नितिन धवन.चंडीगढ़।
आम आदमी पार्टी की सरकार के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने शुक्रवार को पूर्व कांग्रेसी मंत्री तृप्त रजिंदर बाजवा पर 28 करोड़ के घोटाले के आरोप लगा दिए हैं। मंत्री कुलदीप धालीवाल ने मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए।
कुलदीप सिंह धालीवाल ने बताया कि अमृतसर जीटी रोड पर एक बहुमूल्य जगह पर कालोनी काटी जा रही है। बीते माह उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने पंचायती जमीन को बेचा है, लेकिन जब उसकी जांच शुरू करवाई तो स्पष्ट हुआ कि इस जमीन की फाइल पर पूर्व कांग्रेसी मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने हस्ताक्षर किए थे।
11 मार्च को हस्ताक्षर किए गए, जब 10 मार्च को कांग्रेस को पूरे राज्य में बुरी हार का सामना करना पड़ा था। उनके साइन के बाद बेची गई जमीन से पंजाब सरकार को 28 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। उन्होंने इस जमीन की खरीद-फरोख्त की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया। यह कमेटी उच्च अधिकारी अमित कुमार की अध्यक्षता जांच करेगी।
आप झूठ का पुलिंदा- बाजवा
वहीं दूसरी तरफ तृप्त रजिंदर बाजवा ने इस पूरे घटना क्रम को संगरूर चुनावों के साथ जोड़ दिया है। तृप्त राजिंदर बाजवा ने सफाई देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी संगरूर चुनाव में पैर जमाना चाहती है, इसलिए इस तरह के गंदे आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि ये फाइल वर्ष 2016 में उक्त मामले की फाइल रिजेक्ट हो गई थी। 2018 में फाइल दोबारा लगी, क्योंकि नई पॉलिसी का विस्तार हुआ। नए डीसी शिव दुलार आए और दोबारा रेट फिक्स हुआ। 43 लाख रेट फिक्स हुआ वह फाइल आगे चली। उन्होंने 11 तारीख को साइन किया वह मानते है कि ये गलत है। अगर आम आदमी पार्टी को एतराज था तो रजिस्ट्री रोक लेते। मैं वह हर जांच को तैयार हूं। आम आदमी पार्टी झूठ का पुलिंदा बनना चाहते है संगरूर चुनाव को लेकर सब कुछ किया जा रहा है।
कब और कैसे हुआ घोटाला
मंत्री कुलदीप धालीवाल ने बताया कि अमृतसर जीटी रोड पर स्थित जमीन को खरीदने का काम 25 मई 2015 को शुरू किया गया था। जब राज्य में अकाली दल की सरकार थी। तब पंचायत ने प्रस्ताव डालकर इसकी रिपोर्ट को चंडीगढ़ भेजा था। इसके बाद यह फाइल चंडीगढ़ कार्यालयों में घूमती रही। हैरानी की बात है कि 10 मार्च को चुनाव परिणाम आए और पूरे पंजाब में कांग्रेस की हार हुई।
हार के अगले दिन 11 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सुबह कैबिनेट के साथ बैठक की और दोपहर बाद राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया, लेकिन कांग्रेस के पूर्व मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने नैतिकता को दरकिनार किया और इस जमीन को बेचने के आदेशों पर 11 मार्च को हस्ताक्षर कर दिए। 15 मार्च को ऑर्डर निकले और इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री हो गई, जबकि मान सरकार की कैबिनेट ने ही 19 मार्च को शपथ ली थी।
प्रस्ताव 41 एकड़ का, रजिस्ट्री 38 एकड़ की
कुलदीप धालीवाल ने बताया कि घपला यहां भी नहीं रुका। 41 एकड़ की जमीन का प्रस्ताव 2015 में डाला गया था, लेकिन जब मार्च 2022 को इस जमीन की रजिस्ट्री हुई तो उसमें सिर्फ 41 एकड़ जमीन थी। इस पूरे घटनाक्रम में सरकार को 28 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जिसे मान सरकार बरदाश्त नहीं कर सकती। इस मामले की इंक्वायरी शुरू करने के आदेश उन्होंने दे दिए हैं, जल्द ही रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई भी होगी।