दिल्ली-मुंबई दहलाने की कोशिश नाकाम एसएफजी आईएसआई समर्थित आतंकी मुल्तानी जर्मनी में गिरफ्तार……लुधियाना विस्फोट मामला का था मेन सरगना

प्रतीकात्मक तस्वीर

केंद्र सरकार की अपील पर किया गिरफ्तार, पूछताछ जारी, भारतीय एजेंसियां पूछताछ के लिए रवाना

साजिश में शामिल पंजाब का कुख्यात गैंगस्टर रिंदा, पाकिस्तान की आईएसआई की शरण में बैठा

एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़/दिल्ली।

भारत सरकार के (केंद्रीय गृह विभाग) के आग्रह पर दिल्ली-मुंबई को दहलाने की साजिश को नाकाम करते हुए जर्मनी पुलिस द्वारा सिख फार जस्टिस (एसएफजी) तथा आईएसआई समर्थित आतंकी जसविंदर सिंह मुल्तानी को गिरफ्तार कर लिया गया। इस बात की पुष्टि भारतीय गृह-मंत्रालय के प्रवक्ता ने की। मुल्तानी लुधियाना भीषण विस्फोट में प्रमुख साजिशकर्ता था। पूछताछ के लिए भारतीय एजेंसियां , वहां के लिए रवाना हो गई। इस साजिश में शामिल अन्य अपराधी पंजाब का कुख्यात गैंगस्टर (भगौड़ा) हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा पाकिस्तान की आईएसआई खुफिया एजेंसियों की शरण में बैठा है। 

जर्मन पुलिस द्वारा पकड़ा गया आतंकी जसविंदर सिंह मुल्तान मूल रूप से पंजाब के जिला होशियारपुर में स्थित गांव मंसूरपुर का रहने वाला है। 15 वर्ष पहले जर्मनी में अपने परिवार समेत वहां पर सेटल हो गया। पता चला है कि मुल्तानी की दो बहनें अपने परिवार समेत जर्मनी में रहती है। गांव में सिर्फ , उसके बूढ़े मां-बाप रहते है। पिता मानसिक रूप से परेशान है। देखभाल कोई अन्य करता है। 

लुधियाना विस्फोट मामला की पंजाब तथा केंद्रीय जांच एजेंसियां की पड़ताल चली तो उसमें सामने आया की कि इस केस के तार पाकिस्तान तथा विदेश में बैठे सिख फार जस्टिस आतंकी के साथ जुड़े है। इसे अंजाम देने के लिए पंजाब पुलिस से बर्खास्त पुलिसकर्मी गगन दीप सिंह को इस्तेमाल किया गया। इनका आपस में लिंक इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हुआ। फिलहाल जांच की जा रही है कि गगनदीप सिंह को वारदात को अंजाम देने के लिए कितनी फंडिंग मुहैया कराई गई। 

जांच एजेंसियों के सूत्रों मुताबिक जर्मनी में मुल्तानी का पकड़ा जाना, उनके केस के लिए बड़ी सफलता है। क्योंकि, अब जांच एजेंसियां की एक टीम पूछताछ के लिए वहां पर रवाना हो चुकी है। जरुरत पड़ने पर इसका भारत में संधि के मुताबिक प्रत्यर्पण भी किया जा सकता है। अगर ऐसा संभव हो जाता है तो पिछले कई केसों की जांच पड़ताल शुरू हो सकती है। जिसका संबंध, इन गतिविधियों में शामिल रहा हों।

रिंदा का पकड़ा जाना जरूरी

पंजाब तथा केंद्रीय एजेंसियों के लिए गैंगस्टर एवं आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा का पकड़ा जाना जरूरी समझ रही है। फिलहाल वह पाकिस्तान में छिपा है। बताया जा रहा है कि वह वर्ष 2017 में पंजाब से भाग गया था। उसके बाद एजेंसियां ने पता लगाया तो उसकी मौजूदगी पाकिस्तान में पाई। अब वह वहां पर बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए काम कर रहा है। इन गतिविधियों में उसे वाधवा तथा आईएसआई का पूर्ण रूप से सहयोग मिल रहा है। रिंदा कई बार सोशल मीडिया पर एक्टिव होते पाया गया। इस प्रकार की कई पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हुई। किंतु पाकिस्तान हमेशा से ही, इस बात को इंकार करता रहा कि यह लोग उनके देश में है ही नहीं। 

गगन की महिला मित्र से हासिल हुई महत्वपूर्ण जानकारियां

एजेंसी के सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी मुताबिक खन्ना एसपी कार्यालय में कार्यरत गगनदीप सिंह की महिला मित्र सिपाही से कई महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की गई। फिलहाल, उन जानकारी को अभी सार्वजनिक करना जांच-पड़ताल में विघ्न डाल सकती है। सामने आया कि वारदात से पहले गगनदीप सिंह तथा उसकी महिला मित्र यहां के एक स्थानीय होटल में पांच घंटा स्टे किया था। वहां की सीसीटीवी फुटेज तथा रिकार्ड के हिसाब से सब कुछ मालूम हुआ है। इन महत्वपूर्ण जानकारियां में सूत्रों से मिली पुख्ता रिपोर्ट मुताबिक, विस्फोट तथा बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण हिस्से के अंश है। इसे जब्त कर अगली कार्रवाई शुरु हो चुकी है। 

इस प्रकार खुला था केस का राज

इस केस के तह तथा कनेक्शन के बारे पुख्ता जानकारी विस्फोट स्थल से बरामद डोंगल से हुई। पूर्व में डोंगल काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। किंतु जांच-एजेंसियों ने तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से , इसे ठीक कराया तथा इसमें कैद महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की। इसमें पाया गया कि कौन-कौन लोग, इस विस्फोट के साथ जुड़े है। जांच-पड़ताल आगे बढ़ी तो सबसे पहले पाकिस्तान में स्थित वाधवा, रिंदा, आईएसआई , उसके बाद जर्मनी में स्थित जसविंदर सिंह मुल्तानी की संलिप्तता सामने आई। अभी भी कुछ अंश शेष है, जिसके आधार पर जांच-एजेंसियां अपने काम में जुटी है। 

मेन मकसद था चुनावी माहौल बिगड़ना

जांच एजेंसियों की जांच-पड़ताल में एक बात तो साफ साबित हो चुकी है कि पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 के माहौल को बिगाड़ने का था। इन मंसूबों को कामयाब करने के लिए पाक समर्थित आईएसआई खुफिया एजेंसी ने वाधवा, रिंदा फिर सिख फार जस्टिस के माध्यम से अपना नेटवर्क चलाया। बताया जा रहा है कि इन वारदातों को अंजाम देने में फंडिंग विदेश से हुई। जांच-एजेंसियों की, इस एंगल पर भी गहनता के साथ जांच चल रही है।   

100% LikesVS
0% Dislikes