भारत के डेफ एंड डंब की अनूठी लोहड़ी की मिसाल……..हिंदू-सिख-मुस्लिम-ईसाई सब भाईचारा एक का दिया संदेश

फोटो कैप्शन- डेफ डंब वर्ग की लोहड़ी पर्व पर अनूठी मिसाल पेश करते पांच दोस्त खुशवंत राय (38), अमनबीर सिंह, (37) , अमित अरोड़ा (39, तजिंदर राय (38), विजयपाल (38)।

बिना जुबान के इशारों ही इशारों में दिया संकेत …….समाज में अच्छे कार्य करने की दे डाली नसीहत

कुमार सोनी.अमृतसर/चंडीगढ़।

समाज में एक ऐसा वर्ग भी है, जिनकी भाषा आम समाज के लिए समझना इतना सरल नहीं है। जी हां, हम बात कर रहे है डेफ एंड डंब (गूंगे बहरे) श्रेणी से जुड़े लोगों की। यू कहिए, समाज का एक वर्ग इस श्रेणी से जुड़े लोगों को अच्छा भी नहीं समझता है। शायद, यह उनकी सबसे बड़ी भूल कहा जा सकता है। क्योंकि, इस श्रेणी से जुड़े लोगों ने वैश्विक स्तर पर उस मुकाम को हासिल कर लिया है कि जो हर किसी के लिए एक बढ़िया उदाहरण बन चुका है। 

इस समाज से जुड़े एक डेफ एंड डंब से जुड़े पांच दोस्तों की दोस्ती इतनी पक्की है कि वे लोग हर दुख-सुख में इकट्ठा होकर एक-दूसरे का सहयोग करते है। इतना ही नहीं अपने वर्ग से जुड़े बेसहारा , निर्धन , जरूरतमंद की मदद कर समाज में एक अलग मिसाल पेश कर रहें हैं।  खुशवंत राय (38), अमनबीर सिंह, (37) , अमित अरोड़ा (39, तजिंदर राय (38), विजयपाल (38) बचपन से पक्के दोस्त है। हर खुशी गम में एक-दूसरे का सहारा बनने की कसम खा रखी है। पेशे से सरकारी नौकरी तथा अच्छा व्यापार कर रहें हैं। लोहड़ी के पावन पर्व पर , इन दोस्तों ने एक अनूठी मिसाल पेश करते हुए, हिंदू-सिख-ईसाई-मुस्लिम हम सब भाई-भाई का संदेश दिया। इशारों ही इशारों में समाज के लिए एक संदेश देते कहा कि समाज के अन्य वर्ग को भी एक-दूसरे का सहयोग तथा जज्बात को समझने की नसीहत दे डाली।

उनके मुताबिक, भगवान एक है। भगवान के द्वारा बताए गए मार्ग पर हम सब को चलना चाहिए तथा समाज के लिए कुछ ऐसा करके दिखाना चाहिए, जिसे हर कोई इस बारे सोचने के लिए मजबूर हो जाए।सभी ने इशारो में बताया कि बचपन में जब उनके अभिभावकों को पता चला कि वह बोल तथा सुन नहीं सकते तो उन्होंने अपना हौसला नहीं छोड़ा तथा उनकी समझ के मुताबिक तौर-तरीके समझे। बचपन में उन्हें स्पेशल स्कूल भेजा गया। वहां पर दसवीं तक शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद, अपनी भाषा में कोर्स किया। कुछ ने परिवार के व्यापार को समझा तथा उसमें उन्नति करने का रास्ता चुना।

इसी प्रकार खुशवंत राय तथा विजयपाल दोनों दोस्त के साथ-साथ रिश्ते में भाई-भाई भी है। पेशे से गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी में नौकरी करते है। बचपन से डेफ एंड डंब है। मां-बाप का प्यार बचपन से मिल रहा है। चार बहनों का यशवंत राय इकलौता भाई है। मां-बाप ने बचपन में नहीं बोलने-सुनने की बीमारी का पता चलने के बावजूद सबसे अधिक प्यार दिया। महंगा इलाज तथा अच्छी तरह से परवरिश का परिचय दिया। वर्तमान में अपने पैरों पर स्टैंड होकर मा-बाप का नाम रोशन कर रहे है। खुशहाल परिवार तथा बीवी बच्चे है जो एक-दूसरे के साथ प्रेम भावना के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहें हैं। 

