BREAKING NEWS-इस विभाग में हुआ करोड़ों का घोटाला……लंबे समय से सरकारी खजाने को यह अधिकारी लगा रहे थे चूना….जांच-पड़ताल में विजिलेंस देख रह गई दंग

वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।

सरकारी विभाग में बहुत बड़ा घोटाला हुआ। जांच में आरोपी पाए जाने वाले मुख्य नगर नियोजक (सीटीपी) सहित कुल 3 के खिलाफ विजिलेंस ने मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया। बीती शाम मुख्य नगर नियोजक पंकज बावा को मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने तत्काल सेवा से निलंबित कर दिया था। हाउसिंग प्रोजेक्ट डेवलपर जरनैल बाजवा और पटवारी लेख राज के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई हुई। प्राथमिक जांच में सामने आया कि सरकारी खजाना को एक करोड़ से ऊपर की लागत का चूना लगाया गया। दस्तावेज का गोलमाल किया गया। किसी प्रकार से उन्हें लिखित भाषा में नहीं इस्तेमाल किया गया। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में घोटाला से संबंधित अन्य अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सकती है। 

शनिवार की सायं विजिलेंस टीम (मोहाली) ने 3 अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। कार्यालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए। जो साफ तौर पर बड़े घोटाला के तरफ संकेत देते है। प्राथमिक जांच में 1 करोड़ से ऊपर का घोटाला सामने आया। पता चला है कि फर्जी तरीके से जगह लेकर, उसमें वेलफेयर के काम हवाला देकर पैसे को अपनी-अपनी जेब में डाल दिया। इतना ही नहीं, सरकारी खजाना में पैसे जमा तक नहीं किए गए। अन्य विभाग की भूमिका भी शक के घेरे में है। पता चला है कि उन्हें सब कुछ घोटाले के बारे पता था, लेकिन, पैसे ने सब कुछ नजरअंदाज कर दिया। 

ऐसे सामने आया घोटाला

विभाग के एक प्रमुख अधिकारी ने बताया कि उन्हें पिछले समय एक शिकायत मिली थी कि खरड़ की एक सरकारी जमीन में बड़ा गोलमाल किया गया। इसमें विभाग के बड़े अधिकारी शामिल है। प्रमुख सचिव (राज्य सरकार) ने जांच के आदेश जारी कर दिए। जांच टीम ने हर पहलू की पड़ताल काफी गंभीरता से की। इसमें पाया गया कि मुख्य नगर नियोजक सहित कुल 3 अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई। विभाग ने प्राथमिक कार्रवाई करते हुए मुख्य नगर नियोजक को तत्काल नौकरी से निलंबित कर दिया। सभी को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया। 

बिना नक्शा पास किए 78 कमर्शियल बूथ बनवा डाले


विजिलेंस ने बताया कि बाजवा डेवलपर के डायरेक्टर जरनैल सिंह बाजवा ने गमाडा के वर्ष 2014 और 2015 के समय के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मेगा प्रोजेक्ट का बिना नक्शा पास करवाए 78 के करीब कमर्शियल बूथों का निर्माण करवा डाला।  इससे सरकार के राजस्व को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुक्सान हुआ, जो नक्शे की फीस के तौर पर भुगतान किये जाने थे।

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