CONTERVERSIAL STATEMENT—इन कांग्रेस नेताओं ने कहा, खरगे की रैली हुई पूरी फेल, बोले…इससे तो अच्छा सिद्धू की रैली में पहुंच जाते लोग

वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़। 

इन दिनों पंजाब कांग्रेस में कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। ताजा उदाहरण , समराला में हुई राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष  खरगे की रैली उपरांत पैदा हुए माहौल से पता लग सकता है। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग होकर साफ तौर पर कह दिया कि खरगे की रैली एकदम पूरी तरह से फेल रही। इससे तो अच्छा नवजोत सिंह सिद्धू की रैली में लोग पहुंच जाते है। 15-16 हजार लोगों की संख्या अक्सर की सिद्धू की रैली में देखने को मिल जाती है। खरगे की रैली में तो सिर्फ सैंकड़ों में लोग ही पहुंचे थे। कई बड़ा नेता या फिर सक्रिय वर्कर नहीं देखा गया। पैसे देकर लोगों की भीड़ इकट्ठा की गई। आरोप लगाने वाले नेताओं ने इस बात का प्रमाण भी दिया। इससे यह बात साफ हो जाती है कि पंजाब में कांग्रेस के बड़े नेताओं की एक बड़ी संख्या सिद्धू के साथ है। वह उन्हें पंजाब का प्रमुख चेहरा देखना चाहती है। उनका आरोप है कि पंजाब कांग्रेस में उच्च पद पर बैठे नेता कांग्रेस का माहौल खराब कर रहे है। इस बात का प्रमाण है कि प्रत्येक कार्यक्रम में सिद्धू को नजरअंदाज किया जा रहा है। इतना ही नहीं, उन्हें न्योता तक नहीं भेजा जाता है।  

समराला में पंजाब कांग्रेस ने प्रदेश स्तर की रैली आयोजित की थी। आम-चुनाव को लेकर कांग्रेस जनता के बीच बड़ा संदेश देना चाहती थी। रैली को संबोधन करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राष्ट्रीय नेताओं सहित पहुंचे। वहां पर हजारों की संख्या में कुर्सियां खाली थी। पैसे देकर लोगों को इकट्ठा किया गया। उनमें भी अधिकतम संख्या धीरे-धीरे कम होने लग पड़ी। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि खरगे ने पंजाब में रैली आयोजित करने वाले नेताओं की बाद में खूब क्लास भी लगाई। उन्हें फटकार भी लगी। पता चला है कि बड़े पद के नेताओं का हाईकमान में संदेश अच्छा नहीं गया। रैली की सारी रिपोर्ट हाईकमान ने मंगवा ली। उधर, पार्टी से अलग चल रहे कांग्रेस के बड़े नेताओं ने तो इस रैली को पूरी तरह से फेल बताया तथा इसका आरोप पंजाब कांग्रेस नेतृत्व पर जड़ दिया। 

उनके मुताबिक, नवजोत सिंह सिद्धू एक अच्छे नेता है। लोग उन्हें बहुत पसंद करते है। रैली में उनकी आवाज सुनने के लिए अक्स 10-15 हजार लोग ऐसे ही इकट्ठा हो जाते है। पूरा भाषण सुनें बिना वहां से हिलते तक नहीं है। पता नहीं, पंजाब नेतृत्व उन्हें क्यों नजरअंदाज करता है। कई बार बैठक से लेकर रैली आयोजित हुई किसी पंजाब के नेतृत्व वाले नेता ने उन्हें निमंत्रित तक नहीं किया। हाईकमान को  इस बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए। आम-चुनाव समीप है। कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी है। इसके लिए हाईकमान को चाहिए कि सभी को एक साथ बैठाकर एक-एक बात सुन उसे प्राथमिक के तौर पर हल किया जाना चाहिए। इसका फायदा कांग्रेस को पंजाब के आम चुनाव में मिल सकता है। 

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