लेखक विनय कोछड़।
पंजाब में भाजपा में शामिल होने के इच्छुक कांग्रेस नेताओं को झटका लगा है। ये नेता पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी माने जाते हैं। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब में अपना ‘लाइन आफ एक्शन’ चेंज कर दिया है। भाजपा अब भ्रष्टाचार में फंसे कांग्रेसी नेताओं को पार्टी में शामिल नहीं करवाएगी।
धमाकेदार एंट्री नहीं हो सकी
यही कारण है कि सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की भाजपा में धमाकेदार एंट्री नहीं हो सकी। क्योंकि उनके द्वारा दी गई लिस्ट में से कुछ नामों पर भाजपा ने काटा मार दिया था। इस लिस्ट में पूर्व स्पीकर राणा केपी सिंह समेत पूर्व उप मुख्यमंत्री ओपी सोनी और कैप्टन के खास पूर्व कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत का भी नाम था।
इन पर है भ्रष्टाचार के आरोप
साधु सिंह धर्मसोत का नाम पहले ही पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले में जुड़ा हुआ है। वहीं, वन मंत्री रहते हुए पेड़ों की कटाई से लेकर ट्री गार्ड की खरीद में कमीशन लेने को लेकर विजिलेंस ने उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर रखी है। हाईकोर्ट ने साधू सिंह धर्मसोत को बेल दी हुई है। वहीं, पूर्व उप मुख्यमंत्री ओपी सोनी का नाम कोरोना काल में खरीदे गए सेनेटाइजर में हेराफेरी, बगैर मंजूरी के वेलनेस सेंटर का सामान खरीदने आदि में आता रहता है। हालांकि, पंजाब सरकार की तरफ से सोनी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
राणा केपी के नाम पर मारा काटा
इसी प्रकार पूर्व स्पीकर राणा केपी सिंह का नाम भी किसी भ्रष्टाचार में सीधे रूप से नहीं आया है। इसके बावजूद भाजपा ने राणा केपी के नाम पर काटा मार दिया है। सूत्र बताते हैं कि राणा केपी तो भाजपा ज्वाइन करने के लिए कैप्टन के साथ दिल्ली चले भी गए थे। लेकिन, कैप्टन की ज्वाइनिंग से पहले गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में ही इन नामों को जॉइनिंग लिस्ट से काट दिया गया। इस कारण उनकी जॉइनिंग नहीं हो पाई।
जानकारी के अनुसार भाजपा ने यह फैसला किया है कि उन नेताओं को पार्टी में शामिल नहीं किया जाए जिन पर भ्रष्टाचार का कोई मामला हो या गंभीर आरोप लगे हो। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए भले ही भाजपा का कद छोटे भाई वाला रहा हो लेकिन उस पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं रहा।
भाजपा अकेले में चुनाव लड़ने की तैयारी में
भाजपा अब पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है इसलिए वह किसी भी सूरत में अपने ऊपर भ्रष्टाचार का कलंक नहीं लगाना चाहती है। यही कारण है कि कैप्टन की भाजपा में धमाकेदार एंट्री नहीं हो पाई। दो बार मुख्यमंत्री और तीन बार पंजाब कांग्रेस की कमान संभालने वाले कैप्टन के भाजपा में जाने की तैयारियों को लेकर कांग्रेस में लंबे समय से यह संशय बनी हुई थी कि कौन-कौन उनके साथ भाजपा में जा सकते है। हालांकि कैप्टन के साथ कोई बड़ा चेहरा भाजपा में नहीं गया।