चिंता का विषय–खालिस्तानी सोच के आगे भगत सिंह के नारे पड़ रहे फीके

SAHEED BHAGAT SINGH,SUKHDEV,RAJGURU

पंजाब के अधिकतर मंच में इन दिनों एक ही नारा गूंज रहा है, वो है खालिस्तान जिंदाबाद,..। यह नारा पंजाब के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है। क्योंकि, यह नारा देश विरोधी होने के साथ-साथ , भारतीय एकता तथा संभप्रुत्ता को चोट पहुंचाने के लिए दिया गया है। खालिस्तानी सोच भारत के टुकड़े-टुकड़े करना चाहती है, जो कि इतना संभव भी नहीं है। क्योंकि, पंजाब में हिंदू-सिख, ईसाइ, मुस्लिम एकता अभी तक कायम है। फिर भी इस नारे की गूंज ने एक बात तो साबित कर दी है कि खालिस्तानी सोच के आगे अब शहीद भगत, शहीद उधम सिंह जैसे वीर सपूतों के प्रति लगाए जाने वाले नारे अब फीके पड़ चुके है। इस नारे को कायम रखने के लिए सरकार की तरफ से कोई सराहनीय कदम नहीं उठाया जा रहा है , इसलिए खालिस्तानी सोच (अलगवाद), उग्रवादी सोच रखने वाले जेल में बंद अपराधियों को पंजाब का भविष्य यूथ उन्हें कौम का हीरो मानने लगा है। इतना ही नहीं, जिन्होंने वर्ष 1982 के बाद पंजाब के काले दौर में आग में घी डालने का काम किया था। उन्हें एक वर्ग का यूथ संत मान कर बैठा है। हालांकि, ये लोग शहीदों के खिलाफ अनाप-शानाप बोलसे से भी नहीं पीछे हटते है। दूर क्या जाना है कि पिछले समय पूर्व सांसद सिमरणजीत सिंह मान ने भगत जैसे शहीद को एक मंच पर आतंकी का दर्जा दे दिया था। उसने एक मंच में साफ तौर पर कह दिया था कि हम लोग उसे शहीद नहीं मानते है, हमारे शहीद संत भिंडरावाला तथा जो कौम के लिए शहीद हुए, उन्हें शहीद मानते है। इस सोच से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये लोग खाते भारत का है, लेकिन, गुणगान पाकिस्तान का करते है। ऐसा, इसलिए , क्योंकि, इनकी रोटी पानी जो वहां की खुफिया एजेंसी पूरा कर रही है। यहां पर प्रदेश की सरकार भी कहीं न कहीं इस बात की जिम्मेदार है, क्योंकि, उन्होंने इस सोच को खत्म करने के लिए कोई बड़ा कदम अब तक नहीं उठाया है। बल्कि, इन बातों को हर बार नजरअंदाज किया है। हालांकि, शिअद के कई नेता खालिस्तानी सोच के खिलाफ है तथा अपनी सरकार के दौरान उनके खिलाफ कार्रवाई करने से भी नहीं पीछे हटे है। लेकिन, पिछले दिनों पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल पर एक आतंकी द्वारा किए गए जानलेवा हमले ने तो उनकी सोच को ही बदल कर रख दिया। बिक्रम सिंह मजीठिया ने खुलकर इस आतंकी के खिलाफ आरोप लगाए तथा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए इस बात की ओर इशारा कर दिया प्रदेश में खालिस्तानी सोच का बढ़ावा हो रहा है। जो हर एक के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। 

देश की स्वतंत्रता से पहले पंजाब के वीर सपूत भगत सिंह, शहीद उधम सिंह जैसे कई महान शहीदों ने इस सोच के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की, उन्हें तो सिर्फ भारत की स्वतंत्रता चाहिए थी। वैसे, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि पंजाब एक खालिस्तानी विचारधारा का देश बनें। उनके खून के एक-एक कतरे की वजह से देश तथा प्रदेश पंजाब में खुली हवा ले रहा है। तब पंजाब की एक ही सोच थी भारत माता की जय, हिंदोस्तान जिंदाबाद..। अब वर्तमान में पंजाब के यूथ की सोच में इतना बदलाव आ चुका है कि उनकी जुबान में सिर्फ तो सिर्फ उन लोगों के नाम पर जिंदाबाद निकल रहा है, जिन्होंने भारत की अखंड़ता तथा संप्रभुत्ता को आग के हवाले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पंजाब के हिंदू वर्ग के लोगों को गोलियां मार कर भून दिया गया था। कई मां-बेटियों की आबरु पर हाथ डाला गया। सच तो इस बात का भी है कि कड़वा सच इस यूथ के सामने आने ही नहीं दिया जा रहा है। इसके पीछे एक वर्ग इन यूथ को भड़काने का काम कर रहा है। उनका मंसूबा सिर्फ तो सिर्फ पंजाब को एक अलग देश की विचारधारा के साथ जोड़ना है। इस मंसूबे में वे लोग आगे काफी हद तक लेकर जाने में कामयाब होते दिखाई दे रहे है। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। उग्रावदी सोच के नेताओं को सोशल मीडिया में खूब तेजी से प्रसारित किया जा रहा है, ताकि, सोशल मीडिया मे डूबा पंजाब का युवा इन्हें देख प्रेरित हो सकें। ऐसा संभव होता भी दिखाई दे रहा है। 

