क्राइम रिपोर्टर अनिल भंडारी/पवन कुमार/वरिष्ठ पत्रकार विजय शर्मा/नितिन धवन/अमृतसर/चंडीगढ़।

बचपन से ही समाज में कुछ अलग करने का जज्बा रखने वाले सिकंदर मट्टू ने जिंदगी में ठान लिया था कि अपने काम के प्रति वफादार की मिसाल पैदा करना हैं। युवा व्यवस्था में अपनी जिंदगी की पारी की शुरुआत पत्रकारिता से मट्टू ने की। मेहनती तथा कर्मठी का जज्बा रखने वाले सिकंदर ने कभी तूफान, अंधेरी की परवाह नहीं करते हुए लगभग 20 वर्ष के करियर में कई उतार-चढ़ाव देखें। अमृतसर के ग्राम चीचा भकना में बुधवार को पंजाब पुलिस तथा सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों के बीच हुई मुठभेड़ दौरान मट्टू ने अपनी जान की परवाह किए बगैर ही कवरेज करते हुई गोली खाई। अस्पताल में उपचाराधीन होने के बावजूद उनकी हिम्मत तथा जुनून बरकरार हैं। एसएनई न्यूज, इस प्रकार के जांबाज एवं बहादुर पत्रकारों की पत्रकारिता को ठोक कर सलाम करता हैं। दोस्त की हिम्मत एवं उसे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने में उनके पत्रकार साथी हरदेव सिंह प्रिंस की भी अहम भूमिका रही।

पंजाब के जिला अमृतसर के ग्रामीण क्षेत्र चीचा भकना में दिवंगत सिंगर सिद्धू मूसेवाला के हत्यारे जगरूप सिंह रुपा एवं मन्नू छिपे हुए थे। मीडिया को इस बात की भनक लगी तो तत्काल सारी मीडिया इस खबर को कवरेज करने के लिए पहुंच गई। बताया जा रहा है कि एक राष्ट्रीय चैनल के कैमरामैन सिकंदर मट्टू सबसे पहले अपने चैनल की कवरेज के लिए पहुंचे। यहां पर ताबड़तोड़ गोलियां चल रही थी, उसे जनता के समक्ष पेश करने के लिए मट्टू ने अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने चैनल के लिए काम शुरू कर दिया। एकदम एक गोली मट्टू की टांग पर लगी।
मट्टू ने अपने जज्बे को टूटने नहीं दिया। गोली लगने के बावजूद कवरेज करता रहा। उसके साथ में खड़े अन्य चैनल के पत्रकार हरदेव सिंह प्रिंस ने देखा कि मट्टू के पांव पर गोली लग गई। उसने तत्काल अपनी कवरेज को छोड़कर , अपने साथी को संभाला। कंधे पर हाथ रखकर, उसके हौसले को बढ़ाया तथा उसके दर्द को अहसास करते हुए इलाज के लिए एंबुलेंस के पास लेकर गया। फिलहाल, मट्टू का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा हैं। चिकित्सकों के मुताबिक, मट्टू की हालत खतरे से बाहर हैं।
20 वर्ष के करियर में कमाया नाम
सिकंदर मट्टू पंजाब के मीडिया जगत में अपनी अलग साख रखते हैं। 20 वर्ष से वह मीडिया जगत से जुड़े हैं। उन्होंने अपने करियर में कई बड़ी कवरेज देकर अपनी अलग पहचान बनाई। खास बात यह है कि वह अपने काम में कभी भी छुट्टी नहीं लेते हैं। हर कोई उनके कार्य का कायल रहा हैं। मेहनत तथा ईमानदारी की वजह से उनका नाम हर पत्रकार की जुबान पर रहता हैं। हादसे में घायल तो जरुर है लेकिन, दिल में अभी भी जुनून बरकरार हैं।
विडंबना, किसी दायरे ने पत्रकार की बहादुरी को नहीं दर्शाया
विडंबना तथा हैरान करने वाली बड़ी बात यह है कि किसी चैनल तथा राष्ट्रीय अख्बार ने इस जांबाज पत्रकार की बहादुरी को नहीं पोराया हैं। हर किसी ने सिर्फ एक पत्रकार के घायल होने की खबर प्रकाशित कर खानापूर्ति का परिचय दिया हैं। हमेशा से ही सवाल उठता आया है कि एक पत्रकार जो अपनी जिंदगी की परवाह किए बगैर मैदान में उतर कर काम करता है, लेकिन उस पत्रकार पर जब आंच आती है तो बड़े -बड़े मीडिया घराने उसका समर्थन करने से पीछे हट जाते हैं। मांग उठाई जा रही है कि सिकंदर मट्टू जैसें पत्रकार की जिस चैनल से जुड़े है, उन्हें हर संभव मदद दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं, उन्हें जांबाजी के रूप में सम्मानित भी किया जाना चाहिए।
बहादुरी का मिलना चाहिए इनाम
अब मांग, इस बात की उठनी शुरू हो गई है कि बहादुर पत्रकारों को प्रदेश की सरकार द्वारा बहादुरी का इनाम मिलना चाहिए। खासकर, जो पत्रकार अपनी जान की परवाह किए बगैर अपनी जान को जोखिम में डालकर अपनी जांबाज पत्रकारिता का परिचय देते हैं। उस सूची में जांबाज पत्रकार सिकंदर मट्टू का नाम भी आता हैं। हर पत्रकार की मांग है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान सिकंदर मट्टू की जांबाजी को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए।