शहर में डेंगू के सैकड़ों मरीजों का जिम्मेदार ठहराया नगर-निगम, कहा-डेंगू को बढ़ावा देने में निगम ने नहीं छोड़ी कोई कसर
कहीं नहीं हुआ फॉगिंग का छिड़काव, जगह-जगह लगे कचरे के ढेरों को नहीं हटाया गया अबतक
एसएनई न्यूज़.बटाला /गुरदासपुर।
हमेशा से ही विवादों में रही नगर-निगम बटाला पर इस बार काफी संगीन आरोप लगे है। इतना ही नहीं शहर के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता चंद्रकांत महाजन ने नगर-निगम बटाला के मेयर से लेकर पंजाब के स्थानीय निकाय विभाग ने लीगल नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांग लिया है। शहर में डेंगू से पीड़ित सैकड़ों की संख्या में मरीजों के लिए निगम को ही जिम्मेदार ठहराते कहा कि इस बीमारी को बढ़ावा देने में इस विभाग ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। शहर के किसी भाग में फॉगिंग का छिड़काव नहीं किया गया। जगह-जगह लगे कचरे के ढेरों से एक बात साबित हो जाती है कि निगम हर जगह से फेल साबित हुई। चेतावनी देते कहा कि अगर इस लीगल नोटिस पर कड़ा संज्ञान नहीं लिया गया तो अदालत में इस मामले को लेकर एक याचिका भी दायर होगी।
बटाला अदालत के प्रसिद्ध अधिवक्ता चंद्रकांत महाजन ने अपने मुविक्ल अधिवक्ता डेरा साहिब निवासी अतुल मोना, फ्रैंड्स कालोनी के रहने वाले अधिवक्ता सौरभ सैली के माध्यम से एक लीगल नोटिस नगर-निगम बटाला के मेयर तथा स्थानीय निकाय विभाग के नाम भेजकर डेंगू की दुर्दशा के लिए इन लोगों को जिम्मेंदार ठहराते हुए इनसे जवाब मांग गया है। जवाब पंद्रह दिन के भीतर देना होगा कि शहर में डेंगू को लेकर निगम ने क्या व्यवस्था की। डेंगू के बारे इतना कुछ जानने के बावजूद फागिंग का छिड़काव क्यों नहीं किया गया। जगह-जगह कचरे लगने के पीछे क्या वजह रही है।
इस लीगल नोटिस में लिख गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के सर्वेक्षण में बटाला सफाई के मामले में सबसे पीछे रह गया। उसके बावजूद शहर में सफाई के नाम पर कोई सुधार नहीं हुआ। शहर में बच्चों के खलेने के लिए मैदान नहीं है। जो है उनकी हालत काफी खस्ता है। दिन ढलने के बाद शहर में डेंगू के मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। लोग घरों में रहने के लिए मजबूर हो जाते है। शहर में फागिग के माध्यम से अभी तक छिड़काव नहीं किया गया। परिणामस्वरुप डेंगू मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ चुका है।
शहर में सरकारी से लेकर निजी अस्पताल में डेंगू मरीजों के केस इतने बढ़ चुके है कि उनके ठहरने के लिए बिस्तरों की कमी हो चुकी है। कई मरीजों को अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल तथा चंडीगढ़ पीजीआई अस्पताल में रेफर किया गया। वहां पर उनकी हालत चिंताजनक बताई गई है। इन सब के पीछे बटाला की नगर-निगम का सिस्टम फेल होने वाली बात सामने आ रही है। जबकि , निगम के मेयर से लेकर आयुक्त के पास इस बारे जवाब देने में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं है।
कचरे इकट्ठा करने का सिस्टम पूर्ण रूप से फेल
अधिवक्ता ने अपने लीगल नोटिस में इस बात का खास जिक्र करते कहा कि नगर-निगम बटाला का कचरा इकट्ठा करने का सिस्टम बिल्कुल फेल साबित हुआ। शहर के भीतर ही कचरे के जगह-जगह ढेर लग चुके है। उन्हें हटाने के लिए निगम के पास कोई खास इंतजाम नहीं है। कई-कई दिनों तक जगह-जगह कचरा लगा रहता है। इससे साफ जाहिर होता है कि निगम बटाला ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट 2016 के नियमों का सरेआम उल्लंघन किया।
सीवरेज लीकेज समस्या
अधिवक्ता ने अपने लीगल नोटिस में इस बात का भी हवाला दिया कि शहर का सीवरेज सिस्टम बिल्कुल खराब है। वहां पर कई जगहों पर सीवरेज लीकेज करने की शिकायतें सामने आ रही है। इस लीकेज की वजह से दुर्गंध तथा डेंगू जैसे जानलेवा मच्छरों को बढ़ावा मिल रहा है। इतना ही नहीं निगम तो शिकायतें सामने आने के बावजूद , उसका समाधान निकालने में पूर्ण रूप से असफल साबित हुई।
डेंगू मरीजों की सैकड़ों संख्या
अधिवक्ता के मुताबिक , उनके प्रमाण में साफ साबित हो जाता है कि बटाला शहर में डेंगू के काफी मरीज है। अस्पताल तथा निजी क्लीनिकों में ईलाज कराने वाले डेंगू मरीज काफी संख्या में है। हालात बदतर हो चुके है। अस्पताल में भी इलाज कराने वालों को अब मजबूरीवश अन्य शहर के अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है। इन सब के लिए बटाला नगर-निगम जिम्मेदार है। अगर समय रहते शहर में छिड़काव प्रक्रिया शुरु हो जाती है तो हालात कुछ ओर होते।
लंबी लड़ाई चलेगी
अधिवक्ता चंद्रकांत महाजन ने कहा कि मुदा लोगों के हितों के साथ जुड़ा है। इसलिए उनकी लड़ाई लंबी भी जा सकती है। इसके लिए अगर जरूरत पड़ी तो वह देश की उच्च न्यायालय में इस मुद्दे को लेकर अपनी लड़ाई जारी रखेगे। उन्हें देश की कानूनी प्रक्रिया पर पूरा विश्वास है। उन्हें मालूम है कि वह अपनी लड़ाई में जरूर कामयाब रहेगे।
कौन है चंद्रकांत महाजन अधिवक्ता
जिला बटाला न्यायालय परिसर में लोगों के सच्चाई से जुड़े मुद्दों पर लड़ाई लड़ने के नाम से प्रसिद्व है अधिवक्ता चंद्रकांत महाजन। इन्होंने कुछ समय पहले बटाला में अवैध पटाखा फैक्ट्री चलाने वालों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। शुरु-शुरु में इस लड़ाई में एड.चंद्राकांत महाज अकेले थे, जब इनकी सच्चाई का ज्ञान आम जनता तक पहुंचा तो हर किसी ने इनके साथ सहयोग दिया। देश भक्ति इनके कण-कण में बसी है।