आम-चुनाव सर्वे-2024………..B.J.P की राह इस बार आसान नहीं, I.N.D.I.A गठबंधन रहेगा मजबूत

विनय कोछड़.दिल्ली।

लोकसभा आम चुनाव 2024 इस बार काफी रोमांचक होने वाला है। 400 पार का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा, एनडीए) गठबंधन का राह आसान नहीं लग रहा है। प्रतिद्वंद्वी गठबंधन (इंडिया) इस बार एनडीए को कड़ी टक्कर दे रहा है। उत्तर भारत में भाजपा को इतना फायदा नहीं मिलता दिख रहा है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल-प्रदेश में भाजपा कई मजबूत सीट खोने का अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि, इंडिया गठबंधन पिछली बार से अधिक सीट जीतकर बढ़त बनाने में कामयाब होता दिखाई दे रहा है। इन राज्यों में कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी कई सीटों पर आगे चल रही है। मतदाता का मिजाज इस बार कुछ बदला बदला है, खासकर युवा कांग्रेस को मत देने का अपनी दिलचस्पी दिखा रहे है। केजरीवाल का जेल जाना, पार्टी के लिए काफी फायदेमंद दिख रहा है। मतदाता की सहानुभूति केजरीवाल की ओर जाती दिख रही है। इसका फायदा आम आदमी पार्टी को साफ तौर मिलता दिख रहा है। दिल्ली में इंडिया को 3-4 सीट मिलने के पूरे-पूरे आसार है। भाजपा को आम आदमी दिल्ली में पूरी-पूरी टक्कर दे रही है। इसका कई सीटों पर कांग्रेस को फायदा होता भी दिख रहा है। यूथ राहुल की सोच को मोहर लगाने में अपनी पूरी दिलचस्पी दिखा रहे है। बुजुर्ग मतदाता इस बार बटा हुआ दिखाई दे रहा है। पिछले चुनाव में 79 फीसद इस श्रेणी ने मोदी की सोच को मत दिया था, लेकिन, इस बार मोदी फैक्टर कुछ खास असर नहीं दिखाई दे रहा है। 

सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रथम चरण के चुनाव में विपक्षी गठबंधन इंडिया को काफी संख्या में मत हासिल हुआ। 2 हजार से ऊपर लोगों में 50 फीसद ने इंडिया के समर्थन में मत करने की अपनी दिलचस्पी बताई, जबकि, एनडीए को 50 फीसद से नीचे मत हुआ। फिलहाल, शुरुआती रुझान में इंडिया गठबंधन इस बार काफी मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस बार एनडीए अपने मजबूत गढ़ को बचा पाने में इतना असरदार नहीं दिखाई दे रहा है। मतदाता इस बार विपक्ष को सत्ता की चाबी देने के मूड में नजर आ रहा है। लगता है बेरोजगारी, गरीबी का नारा कांग्रेस के राहुल गांधी का काम कर रहा है। राहुल की ताबड़तोड़ पद् यात्रा , तिरंगा रैली का असर चुनाव में दिखाई दे रहा है। हालांकि, भाजपा ने अपनी जीत के प्रचार में कोई कसर तो नहीं छोड़ी है, लेकिन, कुछ नीतियों से एक बहुत बड़ी संख्या का वर्ग इनसे नाराज भी चल रहा है। उन्हें लगता है कि इस बार अन्य पार्टी को सत्ता की चाबी सौंपने का समय आ चुका है। लेकिन, परिणाम जून में आना है, उससे पहले हर बात कयास कहीं जा सकती है। 

पता नहीं भाजपा इस बार दक्षिण भारत में अपना पसीना क्यों बहा रही है। शायद, उन्हें भीतरघात मालूम हो चुका है कि उत्तर भारत अधिक हिस्सा उनकी सत्ता से बाहर होता दिखाई दे रहा है। इसलिए, दक्षिण भारत का मत को अपनी तरफ खींचने के लिए भाजपा की बड़ी लीडरशिप को ताबड़तोड़ रैलियां करनी पड़ रही है। इस बात से बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता कि दक्षिण भारत का मतदाता इन रैलियों का हिस्सा बनकर खूब दिलचस्पी दिखा रहा है। सर्वे में पता चला है कि इस बार दक्षिण भारत में एनडीए पिछली बार से काफी मजबूत दिखाई दे रही है। लेकिन, केंद्र की सत्ता हासिल करने के लिए दक्षिण भारत का खास रोल नहीं रहा है। अधिक सीटें उत्तर-भारत में है। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर-प्रदेश है। जहां से भी इस बार इंडिया गठबंधन मजबूत टक्कर देता हुआ दिखाई दे रहा है। योगी के काम से मतदाता खुश तो है , लेकिन, आम चुनाव में राहुल गांधी को वोट देने का मन बना चुका है। इस बार अखिलेश ने भी स्थानीय मतदाता में खूब दम भरा है। 

