वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
भारत-कनाडा के बीच चल रही रिश्तों की खटास को लेकर पक्की नागरिकता (पीआर) हासिल करने के इच्छुक विद्यार्थियों में काफी बेचैनी का माहौल पाया जा रहा हैं। खबर सामने आई है कि कनाडा सरकार ने काफी सख्त नियम कर दिए हैं। इसके लिए विद्यार्थियों को पालन करना काफी कठिन हो सकता हैं। कनाडा के कई छोटे राज्यों में विद्यार्थियों ने रुख कर लिया। अधिकतर विद्यार्थी बेहद ठंडे राज्य होने की वजह से कम जाते रहे।
कनाडा सरकार के इन सख्त फैसलों से घबराए विद्यार्थियों ने पीआर के लिए हाथ पांव मारने शुरू कर दिए हैं। हालांकि कनाडा सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक तरफ ये भारत सरकार के साथ कड़वाहट का जवाब माना जा रहा है, वहीं, जिन बेहद ठंडे और बेआबाद राज्यों में कनाडा सरकार आबादी बढ़ाना चाहती है उस टारगेट को पूरा करने की तरफ यह सख्त लेकिन असरदार कदम माने जा रहे हैं।
.…इस तरफ विवश हो रहे विद्यार्थी
पीआर के लिए पीजीडब्ल्यूपी (पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट) धारक भारतीय अब ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया प्रमुख प्रोविंस से दूर मैनिटोबा, सस्केचेवान, प्रिंस एडवर्ड, न्यू ब्रुनस्विक, न्यू फाउंडलैंड एंड लैब्राडोर, अल्बर्ट और नोवा स्कोशिया बेहद ठंडे और कम आबादी वाले इलाकों की तरफ जाने को विवश हो गए हैं।
इन नौकरियों की है भरमार
कनाडा में भी प्लंबर, इलेक्ट्रिशन, बारबर, मेसन, हैवी ड्राइवर, ऑपरेटर और छोटी बड़ी गाड़ियों के मैकेनिक के लिए नौकरियों की भरमार है।
इसके अलावा कई ऐसे काम है जिनमें हुनरमंद लोगों की कनाडा को जरूरत है। कनाडा सरकार का मकसद कम आबादी वाले ठंडे इलाकों को आबाद करना है। लेकिन भारत से कनाडा आने वाले 90 प्रतिशत स्टूडेंट बिजनेस, एयरलाइन की पढ़ाई और हॉस्पिटैलिटी जैसे आसान कोर्स करने आते हैं | उनका मकसद सिर्फ कनाडा पहुंचना होता है।