पोस्टमोर्टम रिपोर्ट से स्पष्ट होगा विनोद भाटिया की मौत वैक्सीन के रिएक्शन या फिर हार्ट-अटैक से हुई

परिजनों का साफ तौर पर आरोप…वैक्सीनेशन की पहली डोज उपरांत चक्कर आए खाना खाकर सोया सुबह नहीं उठा

एनजीओ का कड़ा संदेश…………सरकार के खिलाफ जाएगे अदालत…लगाया आरोप यह पहला नहीं कई मामले आ चुके है पहले

इंदरजीत सिंह.अमृतसर/चंडीगढ़।

पंजाब प्रांत के अमृतसर में एक बड़ा मामला सामने आया है कि अजीत नगर वेरका के रहने वाले 39 वर्षीय युवक विनोद भाटिया उर्फ विक्की भाटिया की वैक्सीनेशन लगने के कुछ घंटा उपरांत मौत हो गई। परिजनों ने साफ तौर आरोप लगा दिए कि उनके बेटे की मौत डोज लगने की वजह से हुई। जबकि स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते एक नमूना लेकर उचित जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया। शव का पोस्टमार्टम स्पेशल बोर्ड की एक विशेष डॉक्टरों की टीम करने जा रही है। इसकी रिपोर्ट पर ही पता लग जाएगा कि मौत के असली कारण क्या रहें है। 

फिलहाल प्रदेश की एक एनजीओ ने इस मामले को लेकर कड़ा संदेश देते कहा कि उनकी तरफ से एक अपील उच्च न्यायालय में डालने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। उनके संज्ञान में पिछले दिनों एक अंबाला में भी इसी प्रकार से मामला सामने आया था। एक जांच का विषय बनता है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होना बहुत जरूरी है। दावा किया कि अगर जांच शुरु हो जाती है तो उन्हें पता है कि बड़ी सच्चाई सामने आ सकती है। 

विनोद भाटिया अपने मां-बाप का अकेला बेटा था। दो बेटियां विवाहित है। बताया जा रहा है कि विक्की भाटिया एक प्रदेश की प्रसिद्ध एनजीओ सक्रिय सदस्य भी रह चुका है। जानवरों के प्रति मानवता का परिचय देते हुए उसने समाज में एक अलग पहचान बना ली थी। नौकरी नहीं होने की वजह से परेशान होने की बात भी सामने आ रही है।

एक प्रसिद्ध कंपनी की उच्च महिला अधिकारी द्वारा उसे फोन पर जलील करने की आडियों काफी तेजी से वायरल हो रही है। उसमें साफ तौर पर विक्की कह रहा है कि पैर चोटिल होने के बावजूद साढ़े तीन सौ पेटी उठवाई। उसके बाद , उन्हें कल से नौकरी में नहीं आने के लिए बोल दिया गया। 

पिता राज कुमार ने बताया कि बेटे को एक कंपनी में नौकरी देने वाली महिला उच्च अधिकारी ने बोला था कि पहले वैक्सीनेशन लगा कर आए फिर आपको नौकरी पर रख लिया जाएगा। मानावाला के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से वैक्सीनेशन लगा कर घर पहुंचा तो तबीयत बिगड़ गई। रात को खाना खाकर सो गया। सुबह उठा नहीं तो परिजनों ने उसे हिलाया, मगर नब्ज नहीं चल रही थी। 

एनजीओ की महिला पदाधिकारी ने डॉक्टर को घर बुलाया। डाक्टर ने चेक किया तो उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार ने मांग की कि इस मामले में निष्पक्ष रूप से जांच होनी चाहिए। जांच में जिस किसी के खिलाफ दोष साबित होते है , उनके खिलाफ कड़े कानून के मुताबिक कार्रवाई की जानी चाहिए। 

मामला पंजाब स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंचा

जानकारी मिल रही है कि मामला पंजाब स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंच चुका है। इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए, एक बोर्ड गठित किया गया है। रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजने के निर्देश जारी किए गए। अब देखना होगा कि इस जांच में क्या सच्चाई सामने आती है तथा इस पर कौन से गंभीर कदम उठाए जाते है। 

जांच अधिकारी बोले गुड बाय टेक केयर

इस पूरे प्रकरण को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी कंवलजीत सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि परिवार के आरोप सरासर गलत है। पोस्टमार्टम में सब स्पष्ट हो जाएगा। पत्रकार होने के बावजूद आपको कुछ मालूम नहीं है। सिविल सर्जन का नंबर पूछने पर कहा कि आपके पास नंबर भी नहीं है। कोई बात नहीं आपको नंबर मिल जाएगा। गुड बाय टेक केयर जी। इस बात से अंदाजा यहीं लगाया जा सकता है कि जांच अधिकारी को मामले को लेकर मजाक सूझ रहा है।

पूरी गंभीरता से जांच शुरु

सिविल सर्जन डॉक्टर चरणजीत सिंह  ने कहा कि मामले को लेकर विभाग पूरी तरह से उसे संजीग्ता से ले रहा है। नमूना लेकर जांच के प्रयोगशाला भेज दिया गया। पोस्टमार्टम के लिए एक विशेष डॉक्टर का पैनल गठित किया गया। फिलहाल पोस्टमार्टम से पहले यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि मौत का असली वजह क्या रही है। वैक्सीन के डोज से बुखार होने के कई केस सामने आते है मगर रिएक्शन बारे पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हो जाएगा। सरकार को जल्द रिपोर्ट बनाकर भेज दी जाएगी। 

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