आप का शपथ ग्रहण काफी होगा खास…. सैकड़ों एकड़ खेत की फसल पर फेर दी जेसीबी….अब जनता के खून-पसीने की कमाई का 2 करोड़ रुपए कार्यक्रम पर खर्च…..शासन-प्रशासन पर बड़ा सवाल..कौन देगा जवाब…?

प्रवीर अब्बी.नवांशहर चंडीगढ़।

पंजाब की राजनीति में प्रचंड जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी अब अपने वीआईपी फैसलों की वजह से जनता के समक्ष काफी चर्चित होने लगी है। खटखट कला में होने वाली  सरकार में आप के नव-निर्वाचित सीएम भगवंत मान के शपथ ग्रहण से पूर्व 100 एकड़ जमीन पर खड़ी फसल पर जेसीबी चढ़ा दी गई। अनुमान लगाया जा रहा है कि जनता के खून पसीने की कमाई का 2 करोड़ रुपए खर्च प्रशासन की तरफ से सरकार को खुश करने के लिए लगाया जा रहा है। ईमानदार पार्टी होने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी इतना बड़े खर्च को कम कर या फिर खुद के पैसे से आयोजन कर जनता के बीच अच्छा संदेश दे सकती थी, जबकि ऐसा नहीं करके विपक्ष से लेकर जनता के बीच एक नई बहस छेड़ दी गई। शासन-प्रशासन पर अब बड़े-बड़े सवाल खड़े होने लग पड़े है। चर्चा, इस बात की शुरु हो चुकी है, सरकार या प्रशासन दोनों में कौन देगा इसका जवाब…..भई पैसा तो जनता का ही है।

एक सीएम के शपथ ग्रहण समारोह, वह भी शहीद भगत सिंह के जुड़े शहर में आम आदमी पार्टी तथा प्रशासन द्वारा इतना बड़ा ढोंग करने की क्या जरूरत पड़ गई। इस समारोह को जितना साधारण तथा कम पैसे से आयोजित किया जाता, शायद, उससे दोनों ही इस भूमिका को निभा कर लोगों तथा विरोधियों तक एक मिसाल पैदा कर सकते थे। किसी को प्रहार करने का भी अवसर या फिर आशंका की नौबत ही नहीं आ पाती। जीत को लेकर आप शायद इस स्वप्न में भी दिखाई दे रही है कि वह जो भी कर रही है, सब जनता के समर्थन में जा रहा है। जबकि, उसके लिए यह सब कुछ एक बड़ी भूल भी हो सकता है। क्योंकि जनता मौका देने के साथ-साथ हर गतिविधि पर भी नजर रखती है।

जनता के दरबार को सब मालूम होता है कि कौन सही तथा कौन गलत कर रहा है। अवसर देने वाली जनता हटाने में भी जरा सा संकोच नहीं करती। आप की सत्ता से आने पूर्व कई परंपरागत पार्टियों को भी इस कदर गरुर चढ़ कर बोल रहा था कि उन्हें जनता बिल्कुल दिखाई देने ही बंद हो गई थी। दावा करने लग पड़ी थी जीत उनके हाथ से कभी छीन ही नहीं सकती है। क्योंकि, जनता के लिए हम लोगों ने बहुत कुछ कर दिखाया।

मगर जनता ने भी इनके गरुर को तोड़ते हुए झाड़ू को समर्थन देकर पूरे पंजाब में सफाई ही कर दी। लेकिन, सवाल तो अब आप की नव-निर्वाचित सरकार पर भी खड़े होने लग पड़े है कि शासन द्वारा उनके खून-पसीने का पैसा कैसे इस आयोजन में खर्च किया जा रहा है।फिलहाल, वर्तमान की परिस्थितियां सरकार के काम के अंदाज तथा प्रशासन से ले रहे कार्य को लेकर जनता के भीतर आशंका का बीज बोने का काम पूरा-पूरा कर रही है। 

बताया जा रहा है कि प्रशासन के निर्देश पर चलने वाली जमीन तथा जेसीबी सबकुछ उनके अधीन है। क्योंकि, जनता से सरकार इस जमीन को खरीद चुकी है। पैसा मिल चुका है। मगर कहानी जहां तक नहीं समाप्त हो जाती, क्योंकि, इस जमीन पर उगी फसल को व्यर्थ करने की बजाय गौशाला तक पहुंचाया जा सकता है। वहां पर रहने वाले गाय जैसे पशु अपने पेट भर सकती थी। ऐसा करने से शायद नवनिर्वाचित सरकार से लेकर प्रशासन का जनता के बीच एक अच्छा संदेश जा सकता था। लेकिन, ऐसा नहीं करके जनता के बीच आशंका का बाजार तो पूर्ण रूप से गर्म कर दिया।  

50% LikesVS
50% Dislikes