वरिष्ठ पत्रकार.अंतरराष्ट्रीय डेस्क।
भारतीय मूल के ब्रिटेन में प्रसिद्ध डॉक्टर टोनी ढिल्लों ने एक नया इतिहास आंत के कैंसर को ठीक करने वाली वैक्सीन को बनाकर रचने लगे है। इस शोध में उनका साथ आस्ट्रेलिया एक डॉक्टर ने दिया। ऐसा होने से प्रतिवर्ष दुनिया के 50 लाख रोगी बच जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस शोध पर उन्होंने वैक्सीन को विकसित करने पर 4 साल तक काम किया है। अब इस वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा।
दरअसल, डॉ. टोनी ढिल्लों रॉयल सरे एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट में ऑन्कोलॉजिस्ट हैं। उनके मुताबिक, वैक्सीन विकसित होने में लगभग 4 वर्षों का समय लग सकता हैं।
यह ट्रायल ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में रॉयल सरे और साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में कैंसर रिसर्च क्लिनिकल ट्रायल यूनिट द्वारा चलाया जाएगा। क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल इसमें सहयोग करेगा। इस ट्रायल को लेकर डॉक्टर ढिल्लों ने कहा, यह किसी भी आंत के कैंसर की पहली वैक्सीन है। हमें उम्मीद है कि यह सफल होगी। इससे बहुत सारे रोगियों के अंदर से यह कैंसर पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा, यह अभूतपूर्व है। मुझे लगता है कि जैसे हम हकीकत में कुछ बड़ा करने के करीब हैं। वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करेगी। यह जिंदगी को बदलने वाली होगी, क्योंकि इसके बाद रोगियों को सर्जरी कराने की जरूरत नही होगी।
लगभग 50 के करीब मरीजों पर होगा वैक्सीन का ट्रायल
ट्रायल में लगभग 50 रोगियों को शामिल किया जाएगा। वैक्सीन पर अध्ययन 2 साल के करीब तक चलेगा। ऑस्ट्रेलिया में 6 और ब्रिटेन में 4 स्थानों पर रोगियों पर यह ट्रायल किया जाएगा। अगर ट्रायल सफल होता है तो वैक्सीन को इस्तेमाल के लिए लाइसेंस दिया जाएगा या इस पर एक बड़ा अध्ययन होगा।