कड़वा सच….चंद पैसों के लिए बिक जाती है कुछ पत्रकार यूनियन

प्रतीकात्मक तस्वीर

सच की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों की मुश्किलों का समाधान करने के लिए पत्रकार यूनियन बनाई जाती हैं। जबकि, सच इस बात का साक्षी है कि अब चंद पत्रकार यूनियन पैसे के आगे बिक चुकी हैं। उनका मेन मकसद है कि कैसे पैसे को कमाया जाए तथा कैसे पत्रकार को कानूनी जाल में फंसाया जाए। खेल की शुरुआत, शराब की नि शुल्क बोतलों से होती हैं। शराब माफिया के साथ संबंध रखने वाली एक पत्रकार यूनियन प्रति माह 1-1 पेटी लेती है आगे दायरे से संबंधित पत्रकारों को आवंटित किया जाता हैं। मूल रूप से शराब माफिया से जुड़ी खबरों को प्रकाशित नहीं किया जाता हैं। सरेआम लंबे समय से भ्रष्टाचार का झोल चल रहा हैं। 

ताजा मामला एक पत्रकार यूनियन का सामने आया। उक्त यूनियन ने पत्रकारों को फंसाने का काम किया। एक शख्स से मोटा पैसा खाया। उल्टा पत्रकारों को फंसाने का जाल भूना गया। पटकथा तैयार की गई। इतना ही नहीं, उक्त व्यक्ति तक पहचान पत्र मुहैया कराने की डील हुई। सारा कार्य पर्दे के पीछे चला। उक्त यूनियन के पंजाब अध्यक्ष से लेकर एक जिला अध्यक्ष एवं यूनियन के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों ने अहम रोल निभाया। कहने का भाव झूठा पर्चा दर्ज कराने के लिए पुलिस के उच्च अधिकारियों तथा गुनहगारों के साथ हाथ मिलाकर  पूरी पटकथा तैयार हुई। लाखों की डील हुई। हर किसी के पास एक-एक लाख पहुंचे। जशन मनाए गए। बहुमूल्य शराब का सेवन चला। इतना ही नहीं पैसे के समक्ष अपना ईमान तक उक्त यूनियन ने बेच डाला। 

सच्चाई यह है भी उक्त यूनियन पुराने समय से पत्रकारों तथा पुलिस टोटी करती आ रही हैं। जिला में जब कोई नया पुलिस अधिकारी नियुक्त होता है तो उक्त यूनियन गुलदस्ता उठाकर स्वागत करने के लिए चली जाती हैं। यूनियन में पत्रकार पीली पत्रकारिता वाले शामिल हैं। खैर, उक्त यूनियन को इस बात से क्या लेना देना हैं। पैसे से , उनका घर पूरा हो रहा हैं। प्रतिमाह उक्त यूनियन पुलिस से संबंधित थाना प्रभारियों एवं डीएसपी स्तर के अधिकारियों के साथ मुलाकात करती हैं। फिर आगे काम शुरू होता है टोटी का। लाखों के भेंट के साथ-साथ अपनी कमीशन का धंधा किया गया हैं। 

अंदर की बात है कि इस पत्रकार यूनियन ने कई बेचारे पत्रकारों को झूठी धाराएं लगाकर कानूनी जाल में फंसाया हैं। फंसे पत्रकारों को बाहर निकालने के लिए उनसे पैसे तक ऐंठने के कई किस्से सामने भी आ चुके हैं। कुल मिलाकर पत्रकार को धोखे में रखना, इस पत्रकार यूनियन का मूल महत्व हैं। ईमानदारी के पेशे को इस यूनियन के किरदार ने बदनाम कर रखा हैं। 

पते की बात है कि इस यूनियन के खिलाफ पंजाब के कानूनी दायरे से लेकर राज्य की अहम पत्रकार यूनियन के पास अहम सबूत तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने भीतर ही भीतर, इस यूनियन के काले चिट्ठे भी खंगालने शुरु कर दिए हैं। सवाल यह उठता है कि इस प्रकार की यूनियन के खिलाफ कानूनी शिकंजा क्यों नहीं कसा जा रहा हैं। कौन लोग, इस यूनियन को संरक्षण दे रहे है। जांच का बड़ा विषय हैं। इस पूरे प्रकरण की जांच पड़ताल एवं जिन-जिन खातों में पैसे लिए जाते है, उन सब की जांच पड़ताल होना अति अनिवार्य है, ताकि सच्चाई सामने आ सके। 

93% LikesVS
7% Dislikes