वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर चंडीगढ़।
ऐतिहासिक शहर अमृतसर से ठीक 7 किलोमीटर दूरी पर बसा गांव नौशहरा किसी पहचान का मोहताज नहीं है। 4000 की आबादी वाले इस गांव में 2 नहीं बल्कि 4-4 सरकारी स्कूलों की सुंदर इमारत यहीं बयां करती है कि यह कोई गांव नहीं लगता बल्कि शहर के एक विकसित क्षेत्र की तरह हूबहू दिखाई देता है। उन्नति तथा प्रगतिशील सोच के पीछे दिवंगत नेता पूर्व सरपंच श्री कृष्ण बलदेव तथा उनके परिवार को श्रेय जाता है। अब परिवार ने अपने दिवंगत नेता की सोच को बरकरार रखने का बीड़ा उठा लिया। क्षेत्र के विकास के लिए अब विकास को अवसर दिया गया। जनुनूी सोच विकास के हर कार्य को मजबूत तरीके से कर रही है। टकसाली कांग्रेसी होने के साथ-साथ विकास एक समाज सेवक की भूमिका को खूब अच्छे तरीके से निभा रहे है। उनकी सोच की मजबूती को तब ही बल मिल जाता है, जब गांव का बच्चा-बच्चा ,पढ़े-लिखे युवाओं से लेकर बुजुर्ग श्रेणी से जुड़े लोग उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लग पड़ते है।
इस गांव का आरंभिक तौर पर परंपरा रही है कि जो विकास को बल देता है तो गांव वासी उनके लिए हमेशा-हमेशा के लिए बन जाते है। इस बात का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि शर्मा परिवार को गांव वालों ने पिछले 30 साल से सेवा करने का मौका दिया। परिवार भी लोगों की सोच पर कड़ा पहरा दे रहा है। जीवन के सुख-दुख में शरीक होने में इस परिवार से बेहतर कोई नहीं जान सकता है। गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा से लेकर लड़कियों की शादी में हर प्रकार का सामान वे खुद अपनी जेब से खर्च करते है। इस गांव की उदाहरण यह भी है कि गांव से कई बच्चे शिक्षित होकर प्रदेश ही नहीं देश का नाम भी रोशन कर रहे है। काफी हद तक गांव वासी इन सबके पीछे विकास शर्मा की सोच को काफी महत्वपूर्ण मानते है। उनके मुताबिक, दिवंगत नेता की उपरांत उन्हें लगा था कि शायद हमारे मसीहा के बाद उन्हें कोई पूछेगा नहीं , लेकिन उनका अंदाजा बिल्कुल गलत साबित हुआ। विकास उनके हर सुख दुख में उनके साथ मजबूत चट्टान की तरह सदैव खड़ा रहता है।
सड़क, शमशानघाट, धार्मिक स्थल के विकास में शर्मा परिवार ने खूब एड़ी चोटी का जोर लगाकर सरकार से फंड उपलब्ध कराए। इन स्थल को देखने से लगता नहीं है वे गांव के स्थल नहीं है, बल्कि, विकसित शहर की लुक की तरह दिखाई देते है। मूल सुविधाएं से लेकर हर प्रकार प्रबंध किया गया है, ताकि गांव वासी किसी प्रकार से कोई दिक्कत न पेश हों। विकास के मुताबिक, प्रगति तो उनके पिता के कार्यकाल में खूब हुई। पिता ने कई कार्य अपनी सरकार के प्रतिकूल जाकर फंड उपलब्ध कराए, क्योंकि, उनकी प्राथमिक सोच थी गांव ही उनका पहला परिवार है। उनसे बढ़ कर कोई नहीं है। उनके बताए मार्ग पर चलकर गांव के विकास में खुद जोर लगा रहे है। लंबित कार्य को जब वे पूरा करवा लेते है तो उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि शायद कोई अच्छा कर्म कर लिया। मन को काफी सुकून मिलता है। भविष्य में एक ही सोच रखी है कि किसी न किसी प्रकार से गांव को विकास के नक्शे में ऊंचे स्थान पर लेकर जाना है। इसके लिए अभी से एक रणनीति पर खाका तैयार कर लिया गया। इसे अंजाम देने के लिए एक शिक्षित युवाओं की सोच काम कर रही है। भविष्य में गांव के विकास में कुछ बेहतर दिखाई देगा।
विकास का किताबों से खूब प्यार आरंभिक समय से रहा है, इसलिए वे बच्चों के हाथ में किताबें थमाने में भी पीछे नहीं हटते है। अब तक 2 हजार के करीब बच्चों को किताबें देकर उनके जीवन को बदल चुके है। उनके मुताबिक, बच्चों को किताबों के साथ प्यार करना चाहिए। यह हमारी सोच में बदलाव करता है। इससे सही गलत का अंतर का पता चलता है। अगर किसी बच्चे का किताब पढ़ने से जीवन में बदलाव आ जाए तो इससे उनके लिए कौन सी बेहतर बात होगी। पिता ने हमेशा उन्हें किताबों के साथ लगाव लगाने के लिए जोर दिया। आगे उनके नक्शे कदम पर चल कर बच्चों को किताब बांट कर उनके जीवन में बदलाव लाया जा रहा है।