डंडे तक इस वर्ग ने खाए…सरकार ने तब भी नहीं सुनी  पुकार

पिछले समय कैप्टन के कार्यकाल में इस वर्ग से जुड़े लोगों ने नौकरी के लिए अपना आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार के इशारे पर पुलिस ने डंडे तथा जबरदस्ती वहां से उठा दिया गया। फिर , उन्हें आशवासन देकर कुछ समय के लिए शांत कर दिया। जबकि, इस वर्ग में अभी तक रोष पाया जा रहा है। उनके मुताबिक, समय आने पर फिर से वे लोग सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की तैयारी कर रहे है। इस बार तब तक उनका आंदोलन समाप्त नहीं होगा, जब तक उनकी मांगों को मान नहीं लिया जाता है। 

राजनीतिक पार्टियों को दी नसीहत……वादों के अलावा नहीं करते कुछ


खुशवंत राय के मुताबिक प्रदेश में सत्ता हासिल करने वाली हर राजनीति पार्टी समाज के लिए कुछ नहीं करती है। खासकर, उनकी श्रेणी को शुरू से हर राजनीतिक पार्टी ने सत्ता में नजरअंदाज ही किया। बड़ा उदाहरण पिछले तीस साल से उनका ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनाया जा रहा है। हर बार कार्यालय बुलाकर बाबू लोग , उन्हें इतना कह देते है कि आपके लिए समय समाप्त हो चुका है। फिर अगले समय पर आ जाना। चक्कर काट-काट कर थक चुके है। लेकिन फरियाद कोई नहीं सुनता है। अब तो उन लोगों का विश्वास ही इन राजनेताओं से उठ चुका है। उनकी जरूरतों को समझना सत्ता में शासन करने वाली राजनीतिक पार्टी को समझना चाहिए, मगर ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है। 

नौकरी में भी पंजाब सरकार पीछे

खुशवंत राय ने बताया कि राज्य सरकार इस वर्ग को नौकरी देने में अन्य प्रांत के मुकाबले सबसे पीछे चल रही है। पड़ोसी प्रांत राजस्थान की उदाहरण ले लीजिए, वहां पर इस वर्ग को प्राथमिकता दी जाती है। इनके लिए नौकरी में अलग कोटा का प्रावधान हर विभाग में रखा गया। उन्हें हर विभाग में नौकरी दी गई है, जबकि पंजाब की सरकार को शर्म करनी चाहिए कि वह अपने पड़ोसी राज्यों की नीतियों के मुकाबले जीरो साबित हुई। 

सरकारी नौकरी पाने में खाए कई प्रकार के धक्के

खुशवंत राय तथा विजयपाल ने बताया कि उन्हें सरकारी नौकरी पाने में कई प्रकार के धक्के खाने पड़े। विभिन्न जिलों के सरकारी कार्यालयों में कई बार चक्कर काटने पड़े। शिक्षा की योग्यता के मुताबिक , उन्हें चतुर्थ श्रेणी में नौकरी मिली। यहां पर सुबह से लेकर शाम तक कड़ी मेहनत करने के उपरांत ही प्रतिमाह पगार मिलती है। उन्नति को लेकर दोनों की राय मिलजुली ही रही है। 

भविष्य में डेफ-डंब वर्ग से जुड़े बच्चों के लिए केंद्र खोलने के बारे सोचा

इनके मुताबिक, भविष्य में डेफ-डंब प्रकार के बच्चों के लिए एक शिक्षण केंद्र खोलने के बारे सोच लिया है। सभी दोस्तों की इस पर एक ही राय है। इतना ही नहीं, उसके बारे योजना तथा खाका तक तैयार करने में विचार हो चुका है। अब इंतजार है सही समय का। आर्थिक तौर पर सब बराबर-बराबर हिस्सा डालकर, इस नेक कार्य में अपना-अपना योगदान देंगे।

यकीन के साथ कहा कि उनकी सोच को लेकर हर किसी ने उनके हर कार्य में सहयोग देने के लिए हाथ भी बढ़ाए है। जल्द ही यह काम शुरु होने का दावा किया जा रहा है। 

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