श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत ने ही रखी खालसा पंथ की नीव-डॉ. कुलदीप अग्निहोत्री

स्वदेशी जागरण मंच ने किया श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400 साला प्रकाश पर्व पर विचार गोष्ठी का आयोजन 

नीरज़ शर्मा.बटाला।

सिख पंथ के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी द्वारा देश और धर्म की रक्षा के लिए दी गई शहादत ने खालसा पंथ की नींव रखने में अहम योगदान दिया था। श्री गुरु तेग बहादुर जी को ज्ञात था कि उनकी शहादत से संपूर्ण समाज में आग भडकेगी और वह मुगलिया जुल्म और अत्याचार के खिलाफ उठ खड़े होंगे और ऐसा हुआ भी। नवमी पातशाही जी की शहादत ने ही दसवें गुरु के रुप में श्री गुरु गोविंद सिंह को हमें दिया।  मुगलिया हकूमत से अपने समाज की सुरक्षा के लिए एक दिन खालसा पंथ स्थापना कर सोई हुई कौम में जान फूंक दी। 

फोटो कैप्शन— मुख्यातिथि को सम्मानित करते स्वदेशी स्वदेशी जागरण मंच के पद्दाधिकारी तथा अन्य।

उक्त विचारों का प्रवाह रविवार को पूर्व उपकुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश डॉक्टर कुलदीप अग्निहोत्री ने स्वदेशी जागरण मंच बटाला द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर जी के चार सौ साला प्रकाश उत्सव पर आयोजित विचार गोष्ठी में अपने संबोधन दौरान कहा। विचार गोष्ठी स्थानीय शिव कुमार बटालवी ऑडिटोरियम में आयोजित की गई। 

मुख्य अतिथि डॉ. हरप्रीत सिंह शामिल हुए, जबकि गोष्ठी की अध्यक्षता प्रसिद्ध उद्योगपति परमजीत सिंह गिल ने की।स्वदेशी जागरण मंच के जिला संयोजक दीपक वर्मा वह नगर संयोजक कमलदीप लक्की की अगुवाई में हुई। गोष्टी समारोह में मंच का संचालन राष्ट्रीय परिषद सदस्य व अमृतसर विभाग संयोजक संदीप सलहोत्रा ने किया। विचार गोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को लसानी बताते हुए कहां के उनकी शहादत जैसा अन्य कोई उदाहरण मिलना असंभव है।

फोटो कैप्शन–शिव कुमार बटालवी आडिटोरियम में उपस्थित लोग।

श्री गुरु तेग बहादुर जी जनमानस में सुप्त चेतना को जगाने के लिए स्वयं अपने 3 शिष्यों के साथ चलकर दिल्ली पहुंचे, जबकि उनको ज्ञात था कि मुगल करूर शासक औरंगजेब उनकी हत्या भी कर सकता है।इतना ही नहीं, अभी उनकी आंखों के सामने उनके शिष्य भाई मती दास को जीवित ही आरे से चीर दिया गया। दूसरे शिष्य भाई सती दास को उबलते हुए पानी में उबालकर शहीद कर दिया गया, जबकि तीसरे शिष्य भाई दयाला जी को रुई में लपेट कर जिंदा आग के हवाले कर दिया गया।

इस उपरांत नौवीं पातशाही श्री गुरु तेग बहादुर जी को भी शहीद कर दिया गया। उनकी शहादत ने संपूर्ण समाज में मुगलों के प्रति संघर्ष की जो ज्वाला पैदा की उसकी मिसाल आज भी कायम है। गोष्टी के अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह व दोशाला देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में कादिया नगर से वरिंदर प्रभाकर, दर्शन सिंह, नगर कौंसिल कादिया के अध्यक्ष ,भगवान वाल्मीकि क्रांति सेना के वीर सिंह, सुखमणि साहिब सेवा सोसायटी के मास्टर जोगिंदर सिंह अचली गेट, सहारा क्लब के जितेंद्र कद, राष्ट्रपति अवार्ड विजेता मुख्त्यार सिंह, शिव कुमार बटालवी के भतीजे राजीव बटालवी, वनवासी कल्याण आश्रम के आयोग सिंह, फैजपुरा गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान गुरनाम सिंह, दैनिक प्रार्थना सभा से के एल गुप्ता, डॉक्टर संजीव भल्ला, अरुण अग्रवाल, रजत सरीन, मनीष महाजन, अमृतसर से अक्षय कुमार, हीरा वालिया, राकेश भाटिया, शक्ति शर्मा, भूषण बजाज, जे एन शर्मा, सोहन लाल प्रभाकर, अनिल डोगरा, रमेश अग्रवाल, राकेश ठेकेदार, अनिल डोली,  प्रिंसिपल अनिल गुप्ता, प्रिंसिपल रजनी सलहोत्रा जितेंद्र कल्याण, सेवा भारती से अनिल गुप्ता व प्रेम सागर, अनिल भट्टी, राकेश भाटी, पंकज शर्मा, स्वदेशी जागरण मंच से जगजीत सिंह माथारू, अमनजोत सिंह वालिया, पंडित शंभू प्रसाद शर्मा, कमलदीप लकी, मनीष हांडा, नीलम महाजन, वीना सोनी, प्रदीप महाजन, गौतम, रितिका महाजन, सीमा बटालवी, मानिक राजकुमार वर्मा, गीता अग्रवाल, अमनदीप कालिया, रमेश वर्मा, किरण चड्ढा, अनुराधा शर्मा, रितिका महाजन, शैली, विशाल शर्मा, हरिओम जोशी, रमेश वर्मा, एडवोकेट आशुतोष एडवोकेट, शंकर, एडवोकेट परमजीत तलवार, हरिकिशन महाजन आदि उपस्थित थे।

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