वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम सीबीआई न्यायाधीश ने सुनाया फैसला, नागरिक, खराब हालत-डेरा प्रबंधन की देखरेख का हवाला देने के बावजूद अदालत ने रखा अपना फैसला बरकरार
राम रहीम को 31 लाख जुर्माना, जबकि अन्य चार को 50-50 हजार
एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत (पंचकूला) ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रंजीत हत्याकांड के मुख्यारोपी डेरा सच्चा सौदा का मुखी बाबा राम रहीम, जसबीर, अवतार, कृष्ण लाल, सबदिल को उम्रकैद की सजा सुनाई। राम-रहीम को 31 लाख रुपए जुर्माना, जबकि अन्य अपराधियों को 50-50 हजार रुपए का जुर्माना किया। बाबा राम-रहीम के अधिवक्ता एचपीएस वर्मा पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ जल्द अपील करने जा रहे है, जबकि रंजीत का बेटा जगसीर सिंह अदालत के फैसले से संतुष्ट दिखा।
इससे पहले 12 अक्टूबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों पक्ष के अधिवक्ता की सुनवाई पूरी होने के बाद सजा देने का फैसला 18 अक्टूबर को मुकर्रर कर दिया। पंचकूला में धारा-144 लगा दी गई थी। आईटीबीपी के जवानों ने पूरे शहर को सुरक्षा के लिहाज से छावनी में तब्दील कर दिया था। चार से अधिक भीड़ जमा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। कुछ सिविल वर्दी में अदालत के बाहर जवान लगा दिए गए थे। फैसला सुनाने से पहले बाबा राम रहीम ने न्यायाधीश के समक्ष एक अच्छे नागरिक, स्वास्थ्य खराब तथा डेरा के प्रबंधन की देखरेख का हवाला भी दिया था, जबकि न्यायाधीश ने अपने फैसले को बरकरार रखा।
इससे पहले बाबा राम रहीम को पत्रकार रामचंद छत्रपति हत्याकांड में अदालत ने उम्रकैद , दो साध्वियों के साथ यौन-शोषण करने के मामले में 10-10 साल की सज़ा हो चुकी है। सीबीआई के अधिवक्ता के मुताबिक, बाबा राम रहीम को अब मृत्यु तक जेल में रहना पड़ेगा।
कौन था रंजीत सिंह
दरअसल, रंजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधक कमेटी का सदस्य था। बाबा राम रहीम को रंजीत पर आशंका थी कि उसने दो साध्वियों के साथ यौन-शोषण मामले में अपनी बहन को एक गुमनाम पत्र लिखा था। इसके बाद बाबा राम-रहीम ने कथित आरोपी जसबीर, अवतार, कृष्ण लाल, सबदिल को रंजीत की हत्या करने के लिए योजना बनाई। 10 जुलाई 2002 को छह गोलियां मार कर रंजीत सिंह को भून डाला गया।
ऐसे पहुंची जांच सीबीआई के पास
दरअसल, रंजीत सिंह की मौत के बाद उसके पिता ने पुलिस को बयान दिए थे कि उसके बेटे की मौत इन कथित अपराधियों ने की। जबकि, उस दौरान पुलिस पर आरोप लगे थे कि पुलिस ने इस मामले को लेकर पीड़ित परिवार की बिल्कुल नहीं सुनी। पिता ने पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में वर्ष 2003 को एक याचिका के माध्यम से जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की। न्यायाधीश ने इस याचिका पर सहमति जताते हुए मामला सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने पिता के बयान पर बाबा राम रहीम, बाबा राम रहीम, जसबीर, अवतार, कृष्ण लाल, सबदिल पर मामला दर्ज किया।
खट्टा सिंह की गवाही ने दिलाई सजा
इस केस में अहम गवाह खट्टा सिंह, जोकि बाबा राम रहीम का कार चालक था। उसने रंजीत की हत्या करने की बात को सुन लिया था। वर्ष 2007 में खट्टा सिंह ने इन अपराधियों के खिलाफ गवाही दी थी। उस दौरान अपराधियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम हो गए, जबकि बीच में फिर से इस केस में नया मोड़ की कि खट्टा सिंह अपनी गवाही से मुकर गया। लेकिन बाद में फिर से खट्टा सिंह ने अपराधियों के खिलाफ बयान देने में हिम्मत दिखाई।