तीन दशक से लटका रहा मामला….अपने मालिकाना हक के लिए तीन दशक से लड़ रहे है हक की लड़ाईकश्मीर से उजड़ कर आए बहादुरगढ़ में अपनी जमा पूंजी से खरीदी जमीन के लिए कर रहे थे जद्दोजहद
एसएनई नेटवर्क.चंडीगढ़।
कश्मीरी पंडितों को पंजाब एंड हरियाणा की उच्च अदालत से बड़ी राहत हासिल हुई। हरियाणा सरकार को आदेश जारी करके कहा कि कश्मीरी पंडितों के नाम दोबारा प्लॉट आवंटन सूची में डाला जाए। तीन दशक से मामला लंबित चल रहा है। अपने मालिकाना हक के लिए कश्मीरी पंडित हक की लड़ाई लड़ रहे है। जबकि, प्रदेशीय सरकार से किसी प्रकार से इंसाफ नहीं मिलने की वजह से कश्मीरी एसोसिएशन को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
वर्ष 1989-90 से उक्त कश्मीर पंडित परिवार ने बहादुरगढ़ क्षेत्र में अपनी जमा पूंजी से 200-300 गज के प्लाट खरीद लिए। लेकिन, प्लाट के असली मालिकाना हक हरियाणा शहरी प्राधिकरण के पास रहा। समय की सरकार ने 10 एकड़ जमीन जनहित के नाम अधिग्रहण कर ली। इसके लिए कश्मीरी पंडित एसोसिएशन ने अपना हक लेने के लिए पंजाब एंड हरियाणा अदालत में केस किया। केस काफी लंबे समय से चला। अब अदालत ने कश्मीरी पंडितो के समर्थन में फैसला सुनाते हुए कहा कि पिछले दिनों प्लॉट आवंटन को लेकर कश्मीरी पंडितो के नाम सूची से हटा दिए। यह बिल्कुल ठीक नहीं है। उन्हें इसका अधिकार मिलना चाहिए। आदेश जारी करके कहा कि उनका नाम दोबारा से सूची में डाला जाए।
दरअसल, आतंकवाद के काले दौर में कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ कर देश के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित हो गए। इनमें सैकड़ों परिवार हरियाणा के बहादुरगढ़ में विस्थापित हुए। उन्होंने अपनी दलील में बताया कि जमा पूंजी के साथ जहां पर रहने के लिए 200-300 गज के हिसाब से जमीन ली गई। लेकिन, उन्हें इसका मालिकाना हक नहीं मिला। अब चूंकि, प्लाट आवंटन में भी सरकार ने उनका सूची से नाम हटा दिया। इसलिए इंसाफ के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ा। उधर, कश्मीरी विस्थापित परिवारों ने अदालत का धन्यवाद करते कहा कि उन्हें काफी लंबे समय उपरांत इंसाफ मिला है। काफी खुशी का पल है। अब असली जिंदगी जीने का मजा आएगा।