लेखक विनय कोछड़.चंडीगढ़।
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तथा बेटे सहित भाजपा में शामिल होने की अटकलें अभी थमी ही नहीं थी कि अब कांग्रेस के एक बहुत बड़े नेता लोकसभा सीट आनंदपुर साहिब के कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई। कांग्रेस हाईकमान से नाराज चल रहे तिवारी पार्टी गतिविधियों से भी लंबे समय से किनारा कर चुके है। कांग्रेस में वह बहुत ऊंचे कद के नेता की पहचान रखते है। तिवारी परिवार कांग्रेस पार्टी से काफी लंबे समय से जुड़ा है। खुद पिछले चार दशक से पार्टी का सेवा कर रहे है। फिलहाल, तिवारी तथा उनके किसी करीबी ने भाजपा में जाने की कोई पुष्टि नहीं की। लेकिन, कयास इस बात के लगने शुरु हो चुके है कि कभी भी तिवारी फूल में खिल सकते है। अफवाहें तो इस बात की भी चल रही है कि तिवारी को भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी भी मिल सकती है।
वर्ष 2020 में नाराज कांग्रेस नेताओं की सूची में तिवारी का नाम भी था। उस दौरान , कांग्रेस के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद ने तो पार्टी ही छोड़ दी थी। कपिल सिब्बल भी इन नेताओं की सूची में शामिल थे। दरअसल, पुराने कांग्रेस के बड़े नेताओं का मत था कि उन्हें कांग्रेस हाईकमान नजरअंदाज करती है, कोई फैसला लेने से पूर्व उनकी सहमति नहीं ली जाती है। इसी कारण कांग्रेस काफी कम संख्या में रह चुकी है। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर भी बड़ा सवाल उठाया था। तब चर्चा इस बात की चली थी कि उक्त नेता गांधी परिवार से हटकर किसी अच्छी साख वाले नेता को अपना नेता बनाना चाहते थे। जो कि कांग्रेस नेतृत्व तथा गांधी परिवार को पसंद नहीं आया, इसलिए, इन नेताओं को अब नजरअंदाज किया जाता है। कुछ नेता तो कांग्रेस छोड़ चुके है। अब तिवारी की भाजपा में सुगबुआहट आने को लेकर चल रही चर्चाओं ने कांग्रेस को कमजोर करने की ओर बल दे दिया।
तिवारी का परिवार काफी लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि मनीष तिवारी के पिता भी कांग्रेस के बड़े नेता थे। इस परिवार ने पार्टी के लिए बलिदान भी दिया। तिवारी की एक समय कांग्रेस में काफी अच्छी पकड़ थी। हर फैसला गांधी परिवार तिवारी की सहमति के बिना नहीं लेता था। वर्ष 2020 में कांग्रेस के बड़े नेताओं के गुट में चले जाने से कांग्रेस हाईकमान तथा गांधी परिवार से दूरियां बन गई। पार्टी गतिविधियों से भी तिवारी ने किनारा कर दिया। भीतरघात, वह कांग्रेस से नाराज चल रहे है । जिस वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने का मन बना लिया। चर्चा, इस बात की भी है अगर तिवारी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लेते है तो पंजाब तथा केंद्रीय कांग्रेस के बड़े चेहरे तथा नेता उनके साथ जा सकते है। इससे कांग्रेस को काफी संख्या में नुकसान होगा।
तिवारी लोकसभा सीट श्री आनंदपुर साहिब से 2 बार सांसद बन चुके है। उन्होंने हर बार अपने प्रतिद्वंद्वी को भारी मत से हराया। अगर, केंद्र में कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी होती तो तिवारी अवश्य केंद्रीय मंत्री होते। लेकिन, तिवारी भाजपा की सीट पर चुनाव जीत जाते है तो केंद्र में बड़ा कद मिलना तय है।