पहले चुनाव लड़ने के लिए बोला सच्चर रहो तैयार..फिर अन्य को दे दी टिकट..भावुक होकर गया भाजपा में…अब कांग्रेस हाईकमान ने बोला, कल चंडीगढ़ पहुंचे…रिव्यू में  डाल दी टिकट

फोटो कैप्शन- अमृतसर कांग्रेस के ग्रामीण अध्यक्ष भगवंत पाल सिंह सच्चर। (सौजन्य वीडियो ग्रैब)

विरोधी सुर—मैं जरूर हाईकमान समक्ष रखूगा बात…..किस आधार पर मुझे नहीं दी गई टिकट…समर्थक-लोगों का प्यार मेरे साथ….हर प्रकार की रिपोर्ट मेरे हक में…..20 साल रहा ग्रामीण अध्यक्ष

एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।

पंजाब कांग्रेस में जिन नेताओं को टिकट नहीं दी गई या फिर कुछ बड़े नेताओं के इशारे पर काट दी गई। इन नेताओं तथा उनके समर्थकों तथा उन्हें प्यार देने वाली आम जनता में हाईकमान के समक्ष काफी रोष पनप रहा है। कांग्रेस की इस प्रकार की कार्यप्रणाली की वजह से काफी हद तक भाजपा फायदा उठाने में कामयाब भी दिख रही है। जबकि, पंजाब के जिला अमृतसर के विधानसभा हलका मजीठा से कांग्रेस के प्रबल दावेदार भगवंत पाल सिंह सच्चर की कांग्रेस ने अपनी जारी की सूची में टिकट काट दिया। उनके बजाय अन्य प्रत्याशी जगविंदर पाल सिंह  मजीठिया को मजीठा विधानसभा हलका से टिकट दे दी गई। पता चला है कि मजीठिया नवजोत सिंह सिद्धू के बेहद करीबी है। 

नाराज सच्चर ने तत्काल कांग्रेस छोड़कर रविवार बाद दोपहर भाजपा में शामिल हो गए। इस बात का जब कांग्रेस हाईकमान तथा पंजाब के ऊंचे कद के नेताओं को पता चली तो उनके जमीन तले पैर निकल गए। सच्चर के यहां फोन की घंटियां बजनी शुरु हो गई। सच्चर साहब, आपने यह क्या कर दिया। तब इन्होंने किसी भी बड़े नेता को फोन पर कोई जवाब नहीं दिया। सोमवार को उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा समेत कई कांग्रेसी , उन्हें मनाने के लिए उनके आवास पहुंच गए।  

सच्चर के साथ बंद कमरे में इन नेताओं के साथ बातचीत हुई। इन नेताओं के माध्यम से सच्चर ने हाईकमान को साफ तौर पर कहा कि पहले उन्हें तो चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा हलका मजीठा से तैयार रहने के लिए बोल दिया गया। अहम समय पर टिकट सूची में अन्य को टिकट दे दी गई। भावुक तथा नाराज होकर भाजपा में गया। पता चला है कि हाईकमान ने सच्चर की बात को बड़े ही ध्यानपूर्वक से सुना। उन्हें आश्वासन दिया कि आप मंगलवार चंडीगढ़ पहुंचे। इस क्षेत्र की टिकट को रिव्यू में डाल दिया गया। पता चला है कि सच्चर दोबारा कांग्रेस में इस बात को लेकर शामिल हुए कि उन्हें मजीठा विधानसभा हलका से टिकट देने का पक्का वादा किया गया। 

सच्चर ने मीडिया से बातचीत करते कहा कि वह हाईकमान से यह बात जरूर रखेंगे कि किस आधार पर उन्हें टिकट नहीं दिया गया। समर्थक तथा लोगों का प्यार मेरे साथ है। हर प्रकार की रिपोर्ट मेरे हक में है। लगातार 20 वर्ष अमृतसर ग्रामीण कांग्रेस का अध्यक्ष रह कर पार्टी तथा हर वर्ग से जुड़े लोगों का विश्वास जीतने के साथ उनके दिल में राज किया। अब देखना होगा कि चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में कांग्रेस हाईकमान कौन सा बड़ा फैसला लेती है। 

