CONGRESS POLITICS–सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति से हटी..राज्यसभा का बनेगी सदस्य, प्रियंका लड़ेगी रायबरेली से चुनाव…..राहुल से नाखुश नेताओं की बड़ी लाबी

वरिष्ठ पत्रकार.नई दिल्ली। 

कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने  जमीनी (सक्रिय) राजनीति से अपना मुंह फेर लिया है। वह अब अपने बेटे राहुल गांधी तथा बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथ में पार्टी की कमान देने का पूरा मन बना चुकी है। आम-चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। अब राज्यसभा का सदस्य बनने का मन बना लिया। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि वह राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ सकती है। प्रियंका लोकसभा रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकती है। इस समय सोनिया गांधी रायबरेली से सासंद है। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि सोनिया गांधी स्वास्थ्य रूप से ठीक नहीं है, कई बार उनकी सर्जरी हो चुकी है। स्वास्थ्य कारणों की वजह से सक्रिय राजनीति से काफी दूर चल रही है। 

सोनिया गांधी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी है। सास देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। देश में राजनीति से जुड़ा गांधी परिवार सबसे पुराना है। कांग्रेस पार्टी भी इस परिवार की बदौलत से चलती है। परिवार का एक दिशा-निर्देश फाइनल मोहर होता है। कांग्रेस कार्यकाल में जितने पीएम परिवार से बाहर का सदस्य बना, उन्हें गांधी परिवार की सहमति से बनाया गया। परिवार पर आरोप भी लगते रहे कि कांग्रेस पीएम को गांधी परिवार चलाया आया। हर फैसला उनकी सहमति से होता रहा है। इसलिए, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को पीछे चलाने का गांधी पर  आरोप लगा। 

राजनीति विशेषज्ञ मान कर चल रहे है कि सोनिया गांधी का राजनीति में सक्रियता कम दिखाना भी पार्टी के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। सोनिया के काम करने का तरीका तथा लोगों के बीच जाकर, उनका दिल जीत लेना अन्य नेता के बस की बात नहीं है। राहुल गांधी राजनीति में कामयाब नेता अब तक साबित नहीं हो पाए। उनके भाषण तथा तंज हमेशा उनके खिलाफ चल जाते है। प्रधानमंत्री को घेरना हमेशा उनके लिए प्रतिकूल ही साबित हुआ। तिरंगा यात्रा जैसे कई कार्यक्रम उनके तथा पार्टी के लिए खास कारगर साबित नहीं हुए। देश में कई राज्य में चुनाव हुए, लेकिन, पार्टी को ज्यादा फायदा राजनीति तौर पर नहीं मिला। इतना ही नहीं, कांग्रेस कुछ राज्यों तक सिमट कर रह गई। कई इसके पीछे राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराते है। 

पिछले समय कांग्रेस के कई शीर्ष नेता पार्टी छोड़ गए। उनके मुताबिक, वह राहुल का सक्रिय राजनीति में चेहरा पसंद नहीं करते है। क्योंकि, उनका फैसला कभी पार्टी के अन्य नेताओं से विमर्श नहीं किया जाता है। ऐसा नहीं कांग्रेस के पास अच्छे नेताओं के फौज की कोई कमी है। सब कुछ है, उसके बावजूद गांधी परिवार का पार्टी में पूरा-पूरा दबदबा है। उन्हें ही हमेशा अंतिम फैसले के लिए सर्वोपरि समझा जाता है। कई बार फैसला गलत भी साबित हो सकता है, इसलिए कांग्रेस को आगे बढ़ने के लिए कई बदलाव करने की आवश्यकता है। 

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, भाजपा के जीत का रथ रोकना इतना आसान नहीं है। क्योंकि, उनके पास एक से बढ़कर एक नेता के फौज है। सबसे बड़ी बात पार्टी में अनुशासन पूरा पूरा है। हर नेता से लेकर वर्कर को पार्टी की बात को मानना पड़ता है। विरोध करने वालों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, जबकि, कांग्रेस सहित अन्य दल में यह कुछ नहीं है। 

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