…भविष्य की रूपरेखा
इस बार पंचायत चुनाव के दौरान गांव में आरक्षित कोटा था। चुनाव में उनकी पार्टी की तरफ से प्रत्याशियों को खड़ा किया गया। 4 लोग जीत गए है। भविष्य़ की रणनीति को लेकर अभी से प्लान तैयार कर लिया गया। गांव के हर एक सदस्य को अपनी पार्टी के साथ जोड़ा जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि पार्टी उनके साथ सदैव खड़ी है। किन-किन मुद्दों पर लगता है वह कमजोर है, उन पर गौर किया जा रहा है। भविष्य में फिर से कोई गलती रह न जाए, उसके लिए सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे है। तैयारी से ऐसा लगता है कि हम भविष्य में बहुत ताकतवर साबित होंगे।
इस वर्ग पर ज्यादा जोर
गरीब, अशिक्षित वर्ग पर इस समय उनकी रणनीति के मुताबिक ज्यादा जोर दिया जा रहा है। उनके बच्चों को शिक्षित करने के लिए पढ़ाई पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। हर मूल सुविधा को पूरा करने के लिए हर प्रकार के कड़े प्रयास जारी है। किताबें से लेकर स्कूल की वर्दी को अपने जेब से खर्च कर लेकर दी जा रही है, ताकि कोई कमी पेशी न रह जाए। वहीं, गरीब तथा शिक्षित लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस योजना के तहत 50 फीसद काम भी कर चुके है। शेष रणनीति पर कार्य खूब तेजी से चल रहा है। टीम में शिक्षित तथा सूझवान युवाओं को शामिल किया गया। उन्हें आर्थिक तौर पर भी मजबूत किया जा रहा है। अब उन्हें गांव में ही रोजगार मिल रहा है। शहर या देश छोड़ कर जाने की अब किसी को जरूरत ही नहीं है।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
महिलाएं किसी भी काम में पीछे न रह जाए, उसके लिए विकास की सोच ने उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए कई कार्य कर रहे है। बताया जा रहा है कि महिला सशक्तिकरण को जीवित रखने के लिए सरकारी सुविधाओं के साथ-साथ पंचायती फंड के माध्यम से कई सिलाई केंद्र खोल कर उन्हें जीवन में सिरा उठा कर जीने के लिए एक नई मिसाल पैदा की। उनके मुताबिक, गांव की महिलाएं आ पुरुष से अधिक आय है। घर के कामकाज साथ सिलाई कढ़ाई का काम काफी खूबसूरती तरीके से करते है। उनके कार्य के सभी लोग कायल है।
बुजुर्ग के लिए बैठने की खास व्यवस्था
परिवार , गांव , शहर का मेन हिस्सा बुजुर्ग माना जाता है। बुजुर्ग की प्रमुखता को देखते हुए विकास तथा उनके दिवंगत पिता ने कई सराहनीय कार्य किए। बैठने के लिए गांव में बेंच की व्यवस्था कराई गई। इनकी मजबूती अब भी गांव में कायम है। हर बुजुर्ग सर्दी, गर्मी में बैठकर सुकुन महसूस करता है। अन्य जगह में बेंच लगवाने के लिए जगह चिन्हित कर ली गई है। जल्द ही नए बेंच लगा दिए जाएगे। गांव का बुजुर्ग खुश तो हम भी खुश, यह कहना था विकास का।
जिम, स्कूल की है अलग पहचान
जिम तथा विभिन्न श्रेणी के सरकारी स्कूल इस गांव के अलग पहचान रखते है। बताया जाता है कि उनकी प्रशंसा खूब की जाती है। स्मार्ट स्कूल में बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ दिमाग का विकास भी हो रहा है। खास बात यह है कि इन स्कूल में शिक्षा दिलाने के लिए अभिभावक काफी दिलचस्पी दिखा रहे है। इसका श्रेय भी शर्मा परिवार को जाता है, उनके प्रयास की वजह से इन स्कूलों को उन्नत किया गया। जिम, खेल मैदान में बच्चे अपने भविष्य को उज्जवल कर रहे है। राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर के खिलाड़ी इस गांव से निकले है। उनकी जरूरतों को पूरा करने में शर्मा परिवार ने खास योगदान दिया।