विकास कौड़ा.चंडीगढ़/हरिद्वार।

देश में एक्यूप्रेशर प्रणाली की काफी मांग हो चुकी है। इस प्रणाली के माध्यम से बड़े-बड़े रोगियों को ठीक किया जा सकता है। इस प्रणाली के माध्यम से देश-विदेश में रोगियों को ठीक कर, उन्हें नया जीवन देकर एक मसीहा के रूप में अपनी पहचान बन चुके गौतम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक छोटे से गांव मेघा खेड़ी के रहने वाले है। फिलहाल, विश्व प्रसिद्ध बाबा रामदेव की संस्था योगपीठ में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है।
शिक्षा हरिद्वार के बाबा रामदेव के शिक्षण संस्थान से बीए तथा एमए अच्छे अंक से की। फिलहाल, अपना जीवन बाबा रामदेव के योग ग्राम में देश-विदेश से आए गंभीर रोगियों को एक्यूप्रेशर प्रणाली के माध्यम से स्वस्थ कर रहे है। यह वह रोगी है, जिन्हें मेडिकल साइंस ने अपने हाथ खड़े करके न इलाज कह दिया था। इन रोगियों को नई जिंदगी देने में गौतम को काफी अच्छा लगता है तथा मन में भरपूर सुकून महसूस होने का दावा करते है।
जिंदगी में कुछ नया करने की इच्छा बचपन से ही थी। बहन के साथ अच्छा प्यार था। उनसे प्रेरित होकर योग में शिक्षा ग्रहण करने का मन बनाया। गौतम के मुताबिक, एक्यूप्रेशर की शिक्षा महज 10 दिन भीतर ही ग्रहण कर ली। मन में दिलचस्पी तथा रुचि ने इस प्रणाली ने अनुभव कारी तथा विशेषज्ञ बना दिया। उन्होंने बताया कि यहां पर रोगी जब उनके पास पहुंचते है तो मन में थोड़ा घबराहट तो जरूर होती है। लेकिन, सबसे पूर्व उनके मन को मजबूत किया जाता है तथा उन्हें जागरूक किया जाता है कि आप जल्द स्वस्थ हो जाएगा। फिर, प्रतिदिन उन्हें नई तरह की तकनीक के माध्यम से पांच दिन में स्वस्थ कर दिया जाता है।
सेवा ही उनका धर्म
गौतम ने बताया की कि सेवा ही उनका धर्म है। बड़े से बड़े रोगी को लगातार पांच दिन एक्यूप्रेशर की तकनीक से प्रतिदिन नई प्रणाली से इलाज किया जाता है। प्रतिदिन रोगी के स्वास्थ्य में सुधार होता रहता है। अंतिम दिन वह बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है। इस तकनीक के उपरांत रोगी को कुछ व्यायाम के तरीके बताए जाते है। जिसे प्रतिदिन थोड़े समय के लिए प्रयोग कर सकती है। सेवा ही उनका धर्म है। नई जिंदगी रोगी को देकर मन में अच्छा महसूस होता है।
उपचार से ठीक हो जाए, उनके लिए गर्व की बात
गौतम के मुताबिक, जिंदगी में वह खूब कमा सकते है, लेकिन जिंदगी का एक ही मकसद था कि लोगों की दिल से सेवा करना। इसके लिए एक्यूप्रेशर जैसी तकनीक की शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद कई जगह से उन्हें बड़े ऑफर आए, लेकिन मन में सेवा भावना होने की वजह से उन सभी को एक-एक करके ठुकरा दिया। वर्तमान किसी रोगी को स्वस्थ कर उनके लिए बड़े ही गर्व की बात है। जिंदगी पैसा ही सब कुछ नहीं होता है, एक दुआ मिलने से जीवन सफल हो जाता है।