एक कोशिश फाउंडेशन की  नेक पहल-जिम मालिकों की मंदी आर्थिक व्यवस्था पर जिला आयुक्त से मुलाकात कर 50 फीसद संख्या से जिम खोलने की अनुमति के लिए लगाई गुहार

फोटो कैप्शन- एक कोशिश फाउंडेशन के संयोजक अधिवक्ता गगन बाली, जिम एसोसिएशन के सदस्यों समेत जिलाधीश गुरप्रीत सिंह खैहरा को जिम खोलने की अनुमति पर एक मांग पत्र सौंपते तथा अन्य।

असर…..जिलाधीश ने दिया विश्वास जल्द इस पर लिया जाएगा बड़ा फैसला…जिम कारोबार कंगाली पर आ पहुंचा

एसएनई न्यूज़.अमृतसर/चंडीगढ़।

देश-विदेश में समाज के लिए सराहनीय कार्य करने के नाम से परिचित एक कोशिश फाउंडेशन (रजि.) ने एक नए मुद्दे को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाते हुए, समाज के एक वर्ग के लिए एक नई राह का उम्मीद जगाई। यह संभव हो सका फाउंडेशन के संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता गगन बाली की बदौलत से। उन्होंने प्रदेश के जिम मालिकों की मंदी आर्थिक व्यवस्था पर कड़ा संज्ञान लेते हुए बुधवार जिम एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ जिला अमृतसर आयुक्त गुरप्रीत सिंह खैहरा से मुलाकात की। उन्हें अपनी मांगों के संबंध में मांग पत्र सौंपा।  उन्हें गुहार लगाते कहा कि 50 फीसद के मुताबिक जिम खोलने के लिए अनुमति दी जाए। इस बात का असर यह हुआ कि जिलाधीश ने भी इस पूरे मामले पर विश्वास दिलाया कि जल्द ही इस पर बड़ा फैसला लिया जाएगा। 

बताते चले कि लंबे समय से जिम कारोबार कंगाली की हालत तक पहुंच चुका है। किराया निकालना जिम संचालक के लिए कठिन हो चुका है। सरकार के दिशा-निर्देश मुताबिक, जिम इमारत मालिक लॉकडाउन में किराया नहीं मांग सकते, जबकि इन मालिकों ने सरकार के निर्देश को नजरअंदाज करते हुए किराया जिम संचालक से लिया गया। जिम संचालक के घर का गुजारा मुश्किल से चल रहा है। बच्चों की फीस सब कुछ भुगतान करना काफी मुश्किल हो रहा है। 

पंजाब के बठिंडा, मुक्सर जैसे जिला में जिम खोलने की वहां के जिलाधीश ने अनुमति दे दी है। हम विश्वास दिलाते है कि 50 फीसद के हिसाब से स्टाफ होगा। दो डोज लगी होने वालों को ही जिम में आने की ही अनुमति मिल सकेगी। खासतौर पर नियमों के मुताबिक मास्क तथा सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान रखा जाएगा। खोल देने की अनुमति से उनके कारोबार चल पड़ेगा। काम करने वाले मुलाजिमों को वेतन दे पाएगे। 

कब-कब लगा लॉकडाउन….कितना पड़ा जिम व्यवसाय को नुकसान

पहला लॉकडाउन 14 मार्च 2020 से लेकर 5 अगस्त तक लगा (कुल पांच माह), दूसरा लॉकडाउन 21 अप्रैल से लेकर जून माह तक लगा (लगभग 2 माह)। कुल मिलाकर इन दो वर्ष में सात माह तक जिम व्यवसाय बिल्कुल बंद होने से आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गया। हालात कंगाली तक पहुंच गए। एक अनुमान के मुताबिक , जिम कारोबार सिर्फ 20 फीसद ही रह चुका है। साक्ष्यों के आधार पर कई जिम कारोबारी अपना काफी कुछ खो चुके है। इनकी समस्या को प्राथमिकता के आधार पर निवारण करना सरकार तथा प्रशासन का मौलिक ड्यूटी बनती है। 

हैरान करने वाली बातें….जिनके बारे समझना हम सबके लिए जरूरी

इस बार के लॉकडाउन में सरकारी आदेश मुताबिक 50 फीसद के हिसाब से जिम खोलने का प्रावधान रखा गया। हैरान करने वाली बात यह है कि होटल, शोपिंग माल, रेस्त्रां, बारस, सिनेमा हाल को 50 फीसद की अनुमति के हिसाब से खोल भी रहे है, जबकि मनुष्य को इस भागदौड़ की जिंदगी में तंदुरुस्त रखने में अहम किरदार निभाने वाले जिम को नियमों के मुताबिक भी खोलने नहीं दिया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रशासन की तरफ से जिम संचालकों के साथ सरासर धक्का है। जिम खोलने के लिए प्रशासन को एक बार फिर से विचार करने की जरूरत है। 

बड़ा सवाल….बठिंडा, मुक्सर जिम खोलने की अनुमति तो अन्य जिलों में क्यों नहीं?

बड़ा सवाल सरकार तथा प्रशासन पर इस बात का उठता है कि अगर पंजाब के जिला बठिंडा, मुक्तसर में जिम खोलने की अनुमित (50 फीसद) के हिसाब से है तो पंजाब के अन्य जिलों में क्यों नहीं , वहां के प्रशासन ने दी। क्यों, इन क्षेत्रों में प्रशासन अपना कड़े ऱविए का संदेश लोगों के बीच दे रहा है? क्यों नहीं इस पर दोबारा विचार किया जा रहा है? यह सब सवाल अभी तक अनसुलझे है, इनका जवाब मिलना अति अनिवार्य है। 

एसोसिएशन के मुताबिक….स्कूलों की तो निरंतर जारी आय…जबकि जिम कारोबार बिल्कुल ठप्प

एसोसिएशन के अध्यक्ष अरमान कोहली मुताबिक, शिक्षण संस्थान तो जरुर बंद पड़े है, जबकि उनका आनलाइन क्लास के माध्यम से जुगाड़ चल रहा है। बकायदा, उन्हें फीस भी पहुंच रही है। आय की प्रणाली पटरी पर चल रही है। जबकि इसके प्रतिकुल उनका व्यापार बिल्कुल ठप हो चुका है। इतना ही नहीं विद्युत का बिल, अन्य जरूरी खर्च, कर्मचारी की पगार , जिम का किराया निकाल पाना काफी मुश्किल हो चुका है। मांग की कि उन्हें जिम खोलने की अनुमति दे देनी चाहिए। 

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