डीए से लेकर कई ऐसे मुद्दों पर सरकार नहीं खुश कर पाई मुलाजिम
सड़कों से लेकर विपक्ष में गुस्सा
राज्य सरकार के खिलाफविधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव में हार जाएगी कांग्रेस,बड़ा सस्पेंस…..?
एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
दरकिनार करना सरकारी मुलाजिमों की जायज मांगों को लेकर कहीं न कहीं कैप्टन सरकार के लिए महंगा साबित हो सकता है। विधानसभा 2022 पंजाब चुनाव को लेकर पंजाब का लगभग सभी सरकारी कर्मचारियों का समूह इस बात को लेकर सरकार की नीतियों से काफी दुखी है। डीए से लेकर कई ऐसे मुद्दे है, जिनको लेकर पंजाब की कैप्टन सरकार, उन्हें खुश नहीं कर पाई। सड़कों से लेकर सदन में विपक्ष सभी कांग्रेस सरकार की नीतियों पर नाखुश है। इतना ही नहीं, एसएनई न्यूज़ की करवाएं गए सर्व में कुछ चौकन्य वाले आंकड़े सामने आए है। इन आंकड़ों के आधार पर खासकर सरकारी मुलाजिमों की उम्मीदों पर कैप्टन खरा नहीं उतर पाए। अब , इन्होंने फैसला कर लिया है कि विधानसभा 2022 के चुनाव में अपने-अपने मत के अधिकार से जवाब देगे। इससे एक बात तो साफ साबित हो जाती है कि कांग्रेस को सरकारी कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों का मत मिलना असंभव लग रहा है। आंकड़े, यह भी बता रहे है कि कैप्टन सरकार चुनाव में हार सकती है। इस बात को लेकर कई प्रकार के सस्पेंस भी सामने आ रहे है।
वर्ष 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस के पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोगों से कई प्रकार के वादे किए थे। उनमें खासकर सरकारी मुलाजिमों की मांगों को प्राथमिकता के आधार पर निवारण करने का वचन दिया था। जब सरकार आई तो कैप्टन साहब , इन सब वादों को एक-एक करके भूल गए। सबसे अधिक नुकसान अस्थायी कर्मचारियों का हुआ। उनके प्रतिनिधियों से कैप्टन ने खास मुलाकात कर उन्हें पक्का भरोसा दिया कि सरकार बनने के तुरंत बाद आप सभी को स्थायी कर्मचारियों की श्रेणी में डाल दिया जाएगा। इन्होंने फैसला लिया कि वह तो चुनाव में कैप्टन को मत देकर कांग्रेस की सरकार को सूबे में लेकर आएगे। खैर, ये इतना नहीं जानते थे कि यह तो नेता जी के झूठे मुंगेरीलाल के सपने है। साकार होना तो मुश्किल ही है।
स्थायी सरकारी कर्मचारियों को उनके डीए की किश्त तथा बकाया, कई अन्य सुविधाएं देने का सरकार बनने से पूर्व कैप्टन पक्के शब्दों में वचन दिया था। इन सरकारी कर्मचारियों ने सोचा था कि शायद कैप्टन उनकी हर बात को मानकर, उनकी लंबे समय से जायज मांगों को पूरा कर देगे। सरकार बनी तो इन कर्मचारियों को अपना अधिकार लेने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा। अब भी इन लोगों को कैप्टन ने वायदा तो कर दिया है कि उनकी मांगों पर विचार कर लिया गया, जबकि सही मायने में उन पर अभी गौर नहीं किया गया।
खबर यह भी आ रही है कि भीतर ही भीतर सरकारी कर्मचारियों ने कैप्टन की कांग्रेस सरकार के खिलाफ विधानसभा चुनाव में मत देने का फैसला कर लिया। इनका कहना है कि जिस प्रकार से कैप्टन ने उनके साथ वादा किया था कि सरकार बनने पर उनकी हर मांग को पूरा किया जाएगा। मगर सरकार ने उसमें किसी भी मांग पर खरा न उतर कर इस बात का प्रमाण दे दिया है कि वह सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ चल रही है। जिसका आगामी चुनाव में बड़े स्तर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है