बलविंदर लाडी के बोल—बड़े-बड़े कांग्रेस नेताओं ने मेरी टिकट कटाई….हाईकमान के प्रति रोष…..चन्नी ने तो स्टेटमेंट दिया था लाडी ही प्रत्याशी…सिद्धू मेरे बड़े भाई, लगता है कि रैली को लेकर जताई नाराजगी

नितिन धवन.गुरदासपुर/चंडीगढ़।

विधानसभा हलका श्री हरगोबिंदपुर से कांग्रेस के विधायक बलविंदर सिंह लाडी की दिल्ली कांग्रेस हाईकमान ने टिकट काट कर उनकी जगह नए चेहरे मनदीप सिंह रंगड़ को अवसर दिया। जबकि, बलविंदर सिंह लाडी ने अपनी टिकट कटने के बाद साफ तौर पर कह दिया कि इसके पीछे पंजाब के बड़े नेता तथा राज्यसभा सदस्य का हाथ है। बिना किसी का नाम लिए कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा तथा कांग्रेस राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा की ओर इशारा था।

हाईकमान के प्रति रोष भी जताया तथा कहा कि एक बार फिर से उन्हें इस सीट पर विचार करने के लिए मांग करेगे। सीएम चन्नी ने कुछ दिन पूर्व मीडिया के समक्ष एक बयान जारी करते कहा था कि विधानसभा हलका श्री हरगोबिंदपुर से बलविंदर सिंह लाडी ही कांग्रेस के प्रबल प्रत्याशी होगे। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मेरे बड़े भाई है। रैली को लेकर शायद उनके मन में कोई नाराजगी रह गई हो, इस बारे मैं कुछ खास कह नहीं सकता।

भाजपा में शामिल होना उनका खुद का फैसला था तथा वर्करों की विचारधारा उपरांत कांग्रेस में शामिल हुआ। पार्टी ने दावा किया था कि टिकट उन्हें ही दी जाएगी। अहम वक्त पर किसी अन्य चेहरे को कांग्रेस द्वारा टिकट देना बिल्कुल ठीक नहीं है। वर्कर तथा समर्थक, उनके पास पहुंच रहे है। कल तथा आज कई बैठकों का दौर शुरु हो चुका है। फिलहाल आजाद तौर पर चुनाव लड़ने का उनका कोई मन नहीं है। फिर भी वर्कर तथा समर्थकों का जो फैसला होगा, इसके लिए सर्वोपरि होगा।

बताते चले कि कुछ समय पहले बलविंदर सिंह लाडी तथा फतेहजंग बाजवा भाजपा में शामिल हो गए थे। जबकि एक दो दिन बाद लाडी वापस कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होना फिर कांग्रेस में आ जाना , इस बात को लेकर कांग्रेस द्वारा टिकट काटने की बात पर लाडी ने कहा कि बड़े नेता तथा एक संगठन के बड़े कद के नेता का हाथ हो सकता है। लेकिन , जो कुछ भी हुआ, ठीक नहीं हुआ। पूरे पांच साल अपने क्षेत्र में विकास का कार्य किया। किसी को कोई शिकायत नहीं रही। इन सबके बावजूद, उनके साथ सरासर धोखा हुआ।

टिकट को लेकर सीएम चन्नी , पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी तथा उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तो, इतना तक कह दिया था कि लाडी भाई घबराओ मत, तेरी टिकट पक्की है। भूल किस से भी हो सकती है। भूल में सुधार कर लेना ही इंसानियत के लिए एक जिंदा मिसाल है।

कयास….सिद्धू के खिलाफ हुई मीटिंग का लिया गया बदला

कयास, इस बात के भी लगाए जा रहे है कि पिछले दिनों पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के आवास पर माझा तथा दोआब के कुछ नेताओं द्वारा एक बैठक में नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ कई मुद्दो पर विचार हुआ। इन नेताओं में बलविंदर सिंह लाडी के शामिल होने की बात भी सामने आ रही है, जबकि औपचारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं हो पाई थी। उस बैठक में साफतौर पर कहा गया था कि सिद्धू सार्वजनिक मंच पर सरकार के खिलाफ बोल रहे है। इसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव दौरान भुगतना पड़ सकता है। हाईकमान के समक्ष सिद्धू के खिलाफ पत्र लिखकर शिकायत की बात भी सामने आई थी। इस बात को लेकर भी सिद्धू ने बलविंदर सिंह लाडी की टिकट कटाकर अपना राजनीतिक बदला लेने के बात भी सामने आ रही है। सिद्धू ने इस क्षेत्र से अपने बेहद करीबी नेता मंदीप रगड़ को टिकट दिया है। 

कांग्रेस का हो सकता है नुकसान

ग्राउंड स्तर पर बड़ी बात यह सामने आ रही है कि अगर पार्टी ने इस टिकट को लेकर कोई पुनर्विचार नहीं किया तो उसके लिए बड़ा नुकसान हो सकता है। पता चला है कि अधिक मतदाता, वर्कर समर्थक बलविंदर सिंह लाडी के साथ जुड़े हुए है। क्षेत्र में लाडी का राजनीतिक रसूख अच्छा है। जबकि मंदीप सिंह रंगड़ एक नया चेहरा है। इतनी मजबूत पहचान भी नहीं है। पार्टी के भीतर वर्करों का विरोध भी झेलना पड़ सकता है। आपसी खींचातानी से पार्टी को चुनाव में बड़ा नुकसान होने के संकेत भी सामने आ रहे है। अब कांग्रेस को तय करना होगा कि इस सीट पर प्रबल जीत के लिए , उसे कौन से आगे कदम उठाने होंगे, जिस कारण उसकी सीट सुनिश्चित हो सके। 

लाडी के लिए कौन सा बचा विकल्प…जानिए, इस खबर में

बलविंदर सिंह लाडी की टिकट कटने से , उनके राजनीतिक जीवन में बड़ा ग्रहण लग चुका है। क्योंकि , उनकी असली पहचान तो पार्टी के कारण ही बनी थी। अब चूंकि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव-2022 को लेकर उनकी टिकट काट कर , एक नए चेहरे को अवसर दिया। लाडी के लिए अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत रखने के लिए चुनाव मैदान में उतरना ही बेहतर विकल्प है।

अन्यथा, उनके राजनीतिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। खैर, लाडी ने इस बात का स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह आजाद चुनाव कदापि लड़ने के मूड में नहीं है। किंतु, हाईकमान के समक्ष अपनी बात रखने तथा नाराज़गी भी पूर्ण रूप से जाहिर कर रहे है। अब देखना होगा बलविंदर सिंह लाडी राजनीतिक साख बचाने के लिए अपना अगला फैसला क्या लेते है।

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