जाखड़ का दर्द छलका कांग्रेस की बढ़ी बेचैनी…..42 विधायकों ने मेरे सीएम समर्थन में की थी वोट…चन्नी के सिर्फ 2 वोट

विधायक नहीं होने के बावजूद मुझे डिप्टी सीएम का मिला था ऑफर

राजनीतिक विश्लेषण टीम/नितिन धवन/शम्मी शर्मा/विकास कौड़ा /चंडीगढ़।

सीएम नहीं बन पाने का मलाल आज भी सुनील जाखड़ के जहन में है। कहीं न कहीं उनके सीने में इस बात का दर्द भी है। एक प्रत्याशी के चुनाव प्रचार दौरान सुनील जाखड़ का दर्द छलक ही उठा। उस दर्द के अलवाज ने कांग्रेस की बेचैनी को भी बढ़ा दिया। जाखड़ ने कहा कि पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा उपरांत , 79 विधायक में से 78 विधायकों ने वोटिंग की। वोटिंग में 42 विधायकों ने उनके समर्थन में मत किया तथा सीएम कैंडिडेट के तौर उनका नाम आगे बढ़ाया। सुखजिंदर सिंह रंधावा 16, परनीत कौर 12, नवजोत सिंह सिद्धू 4 तथा सीएम चन्नी को 2 मत ही हासिल हुए।

डिप्टी सीएम का न्यौता मिला तो इंकार कर दिया। हालांकि, मैं विधायक भी नहीं था। दरअसल, दिल्ली कांग्रेस हाईकमान सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाने में पूरी तरह से इच्छुक थी, जबकि, पंजाब से संबंध रखने वाली अंबिका सोनी कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेहद खास ने अहम वक्त , अपना फैसला सुनाते कहा कि पंजाब एक सिख राज्य है, इसलिए सीएम एक सिख होना चाहिए। उसके बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा को सीएम बनाने पर विचार हुआ तो नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना दावा ठोक दिया। हाईकमान ने देखा कि किसी प्रकार से कोई विवाद नहीं हो तो उसे पंजाब चुनाव को लेकर 32 फीसद दलित मत को प्रमुख रखते हुए चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया। 

कांग्रेस में जाखड़ परिवार का काफी रसूख रहा। इनके पूर्वज कांग्रेस में कई बड़े पदों पर काम कर चुके है। गांधी परिवार के बेहद करीबी भी है, जबकि समिति में अन्य सदस्यों की आम सहमति नहीं बन पाने की वजह से सुनील जाखड़ को सीएम की कुर्सी नहीं मिल पाई। बता की जाए तो पंजाब में सबसे अधिक हिंदू जाति के 38 फीसद मतदाता है। जबकि, पंजाब कांग्रेस में हिंदू चेहरा सुनील जाखड़ ही सबसे आगे तथा काफी चर्चित है।

फिलहाल, कांग्रेस ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन नियुक्त किया है।  कांग्रेस के बड़े नेताओं का इस प्रकार से दर्द छलकना चुनाव में कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसानदायक भी हो सकता है। 

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