पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 ———-विधानसभा हलका कादियां की फजीहत-हवा बयां कर रही कुछ अलग….बाजवा के हाथ से निकल रही जीत…शिअद से माहल, आप के सेखवां दे रहे कड़ी टक्कर

प्रतीकात्मक तस्वीर (सौजन्य इंटरनेट मीडिया)

आम राय….पांच साल के अंतिम माह जनता के लिए खुलता है बाजवा परिवार का दरवाजा

हमेशा से ही रहा है कांग्रेस-शिअद का मुख्य मुकाबला…इस बार आप से पूर्व शिअद दिवंगत मंत्री सेवा सिंह सेखवां के बेटे जगरूप लड़ रहे चुनाव 

आम जनता की सुगबुगाहट…इस बार बड़े बदलाव का मूड…हर किसी की लगी है राजनीतिक जिंदगी दांव 

बड़ा सवाल..क्या बाजवा परिवार बचा सकेंगे, इस बार अपनी साख…या फिर जीत का सेहरा सजेगा अन्य को

अहम मुद्दा….बिजली, बेरोजगारी, नशा, मेडिकल, शिक्षा है , कानून-व्यवस्था।

राजनीतिक विश्लेषण टीम.कादियां/गुरदासपुर/चंडीगढ़।

फोटो कैप्शन- राज्यसभा सांसद तथा कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह बाजवा। (सौजन्य इंटरनेट मीडिया)

पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 का बिगुल बज चुका है। चुनावी मैदान में हर प्रत्याशी खिलाड़ी अपने पारी का आगाज़ के लिए अपने कदम बढ़ा चुका है। फिलहाल अपनी जीत को सुनिश्चित करने का अवसर कोई भी खिलाड़ी अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता है। पंजाब की विधानसभा हलका कादियां की सीट पर ,इस बार मुकाबला प्रत्याशियों के बीच कड़ा दिखाई दे रहा है। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा, शिअद के प्रत्याशी गुरइकबाल सिंह माहल, आप के जगरूप सिंह सेखवां मैदान में डटे है।

इस हलके की फजीहत तथा हवा कुछ अलग ही बयां कर रही है। पता चला है कि कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप सिंह बाजवा के हाथ से जीत निकल रही है। उन्हें , इस बार शिअद, आप के प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिल रही है। आम राय तो यह सामने आई है कि बाजवा साहब के घर का दरवाजा पांच साल में एक माह के लिए खोला जाता है। उनके मुताबिक चुनाव से ठीक पहले। आम जनता की राय के मुताबिक, वे इस बार बड़ा बदलाव लाने के मूड में है। हलका के प्रमुख मुद्दे में नशा, बेरोजगारी, मेडिकल, शिक्षा, कानून व्यवस्था है।

वर्तमान तक किसी विधायक-मंत्री ने इस हलके में कुछ नहीं करने की बात सामने आ रही है। मौजूदा विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा , इस बार बटाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रहे है। फिलहाल , अब तक टिकट नहीं घोषित हुई।  विधानसभा हलका कादियां में हर राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशी की राजनीतिक जीवन दांव पर लगा है। बजावा जैसे राज्यसभा सांसद, इस सीट पर विधायकी के लिए सीट लड़ रहे है। उन्हें डर इस बात का भी है कि सीट उनके हाथ से कहीं निकल भी न जाए। जबकि, लोगों का विश्वास , उनके प्रति खो चुका है। इतना ही नहीं, उनके क्षेत्र के सरपंच को मुलाकात करने के लिए शाम पांच बजे तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। मोबाइल नहीं उठाने के आरोप भी लग रहें है। इसका मतलब आम-जनता के साथ इनका प्यार कुछ खास नहीं है। लोगों की पसंद भी नहीं है बाजवा। फिलहाल, मतगणना से पूर्व किसी प्रकार से कयास लगाना भी नहीं उचित समझा जा सकता है। 

फोटो कैप्शन- शिअद प्रत्याशी गुरइकबाल सिंह माहल।(सौजन्य इंटरनेट मीडिया)

शिअद के प्रत्याशी गुरइकबाल सिंह आम-जनता के साथ बड़े-बड़े दावे कर रहे है। उनके मुताबिक , जीत हासिल होने पर यहां पर आम-जनता को हर सुविधा हासिल होगी। कानून-व्यवस्था, मेडिकल, शिक्षा जैसे मुद्दों पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाएगा। चुनाव प्रचार , बैठकों में अच्छा रिस्पांस मिलने की बात को भी दोहराया जा रहा है। जबकि, शहरी क्षेत्र में शिअद के लिए कुछ हद तक मत में सेंधमारी की बात भी सामने आ रही है। कादियां की मुस्लिम समुदाय इस क्षेत्र से बहुत बड़ा वोट बैंक है। इस समुदाय का जिस पार्टी को मत चला गया, उसके लिए जीत आसान हो सकती है। 

फोटो कैप्शन- आप प्रत्याशी जगरूप सिंह सेखवां। (सौजन्य इंटरनेट मीडिया)

