वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर।
ढाई इंच का गिलास, चाय की चुस्कियां लेते ट्रैफिक दरोगा जसपाल सिंह संधू, रोड पर लगा ट्रैफिक का 3 किलोमीटर जाम, पास में खड़े आधा दर्जन से ऊपर ट्रैफिक मुलाजिम, सब मूकदर्शक बन खड़े है। यह नजारा था, अमृतसर के घी मंडी चौक (श्री हरमंदिर साहिब) की तरफ जाते रास्ते का, समय था शनिवार सायं पांच बजे के करीब का। इतने में एक शीर्ष पत्रकार को रोक कर उससे पहले उल्टे-सीधे जवाब किए जाते है, फिर , उन्हें दरोगा जी द्वारा पत्रकारिता के साथ जुड़े पेशे के बारे उल्टा-सीधा बोला जाता है। वह दरोगा जी की बात को काफी ध्यान से सुनते है तथा बाद में उन्हें (शीर्ष पत्रकार) यहां से तत्काल जाने के लिए बोल दिया जाता है। ऐसे में सवाल अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर तथा एडीसीपी ट्रैफिक हरपाल सिंह से लाजमी बनता है, क्यों आपकी ट्रैफिक पुलिस के कुछ दरोगा पत्रकारों के साथ धक्का कर रहे हैं, क्यों, उन्हें बेवजह नाका में रोक कर जलील किया जा रहा है।
यह मामला अब पंजाब-चंडीगढ़ जर्नलिस्ट एसोसिएशन के समक्ष पहुंच चुका है। उन्होंने ट्रैफिक पुलिस की इस कार्यप्रणाली की निंदा करते कहा कि वे जल्द ही एक दल के साथ ट्रैफिक आयुक्त से मुलाकात करने जा रहे है। उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा जाएंगा। इस बात की पुष्टि, यूनियन उपाध्यक्ष मलकीत सिंह ने खास बातचीत दौरान की।
पता चला है कि यह ट्रैफिक के दरोगा जी एक नहीं कई शिकायतें चल रही है। खासकर, पत्रकारों के साथ उलझने तथा उन्हें जलील करने का मजा भी लेते है। पत्रकारिता के पेशे से जुड़े 20 फीसद, शीर्ष पत्रकारों ने अपनी शिकायत में बताया कि हम सारी ट्रैफिक के दरोगा को गलत नहीं कह सकते है, क्योंकि, विभाग में कुछ दरोगा कार्य काफी ईमानदारी से करते है। लेकिन, उनमें कुछ दरोगा विभाग में ऐसे भी कार्य करते है , जिनका काम ही पत्रकारों को जानबूझ रोक लेना, फिर उनसे पहचान पत्र मांगना, उसके बाद उन्हें जलील करना तथा बाद में बोल देना कि अब आप जाओ यहां से।
कई पत्रकारों ने तो अपनी शिकायत में बताया कि हम तो कानून के मुताबिक, ट्रैफिक के नियमों की पालना करते है। उसके बावजूद, पुलिस के ट्रैफिक दरोगा उन्हें जानबूझ रोक कर जलील करते है। यह बिल्कुल सरासर गलत है। उन्होंने मांग की कि पुलिस आयुक्त तथा ट्रैफिक आयुक्त को इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
.…यह तो भूल ही गई ट्रैफिक पुलिस
ट्रैफिक पुलिस का प्रथम कार्य होता है कि शहर की ट्रैफिक नियंत्रित रखें, जाम को हटाए। लेकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है। पंजाब के अमृतसर शहर ट्रैफिक समस्या से काफी जूझ रहा है। उस तरफ तो ट्रैफिक पुलिस का कोई ध्यान नहीं है। अधिकतर तो चाय पीने तथा मोबाइल में बातचीत करते हुए दिखाई देते है और कुछ तो धड़ाधड़ चालान काटने में व्यस्त रहते है। अगर, इन लोगों से यात्रीगण रास्ता ही पूछ लें तो ये लोग उनसे ही जूझ पड़ते है। ऐसे में ट्रैफिक विभाग को चाहिए कि वे लोग ट्रैफिक सुचारु करने में प्राथमिकता दे। फिर जाकर समस्या का निदान निकल सकता है। अन्यथा, भविष्य में यह विकराल रूप धारण कर सकती है।
धड़ाधड़ काटे जा रहे चालान
रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब ट्रैफिक पुलिस जनवरी 2025 से वाहनों के धड़ाधड़ चालान काट रही है। शिकायतें तो यह भी सामने आ रही है कि किसी को भी कोई बात रखने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, आपातकाल सेवाओं से जुड़े लोगों भी नहीं बख्शा जा रहा है। कई बार वे लोग उनकी निवेदन को भी दरकिनार कर दिया जाता है। ऐसे में एक पीड़ित ने बताया कि कुछ दिन पहले ट्रैफिक पुलिस ने जानबूझ कर रोक लिया। दस्तावेज भी पूरे थे, उसके बावजूद उनका चालान काट दिया गया। उन्हें किसी इमरजेंसी अस्पताल जाने का भी हवाला दिया गया। लेकिन, उक्त ट्रैफिक दरोगा ने एक बात भी नहीं सुनी।

चालान की बजाय जागरूक किया जाए
समाजसेवी इंद्रजीत सिंह ने कहा कि अगर चालान काटना है तो उनके काटे जाए, जिनके वाक्य में दस्तावेज पूरे नहीं हैं। ऐसें में नियमों की पालना करने वालों को तो न कम से कम तंग किया जाए। चालान के पैसे चालक के बैंक खाता से डैबिट करने की प्रणाली को इस्तेमाल किया जाए। इससे चालक को भी परेशानी कम होगी।

पत्रकारों को बिना वजह तंग करना गलत बात
पंजाब चंडीगढ़ जर्नलिस्ट एसोसिएशन (रजि.) के उपाध्यक्ष मलकीत सिंह ने कहा कि पत्रकारों को नाका में खड़ा कर फिर उन्हें जलील करना , यह ट्रैफिक पुलिस बिल्कुल गलत कर रही है। इतना ही नहीं, उनका चालान काटने की धमकी दी जा रही है। यह सरासर गलत है। पत्रकार हमेशा पुलिस के साथ सहयोग की प्रणाली से चलता है। जल्द ही यूनियन इस मसले को लेकर ट्रैफिक आयुक्त हरपाल सिंह से मुलाकात करने जा रही है। एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।
सीएम को दी शिकायत
मानवाधिकार संगठन के शीर्ष पदाधिकारी परवीन सहगल ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस के खिलाफ उन्होंने एक शिकायत पंजाब मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी है। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने सीएम, डीजीपी पंजाब पुलिस तथा अन्य संबंधित विभाग को लिखित पत्र लिखा था। उन्होंने अपने पत्र में साफतौर पर कहा था कि ट्रैफिक पुलिस आम जनता से वाहन चालकों के साथ धक्का कर रही है। अब पत्रकारों के साथ धक्का शाही करना ये बात बिल्कुल गलत है। पत्रकार दुनिया का चौथा स्तंभ है।
….नहीं उठाया फोन
इस संबंध में जब ट्रैफिक आयुक्त हरपाल सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने हमारा फोन उठाना उचित नहीं समझा। सूत्रों से पता चला है कि वह किसी कार्य में व्यस्त थे।