..रुला रहा प्याज, खुश हो रही सरकार

प्याज आम-जनता की थाली से गायब हो चुके हैं। क्योंकि, कीमत सातवें आसमान को छू रही हैं। खुदरा बाजार में 70 रुपए प्रति किलोग्राम प्याज बिक रहा हैं। संकेत, इस बात के मिल रहे है कि 1 नवंबर से प्याज की डेढ़ सौ रुपए प्रति किलोग्राम कीमत पहुंच सकती हैं। ऐसे में काला बाजार गर्म हो चुका हैं। बड़े-बड़े आढ़ती प्याज को जमा कर रहे है। इसके पीछे सरकार के ही कुछ अधिकारी होने फायदा पहुंचाने में लगे हैं।  गरीब, मध्यम वर्ग को प्याज रुला रहा है। देश की सरकार से लेकर प्रांतीय सरकार खुश हो रही हैं। लगाम लगाने की बजाय वे तमाशा देख रहे है। आम-जनता के साथ खूब मजाक हो रहा हैं। तर्क, इस बात का दिया जा रहा है कि पीछे से प्याज की फसल को काफी नुकसान हुआ है, इसलिए पैदावार कम होने की वजह से प्याज महंगा हो रहा हैं। 

जानकार कहते है कि अगर सरकार चाहे तो प्याज की कीमत को कम सकती हैं, इसके लिए निर्यात बंद करना होगा। वहीं, प्याज देश की आम-जनता की थाली में परोसा जा सकता हैं। कीमत अपने आप आम हो जाएगी। लेकिन, बात तो फिर आ जाती है कि सरकार पर। इस बात की खूब चर्चा है कि सरकार खुद ही मुनाफाखोरों को फायदा पहुंचा रही हैं। क्योंकि, यह लोग इसी काली कमाई से सरकार का पेट भरते हैं। जब पेट पूरी तरह से भर जाएगा। तब जाकर, सरकार कदम उठा लेगी। मतलब कि प्याज को सस्ता कर दिया जाएगा। 

एक अनुमान के मुताबिक, देश में गरीबी रेखा की संख्या काफी हैं। प्रतिदिन कमाने वाले देश में काफी संख्या में रहते हैं। उनकी बड़ी मुश्किल से घर का निर्वाह हो रहा हैं। उनकी थाली से तो बिल्कुल ही प्याज गायब हो चुके हैं। उनके प्याज खाना किसी स्वप्न से कम नहीं है। गरीब परेशान है, लेकिन, सरकार खुश हैं। क्योंकि, उन्हें किसी से कुछ नहीं लेना देना है। शायद, सरकार यह बात बिल्कुल भूल रही है कि गरीब का मत ही उन्हें सत्ता का हक दिलाता है। अगर गरीब ही दुखी हो गया तो सरकार तो अपने आप ही नीचे गिर जाएगी। 

प्रधान संपादक….विनय कोछड़..। 

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