पूर्व शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार में रहे पूर्व मंत्री दिवंगत नेता सेवा सिंह के बेटे जगरूप सिंह सेखवां आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। उनके मुताबिक, क्षेत्र में नशा, बेरोजगारी को जड़ से समाप्त करना, प्राथमिकता होगी। मेडिकल,शिक्षा, कानून-व्यवस्था जैसी समस्या का निदान निकालना, उनके एजेंडे में प्राथमिकता है। जबकि, आम राय इस प्रत्याशी के बारे कुछ खास अनुभव नहीं होने की बात तो दोहरा रही है। इतना ही नहीं, दिवंगत मंत्री सेवा सिंह सेखवा द्वारा इस क्षेत्र को हमेशा से ही नजरअंदाज करने की बात भी सामने आ रही है। अब देखना होगा कि सेखवां किस प्रकार से मतदाताओं को समझाने में कितने कामयाब साबित होते है। 

भाजपा सहयोगी दल तथा किसान संयुक्त मोर्चा की तरफ से इस विधानसभा क्षेत्र में अपना-अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया। फिलहाल , मुकाबला अब तक इन तीनों प्रत्याशियों का चल रहा है। हर प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित होने का दावा भी कर रहा है। मतगणना के फाइनल समय पर पता लग पाएगा कि किस खिलाड़ी ने बाजी मारी है। कौन हिट विकट या फिर बोलड हो गया है। उससे पहले हर प्रकार के कयास है , जिसे जनता की आम राय से इकट्ठा किए गए है। 

आज तक नहीं हल हुए ये मुद्दे

क्षेत्र में पहले नंबर पर नशे का मुद्दा प्रमुख है। बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाएं के लिए एक आम अस्पताल है। यहां पर डॉक्टर नहीं उपलब्ध होने की बात सामने आ रही है। इलाज के लिए श्री हरगोबिंदपुर , बटाला जैसे क्षेत्र में जाना पड़ता है। लोगों का गुस्सा बाजवा परिवार के समक्ष खास तौर पर देखा जा रहा है। उनके मुताबिक, इस परिवार ने वर्ष 2012, 2017 में सीट जीती थी। उसके बावजूद क्षेत्र का काई विकास नहीं हुआ। गलियां, नालिया, डंप जैसी कई समस्या है, जिन्हें आजतक ये नेतागण सुलझा नहीं पाए। उससे पूर्व शिअद के दिवंगत सेवा सिंह सेखवां, जैसे इस क्षेत्र में एक बार उपस्थिति नहीं भर पाए। 

गंदी राजनीति से उठकर आम नेता की जरूरत

इस विधानसभा क्षेत्र के आम लोगों की राय मुताबिक, उन्हें अपने क्षेत्र में गंदी राजनीति करने वाले नेता की बिल्कुल जरूरत नहीं है। उन्हें तो सिर्फ आम नेता ही चाहिए। लोगों के बीच आकर, उनके दुख सुख को समझे। हर समस्या का निदान करने वाला हों। इस बार उन्होंने सोच लिया है कि किस नेता को विधानसभा पहुंचाना है। जबकि, उनका नाम नहीं किसी ने सार्वजनिक किया। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र के लोग हमेशा से ही गंदी राजनीति के शिकार होते रहें हैं। वोट हासिल करने के उपरांत अधिकतर नेताओं ने उनकी सुध तक नहीं लेने की शिकायत ज्यादा सामने आ रही है। 

क्या रहा इस सीट का इतिहास

विधानसभा क्षेत्र कादियां की बात करें तो यहां पर अब तक 10 बार विधानसभा के चुनाव हो चुके है। यहां पर सबसे अधिक शिअद के विधायक रह चुके है, जबकि चार बार कांग्रेस को सीट जीतने में कामयाबी हासिल हुई। लोगों की हमेशा से ही शिकायत रही है कि जीत हासिल करने वाले अधिकतर विधायक बाहरी क्षेत्र के रहें हैं। उन्हें उनके दर्द का बिल्कुल अहसास नहीं रहा है। बाजवा परिवार इस क्षेत्र का होने के कारण दो बार जीत हासिल कराई, जबकि, ये लोग तो बाहरी क्षेत्र के विधायकों से कुछ कम नहीं रहें हैं। हमेशा से ही सूचना मिलती रही है कि वे लोग दिल्ली या फिर चंडीगढ़ में है। 

कुल मतदाता

इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 181,872, पुरुष मतदाता-97454, महिला मतदाता-84412, अन्य मतदाता-6 है। कुल गांव 183 है। कुल पोलिंग स्टेशन लोकेशन-164, कुल पोलिंग स्टेशन-223 है। वर्ष 2017, वर्ष-2012 में कांग्रेस के बाजवा परिवार ने जीत हासिल की। मौजूदा विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके है। इस बार भाजपा की टिकट पर विधानसभा हलका बटाला से चुनाव लड़ने जा रहे है। फिलहाल, भाजपा की सूची में उनकी टिकट अब तक घोषित नहीं की गई। 

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