ऐसा नहीं, समय-समय पर केंद्रीय एजेंसी पंजाब को इस बात का कई बार इनपुट दे चुकी है कि पंजाब में खालिस्तानी विचारधारा काफी अग्रसर हो रही है। केंद्रीय एजेंसी इन लोगों के घर दबिश देकर, वहां से इस बात के सबूत भी हासिल कर चुकी है कि ये लोग विदेश में बैठे खालिस्तानियों के लिए काम करते है। इतना ही नहीं पंजाब में देश विरोधी गातिविधियों के लिए इन्हें मोटी फंड़िग भी हो रही है। कई बार इनके खातों को एजेंसी सीज भी कर चुकी है। इतना बड़ा कदम एजेंसी द्वारा लिया जाना अभी कम नहीं है, क्योंकि, इसके लिए पंजाब सरकार को अपने पुलिस तथा खुफिया तंत्र को भी मजबूत करना पड़ेगा। फिर जाकर खालिस्तानी सोच तथा अलगवादी लोगों का खात्मा हो सकता है। कितबों में पढ़ाई जाने वाली शहीद भगत सिंह, शहीद उधम सिंह, शहीद सुखदेव, लाला लाजपत्त राय की गाथा लगता है धीरे-धीरे पंजाब की किताबों में धूमिल होती जा रही है। इसलिए, पंजाब के यूथ से इन शहीदों के बारे पूछा जाए तो उनमें अधिकतर को यह नहीं मालूम होता है कि ये लोग कौन है और इनका पंजाब तथा देश की आजादी में क्या वास्ता रहा है। कहीं न कहीं इसमें पंजाब सरकार की भी बड़ी गलती है, क्योंकि , किताबों के साथ-साथ उन्हें प्रेक्टिकल होना भी जरुरी है। अगर जब तक इन शहीदों के नाम सैमिनार लगाकर, उनकी सोच के बारे पंजाब की यूथ को अच्छी तरीके से नहीं बताया जाता है, तब तक उनकी सोच को कभी नहीं बदला सकता है। दरअसल, सोशल मीडिया वाले यूथ को अब सिर्फ तो सिर्फ जागरुक करने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार को बड़ा कदम उठाना काफी जरुरी है। 

विशेषज्ञ का कहना है कि खालिस्तानी सोच विदेश से आ रही है। पंजाब में इसका इतना कोई प्रभाव तो नहीं है, लेकिन, सोशल मीडिया ने हमारे यूथ का बेड़ागर्क कर दिया है। क्योंकि, यूथ सोशल मीडिया को लेकर काफी प्रेरित होता है। उसे यह नहीं पता होता है कि क्या सही या फिर क्या गलत है। उसे लगता है कि सोशल मीडिया में जो दिखाया जा रहा है। वह सब एकदम हकीकत है। उसे ही वह सच मान लेता है तथा उस विचारधारा पर चलना शुरु कर देता है। उसे इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं होता है कि यह भविष्य में उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। विदेश में अलगवादी सोच, कट्टरपंथी संगठन, उग्रवादी वहां पर गए पंजाबी यूथ का ब्रेनफाश कर रहे है, उन्हें भारत से अलग पंजाब बनाने के लिए अपनी जंग में शामिल कर रहे है। चंद पैसों के लालच, पीआर के शौकीन यूथ उऩकी बातों को अमल कर लेते है तथा भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो जाते है। ऐसा कई बार हो चुका है, उसके प्रमाण जांच करने वाली एजेंसियों ने दिए है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि इस सोच को बदलने या फिर खत्म करने के लिए देश की एजेंसियों को क्या करना पड़ेगा, जिसमें वह सफल हो सकें। लेकिन गेंद एक बार फिर सरकार के पाले में गिरती है कि उसे इस सोच को बदलने या फिर जड़ से खत्म करने के लिए क्या करना चाहिए। वैसे , सरकार को इसे काफी गंभीरता से लेना होगा, क्योंकि, पिछले एक माह में जिस तरह से थाना को ग्रेनेड से विस्फोट किया। उससे एक बात साफ साबित हो जाती है कि यह सब खालिस्तानी आतंकी संगठन की सोच के साथ जुड़े हुए थे। लेकिन, इसमें एक बड़़ी चिंता का विषय यह भी रहा है कि जिन-जिन यूथ को आतंकियों ने अपना टारगेट दिया गया था, वह सब इस नए काम में शामिल हुए थे। जांच में पता चला था कि उन्हें मोटे पैसे देकर उनसे देश विरोधी काम कराया गया। भविष्य में ऐसा कोई काम न हों, उससे पहले ही सरकार को बड़ा कदम उठा लेना चाहिए। जो कि देश तथा आम जनता के हित में होगा।

प्रधान संपादक————विनय कोछड़. (एसएनई न्यूज़)।   

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