भाजपा-सहयोगी दलों के साथ टिकट बंटवारे को लेकर हो रही देरी…..लगातार गठबंधन नेताओं का आपस में चल रहा मंथन पर मंथन

प्रतीकात्मक तस्वीर

पंजाब प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा……मंथन कर जल्द ही टिकट सूची कर दी जाएगी आवंटित

नितिन धवन.चंडीगढ़।

पंजाब विधानसभा-2022 को लेकर प्रत्येक राजनीतिक पार्टी ने अपना-अपना अखाड़ा सजा लिया। इतना ही नहीं, पंजाब में प्रमुख राजनीतिक दलों ने अधिकांश टिकट भी प्रत्याशियों को बांट दी। उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार आरंभ कर दिया। इस अहम कड़ी में यह बात सामने आ रही है कि देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब तक अपनी प्रत्याशियों की सूची तक फाइनल नहीं किया।

विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि इसके पीछे भाजपा-सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर आम राय नहीं बन रही है। लगातार गठबंधन नेताओं का आपस में मंथन पर मंथन चल रहा है। इस पूरे मामले को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पंजाब भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। मंथन, इस बात पर चल रहा है कि सीट बंटवारे में किन-किन प्रत्याशियों को कहां-कहां से उतारा जाना है। मंथन में लगभग सभी बातें तय हो चुकी है।

चुनाव निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान की तारीख 20 फरवरी करने पर, पार्टी को 6 दिन के लिए ओर मंथन करने का समय मिल गया। इस बार भाजपा पंजाब विधानसभा चुनाव में 80 से ऊपर अपने प्रत्याशी तथा शेष अपने गठबंधन को टिकट देने जा रही है। सहयोगी दल में कैप्टन अमरिंदर सिंह का पंजाब लोक कांग्रेस, सुखदेव सिंह ढींढसा की (शिअद संयुक्त) पार्टी है। ग्रामीण क्षेत्र में कैप्टन तथा ढींढसा के प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने का अवसर मिल सकता है।

क्योंकि, बड़ा कारण यह है कि भाजपा शहरी क्षेत्र में मजबूत है तथा ग्रामीण क्षेत्र में वर्चस्व कम है। चुनाव आयोग द्वारा पंजाब में चुनाव की तिथि आगे बढ़ाने से पूर्व भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों की सूची फाइनल हो चुकी थी। पंजाब से दिल्ली में इस सूची को भेज दिया गया था। जबकि , बीच चुनाव आयोग के अहम फैसले चुनाव तारीख आगे बढ़ाने के उपरांत भाजपा ने उम्मीदवार सूची को रोक दिया तथा फिर से इस सूची पर मंथन शुरू कर दिया। ऊपर से सहयोगी दलों की सीट बंटवारे को लेकर भी कुछ दांव पेच फंसने की बात सामने आने लगी है।

विश्वसनीय सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी मुताबिक, भाजपा शनिवार तक अपनी उम्मीदवारों की सूची फाइनल कर सकती है। यह भी बात सामने आ रही है कि टिकट मिल जाने के उपरांत ही प्रत्याशी चुनाव प्रचार कर सकता है। चुनाव प्रचार के लिए समय भी कम हो गया। ऊपर से कोविड-19 की वजह से चुनाव आयोग ने 22 जनवरी तक रैली , जलसे, जुलूस जैसे प्रचार गतिविधियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा रखा है। सिर्फ तो सिर्फ चार आदमी ही चुनाव प्रचार पूरे नियमों की पालना समेत कर सकते है। 

अधिकतर प्रत्याशी सोशल मीडिया, इंटरनेट मीडिया का सहारा ले रहें है। लोगों को अपना मैनिफेस्टो तथा अपने कामकाज का ब्यौरा दे रहे है। इतना ही सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर कईयों के इन्हें कई प्रकार के कमेंट्स मिल रहें है। कई लोग, इनके काम को लेकर कमेंट्स बाक्स पर अपनी प्रतिक्रिया देकर, कई प्रकार के सुझाव दे रहें है। अब देखना होगा कि 22 जनवरी के उपरांत चुनाव प्रतिबंध पर चुनाव आयोग क्या बड़ा फैसला लेता है। 

