एसएनई नेटवर्क.कपूरथला।
कपूरथला पुलिस कार्रवाई से नाखुश पीड़ित ने तेल डालकर खुद को आग लगाकर आत्मदाह के प्रयास में एक बड़ा खुलासा हुआ। एक सत्ताधारी सरकार के नेता के इशारे पर पुलिस द्वारा लिखी अपनी एफआईआर में सच्चाई को बदल दिया गया। यूं कह सकते है कि आरोप से बचने के लिए पुलिस ने उक्त सत्ताधारी नेता के कहने पर विपक्ष के एक नेता सहित दर्जन भर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। घायल रवि का शरीर 90 फीसद जल गया। अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल में उपचाराधीन है। चिकित्सकों के मुताबिक, बचने के कोई आसार नहीं है। इस मामले को लेकर कपूरथला पुलिस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया। बड़े अधिकारी जांच का हवाला देकर इस केस से अपना पीछा छुड़ा रहे है। फिलहाल, इस पूरे घटनाक्रम के जिम्मेदार किसी पुलिस अधिकारी से लेकर मुलाजिम के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई। वाक्यात, गुरुवार की रात्रि 8 बजे के करीब का है।
कपूरथला के रहने वाले रवि एक दलित परिवार से संबंध रखते है। उनकी पत्नी पर कुछ लोग गंदा काम कराने के लिए मजबूर करते थे। इस साजिश में विपक्ष के एक नेता का हाथ है। पीड़ित महिला को उसकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डालने के लिए ब्लैकमेल करते थे। पति ने हिम्मत जुटा कर पुलिस थाना के समक्ष इन सबके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए पहुंचा। आरोप लगे कि पुलिस ने उसकी कोई सुनवाई नहीं की। निराश होकर युवक ने पुलिस थाना में ते डालकर आग लगा ली। आग की वजह से युवक का 90 फीसद शरीर जल गया।
आनन-फानन में पुलिस ने उसे सरकारी अस्पताल दाखिल कराया। वहां से उसे अमृतसर के श्री गुरु नानक देव अस्पताल रेफर कर दिया। हालत चिंताजनक बताई जा रही है। सूत्रों से पता चला है कि रात को पुलिस के बड़े अधिकारियों के पास सत्ताधारी के एक नेता का फोन आया। उसके इशारे पर सभी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया। लेकिन, पुलिस पर लगे आरोप की अब तक कार्रवाई नहीं हो पाने की वजह से पुलिस पर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे है।
पर्चे में क्या लिखा गया
पर्चा में लिखा गया कि रवि की पत्नी को एक नेता सहित लगभग दर्जन लोग गलत काम करने के लिए मजबूर करते थे। उसकी अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने की धमकी दे रहे थे। पत्नी ने उन्हें ऐसा करने के लिए रोका भी था। तंग-परेशान होकर रवि थाना में रिपोर्ट लिखवाने के लिए जा रहा था तो कथित अपराधियों ने तेल डाल दिया। जिस कारण वह जल गया। पर्चे में यह भी लिखा गया है कि बयान पर पीड़ित के अंग्रेजी में हस्ताक्षर है तथा सब कुछ पढ़ने के बाद ही किया गया।
बड़ा सवाल
चूंकि, पीड़ित अभी तक चिकित्सकों द्वारा स्वस्थ नहीं बताया गया है तो पुलिस ने किस आधार पर अपने पर्चे में लिख दिया है कि उन्होंने उसके बयान ले लिए है। हस्ताक्षर पूरी होश हवास में किए गए। इस प्रकार पुलिस की कार्यप्रणाली विवादों में आ गई। पुलिस के बड़े अधिकारियों ने अब तक इस केस में लिप्त पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ क्यों नहीं जांच के आदेश जारी किए। जैसा कि घटनाक्रम के दौरान युवक ने साफ तौर पर आरोप लगाए थे कि पुलिस उसकी बिल्कुल सुनवाई नहीं कर रही है, इसलिए आत्मदाह करने के लिए मजबूर हो रहा है।