अतीत में पत्रकार तथा पत्रकार यूनियन किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। बड़े-बड़े सरकारी बाबू से लेकर आम-जनता उनकी ईमानदारी तथा निष्ठा के प्रति मुरीद थी। वर्तमान में परिस्थितियां बिल्कुल प्रतिकूल हैं। आधे से अधिक पत्रकार यूनियन का तो जमीर ही बिक चुका हैं। सही-गलत का तो फर्क ही नहीं समझते हैं। एक मामले की सुर्खियों ने ईमानदार छवि रखने वाले पत्रकारों को फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि वह किस-किस पर विश्वास करें। क्योंकि, उनके विश्वास को देश के एक महान शहीद के नाम से संचालित पत्रकार यूनियन के एक बड़े पदाधिकारी ने उन भ्रष्ट तथा कथित अपराधी श्रेणी से संबंध रखने वाले पत्रकारों के समर्थन में एक बड़ा बयान दे दिया। चर्चा, इस बात की भी चल रही हैं कि यूनियन के कई पदाधिकारी, इस बड़े पदाधिकारी के फैसले से असहमत हैं, उन्होंने तो अपना रोष भी जता दिया। फिलहाल, किसी ने इस मामले को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की।
चर्चा, इस बात की भी है, जिस बड़े पदाधिकारी ने कथित अपराधी पत्रकारों के समर्थन में पुलिस के खिलाफ बड़ा बयान जारी किया है, किसी समय एक मामले में उक्त पत्रकारों के खिलाफ सोशल मीडिया में सार्वजनिक तौर पर , उन्हें भ्रष्टाचारी तथा कथित अपराधी करार कर चुका है तथा उन्हें बहस के लिए खुली चेतावनी भी दे चुका हैं। ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि इस पदाधिकारी की क्या बड़ी मजबूरी रही कि उसने इनके समक्ष घुटने तक टेक डाली। वैसे भी, इस पदाधिकारी के खिलाफ कई वरिष्ठ पत्रकार तथा कई यूनियन अध्यक्ष हमेशा ही उसके खिलाफ रहीं हैं।
चर्चा, इस बात की यह रही कि भाई साहब, हमेशा ही उन पत्रकारों का साथ देते है, जो पूर्व में ही कई मामलों में ब्लैक लिस्ट घोषित किए जा चुके है। माना यह भी जाता है कि उक्त पदाधिकारी को हमेशा ही इस प्रकार का मुद्दा चाहिए होता है , जिसमें उन्हें तरह-तरह के बयान जारी कर फेम हासिल हो सकें। अपनी भूमिका को सराहनीय पेश करने के उपरांत, भाई साहब, एकदम गायब भी हो जाते है। इनके जानकार तो यह भी कहते है कि यहीं तो इनकी फितरत हैं।
अब यूँ कि 2 भ्रष्ट पत्रकारों को समर्थन देने का पदाधिकारी ने फैसला कर लिया हैं। ऐसे में उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होना भी लाजमी हैं। ध्यान देने योग्य यह बात है कि उक्त भ्रष्टाचारी पत्रकारों का स्थानीय यूनियन क्यों नहीं समर्थन कर रही हैं। उक्त शहर में तो पत्रकारों से संबंधित काफी पत्रकार यूनियन चल रही हैं। एक समय पंजाब स्तर की एक पत्रकार यूनियन के उक्त भ्रष्टाचारी पत्रकार सक्रिय सदस्य भी रहे हैं। क्योंकि, उक्त यूनियन के लिए किसी समय उन्हें रोजी रोटी का जुगत करने में काफी सक्रिय रहें। शायद, लगता है कि उक्त यूनियन का अब पेट भर चुका है, तभी पीछे से अपने हाथ खींच लिए।
बताया जा रहा है कि उक्त भ्रष्ट पत्रकारों पर काफी संगीन आरोप लगा है। पुलिस ने तो आपराधिक मामला दर्ज कर लिया। अब , इनके समर्थन में पिछले दिनों एक यूनियन के बड़े पदाधिकारी ने बयान जारी कर दिया। उलटा पुलिस के खिलाफ चेतावनी दे डाली कि उन्होंने इनके खिलाफ पर्चा गलत दर्ज किया। कई स्थानीय वरिष्ठ पत्रकारों ने यहां तक कह डाला कि दोनों ही बदनाम छवि के पत्रकार है, इनके खिलाफ पंजाब के विभिन्न थाना में संगीन धाराओं के अधीन मामले दर्ज है। पिछले दिनों अदालत ने सजा सुनाई थी। अब देखना होगा कि समर्थन करने वाली यूनियन के अन्य पदाधिकारी अपने बड़े पदाधिकारी के फैसले को वापस लेने के लिए मजबूर करते है या फिर खामोश हो जाते है।
प्रधान संपादक विनय कोछड़ की कलम से।