EXCLUSIVE….एक समय ”CHANDIGARH” था खरड़ तहसील का हिस्सा 

वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़। 

चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा की नई इमारत बनाने को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। एक समय चंडीगढ़ खरड़ तहसील का हिस्सा हुआ करता था। बताया जाता है कि कई दर्जन गांव को उजाड़ कर चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। कई वादे तथा दावे व इसके साथ लोगों को सपने दिखाए गए, किंतु एक भी को नहीं पूरा किया गया। पता चला उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तथा प्रदेश अकाली दल के एक बड़े नेता के बीच एक आपसी समझौता भी हुआ था। लेकिन, उसमें कई बातों को पूरा नहीं किया गया।

 
जानिए, क्या था समझौता


1985 को पूर्व पीएम राजीव गांधी और अकाली नेता संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत तब पंजाब के फाजिल्का व अबोहर तहसील और इससे सटे 300 गांवों जोकि हिंदी भाषी क्षेत्र थे, उन्हें हरियाणा को देने की शर्त पर समझौता हुआ था। विभाजन के समय चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया था और यहां तक कि 300 गांव हरियाणा देने पर चंडीगढ़ को पूर्ण रूप से पंजाब को दिए जाने की बात कही गई थी।


समय के साथ जब पंजाब के फाजिल्का और अबोहर तहसील के अलावा सटे 300 हिंदी भाषी गांवों काे जब हरियाणा में शामिल करने के लिए कदम उठाया गया, तो इस शर्त को कभी पूरा नहीं किया गया। इसके कारण पंजाब और हरियाणा हमेशा से केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को अपनी राजधानी के रूप में दावा करते रहे।


तीसरे कमीशन का गठन 3 अप्रैल 1986 को हुआ था। इस कमीशन ने 7 जून को अपनी रिपोर्ट दी थी कि पंजाब की 70 हजार एकड़ जमीन हरियाणा को दी जानी चाहिए, लेकिन जुलाई 1986 में केंद्र सरकार ने बढ़ते विवादों के बीच चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश रहने दिए जाने के साथ यह मामला अनिश्चितकालीन समय के लिए टाल दिया था।

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