वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
सुखबीर बादल की हत्या के लिए आतंकी नारायण सिंह चौड़ा ने वर्षों पुराने खालिस्तानी आतंकी तरीके को अपनाया। बताया जा रहा है कि जिस पिस्टल को इस्तेमाल किया गया , अगर गोली लग जाती है तो जान भी जा सकती थी। उसके मंसूबों को पानी तब फिर गया जब जांबाज एएसआई ने पूरी बहादुरी के साथ आतंकी को दबोच लिया। इससे उसका जान से मारने का प्रयास एकदम फेल हो गया।
पुलिस से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ठीक उसी जगह पर 41 साल पहले पंजाब पुलिस के DIG एएस अटवाल की भी हत्या की गई थी। उनकी हत्या के लिए भी ठीक यही खालिस्तानी तरीका इस्तेमाल हुआ था। श्री स्वर्ण मंदिर के भीतर से बिल्कुल उनके करीब आकर उन्हें गोली मारी दी।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रचारक रिटायर्ड ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा को भी बाइक सवार हमलावरों ने बाइक पास में सटाकर गोली मारी थी। पंजाब में इससे पहले बड़े नेताओं की हत्या हो चुकी हैं। इनमें अकाली नेता हरचंद सिंह लौंगोवाल और पूर्व CM बेअंत सिंह का नाम प्रमुख है। इसके अलावा शिवसेना नेता सूरी को भी अमृतसर में दिनदहाड़े गोलियां मार दी गईं थी।
बताया जाता है कि सुखबीर बादल पर हमला करने वाला आतंकी नारायण सिंह चौड़ा माथा टेकने के बहाने गेट के पास आया। इसके बाद सुखबीर के करीब पहुंचते ही उसने जैकेट में छिपाई पिस्टल निकाली और जैसे ही गोली चलाने लगा तो ASI जसबीर सिंह ने उसका हाथ ऊपर उठा दिया, जिससे सुखबीर बादल की जान बच गई।
पंजाब में हुई बड़ी किलिंग के बारे विस्तृत जानकारी…..कब-कब कहां-कहां हुई घटनाएं
1. DIG को गेट पर मारी गोली, 2 घंटे कोई लाश उठाने नहीं आया
25 अप्रैल 1983 को सुबह 11:10 बजे का वक्त था। IPS अफसर एएस अटवाल जालंधर रेंज के DIG थे। वह गोल्डन टेंपल में अरदास कर बाहर आ रहे थे। तभी उन्हें पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली मार दी गई। अज्ञात व्यक्ति की गोली से उनकी वहीं मौत हो गई। इस हमले में अमृतसर के रहने वाले कुलविंदर सिंह और 11 वर्षीय बरिंदरजीत सिंह भी घायल हुए थे। बरिंदरजीत की बाद में मौत हो गई, जबकि कुलविंदर गंभीर रूप से घायल थे।
इसके बाद तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पीसी सेठी ने संसद में बताया था कि DIG अटवाल को दरबार साहिब के मुख्य प्रवेश द्वार के पास गोली मारी गई। हमलावर कथित तौर पर दरबार साहिब के अंदर से आया था और फायरिंग के बाद वापस वही चला गया। वहीं, पंजाब के पूर्व DGP केपीएस गिल के अनुसार, “दुकानदारों ने अपने शटर गिरा दिए, और कोई भी DIG के शव के पास जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। हत्यारों ने शव के पास भांगड़ा किया और फिर मंदिर में लौट गए। अटवाल का शरीर लगभग 2 घंटे तक मंदिर के मुख्य द्वार पर पड़ा रहा।”
सुखबीर बादल की तरह ही अकाली दल के प्रधान रहे हरचंद सिंह लोंगोवाल की 20 अगस्त 1985 को पटियाला से 90 किमी दूर शेरपुर गांव में गुरुद्वारे के पास गोलियां मारी गईं थी। जांच में पता चला कि इसमें भी खालिस्तानी कट्टरपंथी सोच वाले आरोपी थे।
दरअसल, लोंगोवाल ने 24 जुलाई 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसे राजीव-लोंगोवाल समझौता कहा जाता है। जिसमें प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अकाली दल की मांगें मान ली और बदले में अकाली दल ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक महीने बाद ही उनकी हत्या कर दी गई। हत्या करने वाले लौंगोवाल के किए समझौते से खुश नहीं थे।
पंजाब के तत्कालीन CM बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को हत्या कर दी गई थी। जिस वक्त यह हत्या हुई, वह चंडीगढ़ में सचिवालय से बाहर निकल रहे थे। जैसे ही वह बुलेट प्रूफ कार में बैठने वाले थे तो वहां मौजूद पंजाब पुलिस के जवान दिलावर सिंह ने बम विस्फोट कर दिया। जांच में पता चला था कि दिलावर की कमर में डेढ़ किलो विस्फोटक बंधा हुआ था। इस विस्फोट में बेअंत सिंह सहित 17 लोग मारे गए।
बेअंत सिंह को सख्त सीएम के तौर पर जाना जाता है। वह अलगाववाद के सख्त खिलाफ थे। इसलिए उन्होंने लोगों को साथ जोड़कर पंजाब को आतंकवाद के काले दौर से निकालने में बहुत काम किया। उनकी यही कोशिश आतंकियों को रास नहीं आई। जांच में इसके पीछे खालिस्तान टाइगर फोर्स का हाथ सामने आया। जिसके बाद बेअंत सिंह की हत्या में ही बलवंत सिंह राजोआना जेल में उम्रकैद काट रहा है। इसके अलावा जगतार सिंह तारा भी जेल में बंद है।
पंजाब में RSS के प्रांत सह संघ संचालक जगदीश गगनेजा की करीब 8 साल पहले जालंधर में हत्या कर दी गई थी। वारदात के दिन वह पत्नी के साथ बाजार से लौट रहे थे। 6 अगस्त 2016 को बाइक सवार 3 हमलावरों ने उन्हें करीब आकर 5 गोलियां मारीं थी। 65 साल के गगनेजा को इलाज के लिए लुधियाना के डीएमसी अस्पताल लाया गया था।
करीब डेढ़ महीने तक वह जिंदगी और मौत से जूझते रहे। उनकी हत्या की जिम्मेदारी दशमेश रेजिमेंट नाम के एक संगठन ने ली थी। उनका कहना था कि गगनेजा सिख पंथ विरोधी थे। गगनेजा ने पंजाब के गांव-गांव तक RSS की शाखा बनाईं। जांच में पता चला था कि गगनेजा को मारने के लिए इटली से सुपारी दी गई थी।
लुधियाना के भैणी साहिब की माता चंद कौर (88) की 4 अप्रैल 2016 को हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या भैनी साहिब मुख्यालय के बाहर ही गोली मारकर की गई। वारदात वाले दिन माता चंद कौर सतगुरु प्रताप सिंह एकेडमी के समागम से क्लब कार में जा रही थीं।
उनकी हत्या के लिए हमलावर पहले ही सुनसान रोड पर खड़े थे। जैसे ही माता चंद कौर की क्लब कार आई तो उन्होंने माथा टेकने का बहाना बनाया। वह माता चंद कौर के करीब पहुंचे और फिर उन्हें पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोलियां मार दी। इसके बाद वह बाइक से फरार हो गए।
दिसंबर 2022 में अमृतसर में मंदिर के बाहर प्रदर्शन करते समय हिंदू नेता सुधीर सूरी की हत्या हुई थी। सुधीर सूरी की हत्या करने वाला संदीप सिंह खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (अब सांसद) से प्रभावित था।