एक पहलू पर टिकी वर्तमान की ”पत्रकारिता”

(सांकेतिक तस्वीर)

अतीत की पत्रकारिता सच्चाई,बेबाक,हर पहलू पर आधारित थी। वर्तमान की पत्रकारिता सिर्फ एक पहलू पर ही निर्भर (टिक) चुकी हैं। इंसाफ की आवाज बुलंद करने वाली कलम सिर्फ चंद लोगों के इर्द-गिर्द घूम रही हैं। सच्चाई दूर-दूर से परे हो चुकी हैं। सिर्फ नाट्कीय एवं तमाशा देखने का काम चल पड़ा हैं। एक पहलू से हमेशा ही खबर एवं सच्चाई अधूरी ही रह जाती हैं। पढ़ने वाले तथा देखने वाले को अंधेरे में रखा जा रहा हैं। जो सच है, उसे छुपाया जा रहा हैं, जबकि झूठ को सच्चाई की तरह दिखाकर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा हैं। दिलचस्प पहलू है कि लोग झूठ के पर्दे को ही सच समझ रहे हैं तथा उसके प्रति कई प्रकार की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। 

समाज में नफरत से लेकर आपसी दूरियां पैदा होने के पीछे भी एक पहलू की पत्रकारिता भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं। अगर, पत्रकारिता सच के आधार पर शुरू हो जाए तो समाज में बुरियां तथा दूरियां काफी हद तक दूर हो सकती हैं। लेकिन, ऐसा संभव नहीं हैं। क्योंकि, वर्तमान की पत्रकारिता में सच को दबाने में काफी शक्तियां षड्यंत्र रच रही हैं। वह सच्चाई की आवाज को दबाने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपना रही हैं। मजबूर किया जा रहा है कि झूठ को दुनिया के सामने सच्चाई दिखाकर परोसा जाए। इसके पीछे की बड़ी कहानी यह है कि इन लोगों की रोजी रोटी ही झूठ की दुनिया को पेश करने से चलती हैं। इन्हीं लोगों की वजह से समाज में पत्रकारिता का स्तर भी गिर रहा हैं। 

एक पहलू की पत्रकारिता दरअसल , एक दशक पूर्व आरंभ हुई, जब कुछ पैसे के समक्ष बिकने वाले पत्रकारिता के दायरे से जुड़े, लालची लोगों ने पैसे को ही अपना भगवान बना लिया। सच्ची कलम को बेच डाला। यहां से फायदा दिखा, उसे ही सच्चाई का नाटकीय रूप दिखाकर लोगों के सामने पेश किया। जड़े , उसकी एकदम झूठ के साथ जुड़ी थी। सच्चाई की कलम चलाने वालों की जांबाजी तथा बेबाकता को धीरे-धीरे समाप्ति की चौखट पर पहुंचा दिया। 

हैरान करने वाली बात तो यह है कि एक पहलू की खबर ने अब न्याय-प्रणाली में भी गड़बड़ी मचा दी हैं। इंसाफ करने वाले न्यायालय को भी अब एक पहलू पर प्रकाशित खबर सच दिखाई देने लगीं हैं। फैसला उसी के आधार पर किया जा रहा हैं। सच पूछो तो अब सच्चाई का शब्द ही लिखित रूप से मिटना शुरू हो गया हैं। अतीत में सच-सच-सच हर जगह पर प्रत्येक रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा हैं। वर्तमान में झूठ-झूठ-झूठ का ट्रेंड ही चल पड़ा हैं। 

एक पहलू पर चलने वाली पत्रकारिता ने समाज को एकदम से झकझोर कर दिया हैं। आदर-सम्मान की छवि रखने वाले पत्रकार एकदम लोगों के नजरिय में धूमिल हो रहे हैं। दो पहलू के साथ पत्रकारिता के दम पर ही सच्चाई को दुनिया के सामने लाया जा सकता हैं। खासकर , बड़े-बड़े मीडिया घराने पुलिस की खबर को हमेशा से ही एक पहलू के साथ प्रकाशित एवं प्रसारित कर देते हैं। शायद, उनके लिए यह एक प्रकार से टीआरपी का विषय हैं। पत्रकारिता में बड़ा सुधार लाने के लिए दो पहलू के साथ ही खबर को प्रकाशित एवं प्रसारित करना होगा, तब जाकर लोगों तक मीडिया की छवि का सुधार हो सकता हैं। 

प्रधान संपादक विनय कोछड़ (एसएनई न्यूज़)। 

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