरिका की एजेंसी, इस मामले को लेकर भारत पहुंच रही हैं। इतना ही नहीं, एजेंसी के प्रमुख सहित एक विशेष दल तहकीकात के लिए भारत पहुंच रहा हैं।
उधर, भारत की आतंकरोधी जांच दल (एनआईए) भी अमेरिका की एजेंसी के समक्ष पन्नू के खिलाफ सबूत पेश करने जा रहा हैं कि किस तरह से आतंकी ने अमेरिका की धरती से भारत के खिलाफ कई बार अपराध को अंजाम दिया। मजा तो इस बात का है कि अमेरिका फेडरल ब्यूरो इंवेस्गिेशन टीम (एफबीआई) पन्नू के खिलाफ लगाए आरोप के प्रमाण लेकर अपने साथ जाए तथा उसके खिलाफ कानून के आधार पर कार्रवाई करते हुए भारत के हवाले कर दें। अगर ऐसा संभव होता है तो वाक्य में अमेरिका एक सच्चे दोस्त होने का रोल निभा सकते हैं। लेकिन, विशेषज्ञ, इस बात को लेकर अभी साफ नहीं दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि अमेरिका की हमेशा से ही फितरत रही है कि समय के साथ अपना रंग बदल लेते हैं।
जैसा कि भारत ने हमेशा ही कूटनीति तरीके से हर देश को जवाब देने में सफलता हासिल की। उसे , इस मुद्दे पर भी कूटनीति अपनानी होगी।देश के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर की सूझबूझ ने हमेशा ही भारत को जीत हासिल कराई हैं। इस बार भी जयशंकर का रोल अहम रह सकता है। वह कूटनीति से ही अमेरिका को करारा जवाब दे सकते है तथा पन्नू का भारत प्रत्यर्पण कराने में भी अहम रोल निभा सकते है।