YOGA प्रतिस्पर्धा में मृदुल ने छोड़ी अलग छाप………अन्य बच्चों को योग अपनाने की दी सीख

विजय मुद्रा में मृदुल कौड़ा (विकास कौड़ा)

विकास कौड़ा.बटाला/गुरदासपुर। 

योग भारतीय संस्कृति का एक अनमूल हिस्सा है, जिसके जड़े अब वर्तमान में पूरे विश्व के साथ जुड़ चुकी है। खासकर, बच्चों में इसकी लोकपप्रियता काफी हो रही है। बच्चे इस योग प्रक्रिया से जुड़कर पूरी दिलचस्पी दिखा रहें हैं। बटाला के एक निजी स्कूल में इसकी (योग) प्रतिस्पर्धा हुई। वहां के आरडी स्कूल के विद्यार्थियों ने इस प्रतिस्पर्धा में दूसरा स्थान हासिल किया। इस प्रतिस्पर्धा में 7वीं क्लास के छात्र मृदुल कौड़ा का खास प्रदर्शन रहा। उनके योग गतिविधियों ने इस प्रतिस्पर्धा में अलग छाप छोड़ी। बताया जा रहा है यह प्रतिस्पर्धा अंडर-14 की थी। विजय टीम का स्कूल प्रंगण में प्रबंधन समिति तथा प्रिंसिपल ने स्वागत किया तथा उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। 

योग प्रतिस्पर्धा का अहम हिस्सा रहे मृदुल कौंडा़ ने अपना अनुभव सांझा करते कहा कि योग का उन्हें बचपन से ही शौक था। पापा-मामा की तरफ से हमेशा ही उन्हें भरपूर सहयोग मिला। योग करने से उन्हें शरीरिक तौर पर अलग ही एनर्जी मिलती है। सबसे बड़ी बात है कि पढ़ाई करने में भी अच्छा महसूस होता है। किसी भी पढ़ाई से जुड़े सब्जेक्ट को वह बड़ी आसानी से याद कर लेते है। यह सब योग की वजह से संभव हो सका है।

वर्तमान की भागदौड़ वाली जिंदगी से निजात पाने के लिए हर बच्चे को योग करना चाहिए। योग भारतीय संस्कृति से जुड़ा प्राचीन व्यायाम प्रक्रिया है। वैसे भी स्कूल की पढ़ाई काफी कठिन हो चुकी है, दिमागी संतुल्न ठीक रखने के लिए योग प्रक्रिया से कोई अच्छा व्यायाम नहीं है। योग कोच (टीचर)  विनय पुष्करणा की प्रेरणा से उन्हें अपना सफल जीवन बनाने में अहम योगदान मिल रहा है। उनके अथक प्रयास की बदौलत से आगे बढ़ने का अवसर हासिल हुआ। 

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