मां-बाप ने ठुकराया सोहना-मोहना संस्थान ने दी नई जिंदगी जीने की राह….अब पैरों पर खड़े होकर करने लगे सरकारी नौकरी
एसएनई न्यूज़.अमृतसर/चंडीगढ़।
वैश्विक स्तर पर मनुष्यता एवं वातावरण संरक्षण के लिए अलग पहचान भगत पूर्ण सिंह पिंगलवाड़ा संस्था (अमृतसर) बना चुका है। इस संस्थान ने मनुष्यता के लिए इतने प्रशंसनीय कार्य किए, जिसके बारे विश्व का हर समुदाय एक अच्छी उदाहरण देता है। वर्ष 2003 में एक मां-बाप ने अपने अपंग (एक शरीर दो धड़) बच्चे (सोहना-मोहना ) की परवरिश करने से मना कर दिया, जिनकी बढ़िया परवरिश तथा पढ़ाई लिखाई करा कर , इस संस्थान ने समाज के समक्ष उन्हें काबिल बनाया। अब विद्युत विभाग में उन्हें तकनीकी तौर पर नौकरी करने का सौभाग्य हासिल हुआ।
इस संस्था के किस्से , इतने सराहनीय है कि शायद ही उनकी गिनती करते-करते संख्या कम पड़ जाए। वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी दौरान, इस संस्थान के भीतर कई बच्चों को लिया गया। जिनका आगे-पीछे कोई नहीं था। उनकी देखभाल के साथ-साथ खान-पान में खास ध्यान रखा गया। अफसोस जनक बात है कि समय-समय की सरकार, इस संस्था की सराहनीय कार्य को देखते हुए कोई बड़ा कदम नहीं उठाती। इनके लिए सरकारी नौकरी में भी किसी प्रकार से कोई प्राविधान नहीं है। समय के मुताबिक, इस वर्ग के लिए नौकरी देने का कोटा में बढ़ोतरी की मांग की गई।
चिंताजनक स्थिति यह है कि पंजाब जैसे प्रदेश में बेसहारा, स्पेशल बच्चों, अपंग (दिव्यांग) के लिए सरकारी संस्थान का अभाव है। सिर्फ तो सिर्फ कुछ गैर सरकारी संस्थान, इन लोगों की देखभाल कर रही है, जिसकी वजह से इस प्रकार से संबंधित वर्ग के लोग अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहें हैं।
इस अवसर पर माननीय सचिव मुखतार सिंह, उपाध्यक्ष जगदीपक सिंह, सदस्य राजबीर सिंह, प्रशासक कर्नल दर्शन सिंह, इंजीनियर बोर्ड जोन सकतर सिंह ढिल्लो, अध्यक्ष रविंदरजीत सिंह, जनरल मैनेजर तिलक राज इत्यादि शामिल रहें।
वातावरण चेतना लहर की आवश्यकता
संस्थान ने इस बात पर बल देते कहा कि सरकार को वातावरण चेतना लहर की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। वातावरण सुरक्षित रहेंगा तो फिर ही हम धरती में सुरक्षित रह सकते है। जिस प्रकार से जहरीली हवाएं तथा धुएं ने मनुष्य जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। उसके लिए वन क्षेत्र की तरफ ध्यान देने की समय मुताबिक आवश्यकता है।
विशेष बच्चों के शिक्षण संस्थान की आवश्यकता
वर्ष 2011 के पंजाब में सरकारी आंकड़े मुताबिक, 1.46 लाख से ऊपर लोग है, जिन्हें सुनाई नहीं देता। उनकी शिक्षा के लिए , विशेष शिक्षा संस्थान सरकार की तरफ से काफी कम संख्या में मौजूद है। सरकार की तरफ से इस वर्ग पर खास जोर देते हुए, इनके लिए विशेष स्कूल खोलने का प्रावधान रखना चाहिए।
अपने पैरों पर खड़े हुए गंभीर चोटिल मरीज
संस्थान के मुताबिक, उनकी संस्था द्वारा गंभीर मरीज जैसे कि रीढ़ की हड्डी, अधरंग को जहां पर विशेष परीक्षण देकर, उन्हें अब अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। लगभग, उनकी 13 के करीब संख्या थी। दिल से टूट चुके थे। उन्हें पैरों पर खड़ा होने तथा स्वस्थ जीवनशैली जीने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
ठीक होने में लगभग कुछ माह का समय लगा। अब इन्हें देखकर , इस प्रकार की बीमारी से जूझ रहे, मरीज भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए उनके पास आ रहे है। जिनका निरंतर इलाज जारी है।