यह रह सकता है आंकड़ा

मतदाता की नब्ज को टटोला तो उन्होंने दोनों ही गठबंधन के बारे अपना अलग-अलग विचार दिया। किस पार्टी को वह केंद्र की सत्ता में देखना चाहती है। उस बारे खुल कर अपना विचार रखा। इसमें युवा तथा बुजुर्ग श्रेणी से सवाल जवाब हुए तो काफी आश्चर्यजनक तस्वीरें सामने आई। युवा एनडीए को लगभग 250 के करीब सीट मिलने का अनुमान लगा रहे है, जबकि, इंडिया गठबंधन को 180-200 तक सीट दे रहे है। मतगणना का परिणाम जून को है। तब उस दिन फाइनल हो जाएगा कि कौन सा गठबंधन केंद्र की सत्ता हासिल कर पाता है। 

क्या इन मुद्दों का दिखेगी चुनाव में असर

भाजपा का राम मंदिर, धारा-370, विदेश नीति का इस बार कुछ खास असर नहीं दिखाई दे रहा है। मतदाता पर इस बार भाजपा का जादू नहीं असर कर रहा है। लोग महंगाई, बेरोजगारी को खास मुद्दा मानकर इंडिया गठबंधन को मत देने की ओर अपनी दिलचस्पी दिखा रहे है। मतदाता का मानना है कि देश में अभी भी बहुत सुधार लाने की जरूरत है, विदेश नीति, राम मंदिर एनडीए की अच्छी पहल रही, लेकिन, कुछ ऐसे मुद्दे भी है, जिन्हें पूरा करने में वह असफल रहीं। अगर, समय रहते उन्हें पूरा कर दिया जाता तो शायद मतदाता अपना मूड नहीं बदलता। 

केजरीवाल की गिरफ्तारी ने बदले समीकरण

आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से भी मतदाता के मूड को बदलकर रख दिया है। लोग केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर राजनीतिक मंशा करार दे रहे है। उनके मुताबिक, ठीक चुनाव से पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी कर इस बात का प्रमाण दे दिया कि भाजपा ने सारा काम वोट बैंक के खातिर किया। लेकिन, मतदाता को इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि मत अब किस पार्टी को देना चाहिए। काफी संख्या में मतदाता भाजपा से खिसकर कर आप -कांग्रेस में बट गया। अगर दोनों पार्टियों को मत चला जाता है तो इसका फायदा इंडिया गठबंधन को होगा। 

मजबूत गठबंधन की ओर संकेत

सर्वे इस बात का प्रमाण भी दे रहे है, कि इस बार गठबंधन काफी मजबूत स्थिति में होगा। पूर्व में भाजपा के कई फैसले जो गठबंधन ना पसंद थे, उन फैसलों को अब अगर प्रारित करवाना है तो सत्ताधारी पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। विपक्ष सदन में उसे पास नहीं होने देगा। क्योंकि, एनडीए इस बार सरकार बनाने में इतना मजबूत नहीं दिखाई दे रहा है। उसके समक्ष कई प्रकार की चुनौतियां है जो उसे पार कर पाना इतना आसान नहीं है। किसान आंदोलन का पंजाब में खासा असर दिखाई दे रहा है। भाजपा प्रत्याशियों को गांव में प्रचार करने के लिए घुसने नहीं दिया जा रहा है। कई जगह आपस में भारी विवाद भी हुआ। पंजाब में भाजपा को सिर्फ 1 ही सीट मिलती दिखाई दे रही है, इंडिया गठबंधन लगभग 10 सीट जीत पाने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसमें कांग्रेस-आप दोनों को 5-5 सीट मिलने का अनुमान है। कई जगह दोनों का आपस में कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है। अगर , इन दोनों में कोई भी जीत जाता है तो उसका फायदा इंडिया गठबंधन को होगा। 

जोड़-तोड़ की राजनीति में भाजपा आगे

अगर सत्ता को हासिल करना है तो भारतीय जनता पार्टी के पास एक भ्रम अस्त्र भी है। जो अन्य किसी पार्टी के पास नहीं है। उसके पास जोड़-तोड़ करने की एक कला भी है, शायद अन्य पार्टियों के पास नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो  एनडीए केंद्र की सत्ता हासिल करने में इस कला का इस्तेमाल कर सकता है। अगर सीटों का अंतर ज्यादा संख्या में हुआ तो फिर मुश्किल होगा। फिलहाल, इस बात की कोई पुष्टि नहीं कर सकता , क्योंकि, परिणाम जून माह में है। उससे पहले हर पार्टी सत्ता में आने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। मतदाता को लुभाने के लिए हर प्रकार का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन, मतदाता इतना समझदार हो चुका है कि उसे पता है कि वह किसी मत डालना है।

100% LikesVS
0% Dislikes