बता दे कि इससे पहले विधानसभा हलका श्री हरगोबिंदपुर के कांग्रेस विधायक बलविंदर सिंह लाडी को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं देकर किसी अन्य को अवसर दिया। लाडी तथा उनके समर्थकों में हाईकमान के समक्ष काफी रोष पाया जा रहा है। रविवार को कई दौर के बैठक होने की बात सामने आई। अब सच्चर को टिकट नहीं दिए जाने पर उनके समर्थकों तथा लोगों में कांग्रेस हाईकमान प्रति काफी रोष पाया जा रहा है। 

फिलहाल,बिक्रम मजीठिया को कड़ी टक्कर देने वाला कोई प्रत्याशी नहीं

मजीठा विधानसभा हलका में शिअद के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया काफी मजबूत प्रत्याशी है। इनके मुकाबले आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस छोड़ कर आप में शामिल हुए लाली मजीठिया को टिकट दिया है। कांग्रेस से जगविंदर पाल सिंह जग्गा  मजीठिया को टिकट दिया गया। सूत्रों से पक्के प्रमाण तौर पर मिली खबर के मुताबिक  जगविंदर पाल सिंह जग्गा  मजीठिया, इतने मजबूत प्रत्याशी नहीं है कि बिक्रम मजीठिया को टक्कर दे सके। अगर वाक्य ही कांग्रेस , उनकी जगह भगवंत पाल सिंह सच्चर को टिकट दे देती है तो शायद मुकाबला कड़ा हो सकता है। 

सच्चर है आरपार की लड़ाई के मूड में

भगवंत पाल सिंह सच्चर ने साफ तौर पर स्पष्ट शब्दों में कह दिया है, कि वह इस समय आरपार की लड़ाई के मूड में है। अगर हाईकमान ने उन्हें टिकट देने पर विचार नहीं किया तो वह बड़ा कदम उठा सकते है। उन्होंने दावा किया कि गांव के कई सरपंच तथा आम-जनता का प्यार तथा समर्थन, उनके साथ है। इन लोगों ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि सच्चर अगर तुम चुनाव में लड़ते हो तो तुम्हारी जीत अवश्य सुनिश्चित होगी। 

कांग्रेस को अब लेना होगा बड़ा फैसला

इस वक्त कांग्रेस हाईकमान असमंजस की परिस्थितियों में पड़ चुकी है। क्योंकि, जिन प्रत्याशियों को वादा करने के उपरांत भी टिकट नहीं दिया गया उनका (टिकट नहीं मिलने वाले नेताओं) तथा उनके समर्थकों का गुस्सा कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ सातवें आसमान पर है।

ताजा उदाहरण सीएम के भाई तथा उनके रिश्तेदार महिदर केपी को टिकट नहीं दिए जाने का मामला काफी सुर्खियों में चल रहा है। उन्होंने अपनी बात तथा अपने समर्थकों का समर्थन हाईकमान तक मीडिया के माध्यम से पहुंचा दिया है कि वह चुनाव तो जरुर लड़ेंगे, चाहे इसके लिए वे लोग निर्दलीय क्यों न खड़े हों।

चेतावनी भी दे डाली है कि  अगर उनके खिलाफ किसी कांग्रेस प्रत्याशी ने कोई गलत भाषा या फिर किसी प्रकार से टिप्पणी की तो वे लोग भी पीछे नहीं हटने वाले है। अब देखना होगा कि इन परिस्थितियों में कांग्रेस हाईकमान इन बगावती सुरों को टालने के लिए कौन सा बड़ा फैसला लेती है। 

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