भाजपा के दावेदार प्रत्याशियों की थम सी गई सांसे

अब तक भाजपा तथा सहयोगी दल ने टिकट आवंटन नहीं किया। इस बात को लेकर खासकर भाजपा प्रत्याशियों की बेचैनी काफी हद तक बढ़ गई। इतना ही नई कई दावेदार प्रत्याशियों की सांस थमने की बात भी सामने आ रही है। मन में टिकट मिलने की पूरी-पूरी आस सजाए, इन प्रत्याशियों के चेहरों पर साफ तौर पर खौफ भी दिखाई दे रहा है। मन में कई प्रकार हाव-भाव आ रहे है कि कहीं उनकी जगह किसी अन्य को टिकट तो नहीं मिल जाएगी।

भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

इस बार के चुनाव भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होंगे। क्योंकि, भाजपा देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में जानी जाती है। इतना ही नहीं , देश के आधा हिस्से से ऊपर भाजपा तथा कई सहयोगी दलों के साथ राज्यों में सरकार चल रही है। पंजाब में विजय रथ चलाने के लिए भाजपा भी अपना हर एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। उसे मालूम है कि इस चुनाव में मुकाबला बहुकोणीय है। हर पार्टी  को किस प्रकार से कैसे चुनौती देनी है, उसे स्वीकार तथा डटकर कैसे मुकाबला करना है, उसके लिए बड़े स्तर पर रणनीति तैयार हो चुकी है। दावा किया जा रहा है कि इस बार भाजपा मौके पर चौका मारने की पूरी-पूरी फिराक में है। इसके लिए मैदान में पूरी तरह फील्डिंग भी लगा दी गई। 

कैप्टन की पार्टी शहरी क्षेत्र में भी मांग रही कुछ सीटें

विश्वसनीय सूत्रों से मिली पक्की खबर मुताबिक, पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस की तरफ से भाजपा से शहरी क्षेत्र के कुछ हिस्सों से टिकट मांग रहे है। जबकि, समझौते के मुताबिक, भाजपा अपने सहयोगी दलों को ग्रामीण क्षेत्र में ही अपने हिस्से की टिकट देने को सहमत हुई थी। कैप्टन , उन्हें संतुष्ट करने के लिए इतना तक कह रहें है कि शहर के जिन सीटों को लेकर वह मांग करते है, उन सीट पर वे प्रत्याशी सीट के प्रबल दावेदार भी है, इसलिए किसी बात को लेकर कोई चिंता करने की बात भी नहीं है। फिलहाल, इस बात को लेकर अब तक क्या आपस में सहमति बनी है, उस पर कोई औपचारिक रूप से बयान सामने नहीं आया।मालवा में ढींढसा का है दबदबा

भाजपा के लिए मालवा में सुखदेव सिंह ढींढसा अहम रोल निभाने का काम कर सकते है। क्योंकि, शुरू से ही इनका मालवा में काफी दबदबा रहा है। पंजाब की राजनीति में मालवा क्षेत्र ही चुनाव में हार-जीत का फैसला करता है। यहां से विधानसभा क्षेत्र की कुल सीट 69 है।

अगर इस क्षेत्र से किसी भी पार्टी को 20-30 सीट मिल जाए तो समझ ले, पंजाब की सत्ता की कुर्सी उस पार्टी के पास चली जाती है। भाजपा का मालवा में वर्चस्व इतना मजबूत नहीं है, थोड़ा बहुत बठिंडा, फिरोजपुर, अबोहर क्षेत्र में भाजपा की पैठ अच्छी है। मगर, इस बार की चुनौतियों को  भाजपा तथा उसके सहयोगियों के लिए पार कर पाना , इतना आसान नहीं होगा। 

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